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ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन को मंजूरी के लिए अभी और इंतजार करना होगा. वैक्सीन के इमरजेंसी यूज की मंजूरी के लिए पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने ड्रग रेगुलेटर के पास आवेदन किया था. अब इस बैठक में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक से अधिक जानकारी मांगी गई है और फिलहाल मंजूरी नहीं दी गई है. 1 जनवरी को सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी फिर से इस पर चर्चा करेगी. दोनों ही कंपनियों से कमेटी ने फैक्टशीट और अधिक जानकारी की मांग की गई है.
बता दें कि भारत में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोरोना वायरस वैक्सीन की मैन्युफैक्चकिंग और टेस्टिंग कर रहे SII ने पिछले हफ्ते नेशनल ड्रग्स रेगुलेटर को एडिशनल डेटा सबमिट किया था. SII ने वैक्सीन के इमरजेंसी यूज को लेकर सबसे पहले 9 दिसंबर को ड्रग्स रेगुलेटर को आवेदन किया था.
ब्रिटेन और ब्राजील में हुए आखिरी चरण के ट्रायल के डेटा के मुताबिक, “ऑक्सफोर्ट यूनिवर्सिटी ने जो वैक्सीन बनाई थी वो 90% तक प्रभावी थी. इस वैक्सीन के ट्रायल के दौरान पहले आधा डोज दिया गया, फिर एक महीने के अंतराल के बाद पूरा डोज दिया गया.” वहीं वैक्सीन का पूरा डोज एक महीने के अंतराल पर दिए जाने पर एफिकेसी रेट करीब 62% तक रहा है. हाल ही में SII के सीईओ, अदार पूनावाला ने कहा था कि अगर वैक्सीन के दोनों डोज में दो से तीन महीने का गैप रखा जाए, तो ये 90-95% तक प्रभावी है.
आखिरी में नए कोरोना स्ट्रेन की बात करें तो यूके से भारत लौटे 20 लोगों में कोरोना वायरस (COVID-19) का नया स्ट्रेन मिला है. इससे पहले, मंगलावर को सरकार ने बताया था कि बेंगलूरु, हैदराबाद और पुणे में यूनाइटेड किंगडम (यूके) से लौटे 6 यात्रियों में कोविड-19 के नए वैरिएंट के जीनोम पाए गए हैं. सरकार ने कहा कि इन सभी यात्रियों को अलग-एलग जगह एक कमरे में आइसोलेट कर दिया गया है. 25 नवंबर से 23 दिसंबर के बीच करीब 33 हजार यात्री यूके से भारत आए. अलग-अलग राज्य सरकारों द्वारा इनकी जांच की जा रही है. इन सभी यात्रियों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी की जा रही है.
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Published: 30 Dec 2020,08:13 PM IST