मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Fit Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस: SC ने बाबा रामदेव को लगाई फटकार, कहा- माफी काफी नहीं

पतंजलि भ्रामक विज्ञापन केस: SC ने बाबा रामदेव को लगाई फटकार, कहा- माफी काफी नहीं

पतंजलि के भ्रामक दावों और विज्ञापनों पर सुनवाई के लिए बाबा रामदेव 2 अप्रैल को कोर्ट में पेश हुए थे.

अनुष्का राजेश
फिट
Updated:
<div class="paragraphs"><p>पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज.</p></div>
i

पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज.

(फोटो:फिट हिंदी)

advertisement

पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण मंगलवार, 2 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उस 'कारण बताओ' नोटिस के सिलसिले में पेश हुए, जो उन्हें भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए अपैक्स कोर्ट द्वारा जारी किया गया था.

निराधार दावे और भ्रामक विज्ञापन बनाने के लिए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि 19 मार्च को जारी अवमानना ​​नोटिस का रिकॉर्ड में कोई जवाब नहीं है.

21 नवंबर 2023 को याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि से कहा था कि वह तुरंत सभी गलत और भ्रामक बातें बंद करे.

ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट, 1954 के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वाले भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करना जारी रखने के लिए कंपनी के खिलाफ 19 मार्च को 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया गया था.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने बाबा रामदेव के कौंसिल द्वारा उनकी ओर से पेश की गई माफी को भी 'अर्थहीन' बताते हुए स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि को एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का आखिरी मौका दिया और उस "अवमानना ​​(contempt) को गंभीरता से लेने" के लिए कहा.

'पिछले 2 वर्षों में कोई कार्रवाई नहीं की गई'

अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए बार-बार भ्रामक दावे और विज्ञापन छापने को लेकर पिछले दो वर्षों में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की गई हैं.

केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे से संकेत मिलता है कि उत्तराखंड के राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (SLA) को कई पत्र और नोटिस देने के बावजूद, पिछले दो वर्षों में पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई.

हलफनामे (affidavit) के साथ, मंत्रालय ने 12 मार्च को लाइसेंसिंग अधिकारी, आयुर्वेदिक और यूनानी सेवाएं, उत्तराखंड द्वारा भेजा गया एक पत्र भी अटैच किया जिसमें लिखा था:

"...कंपनी द्वारा ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज़ एक्ट 1954 के उल्लंघन के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए हरिद्वार में संबंधित औषधि निरीक्षकों/जिला आयुर्वेदिक और यूनानी अधिकारियों को विभिन्न पत्र जारी किए गए हैं."
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

हालांकि, पत्र या हलफनामे में यह नहीं बताया गया है कि औषधि निरीक्षकों द्वारा क्या कार्रवाई की गई या औषधि निरीक्षकों को भेजे गए इन पत्रों के संबंध में नॉन कंप्लायंस के लिए एसएलए द्वारा क्या फॉलो अप एक्शन लिए गए.

पत्र में कहा गया है कि शीर्ष अदालत द्वारा 27 फरवरी को संबंधित दवाओं के विज्ञापनों को तुरंत रोकने के लिए अंतरिम आदेश पारित करने के बाद कंपनी को चेतावनी जारी की गई थी और "फर्म के खिलाफ आगे की कार्रवाई माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश/निर्णय के अधीन होगी."

आगे क्या?

राज्य को उनके द्वारा की गई कार्रवाई का विस्तृत जवाब दाखिल करने के लिए 10 अप्रैल तक का समय दिया गया है. बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों को सुनवाई की अगली तारीख पर भी अदालत में उपस्थित रहने के लिए कहा गया है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 02 Apr 2024,06:47 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT