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यूपी: मथुरा में स्क्रब टाइफस के 29 मामले, क्या है ये बीमारी और इसका इलाज?

Scrub Typhus: गंभीर मामलों में यह निमोनिया,चमकी बुखार, दिल का दौरा या यहां तक ​​कि कोमा का कारण बन सकता है

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<div class="paragraphs"><p>‘स्क्रब टाइफस’ </p></div>
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‘स्क्रब टाइफस’

(फोटो: iStock)

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उत्तर प्रदेश के मथुरा में 29 लोगों में रिकेट्सियोसिस (Rickettsiosis) के मामले सामने आने के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने अन्य जिलों को अलर्ट जारी कर दिया है. 'स्क्रब टाइफस' (scrub typhus) के रूप में भी जाने जाने वाले इस रोग से पीड़ित इन रोगियों की उम्र 2 से 45 वर्ष के बीच है.

IANS की एक रिपोर्ट के अनुसार रोगियों का वर्तमान में संक्रमण के लिए इलाज किया जा रहा है और कोई मौत दर्ज नहीं की गई है.

मथुरा के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त निदेशक, एके सिंह ने कहा कि "मरीजों को आवश्यक दवाएं दी गई हैं और उनमें से कोई भी गंभीर नहीं है. हमने अन्य जिलों में इसके प्रसार के बारे में अलर्ट जारी किया है."

उत्तर प्रदेश की प्रभारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने की अपील की है. उन्होंने कहा,

"फिरोजाबाद, मथुरा, आगरा और यूपी में अन्य जगहों पर बच्चों और वयस्कों की मौत बुखार से हुई है जो दिल दहला देने वाला है. यूपी सरकार को इस बीमारी को नियंत्रित करने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए."
प्रियंका गांधी वाड्रा
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क्या है स्क्रब टाइफस और इसका इलाज ?

US CDC (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के अनुसार, स्क्रब टाइफस Orientia tsutsugamushi (ऑरेंटिया सुसुगामुशी) नामक बैक्टीरिया के कारण होता है. यह बैक्टीरिया ट्रॉम्बिक्युलिडे माइट्स (दीमक) के डंक में मौजूद होता है, जिसे रेड माइट्स, चिगर्स या स्क्रब-इच माइट्स भी कहा जाता है.

बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, शरीर में दर्द, बढ़े हुए लिम्फ नोड्स और कभी-कभी शरीर पर चकत्ते इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं. गंभीर मामलों में, यह निमोनिया, एन्सेफलाइटिस (चमकी/दिमागी बुखार), दिल का दौरा या यहां तक ​​कि कोमा का कारण बन सकता है.

यह एक व्यक्ति से दूसरे में व्यक्ति में नहीं फैलता है. वैसे तो इस बीमारी के लिए कोई वैक्सीन नहीं है लेकिन फिर भी इसका इलाज मौजूद है.

IANS की रिपोर्ट के अनुसार एके सिंह ने कहा कि "संक्रमण का जल्दी पता लगाना महत्वपूर्ण है. मरीजों को एंटीबायोटिक्स पर रखा जाता है और वे एक सप्ताह के उपचार के बाद पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं."

बैक्टीरिया का पता लगाने का सबसे प्रभावी तरीका ब्लड सैंपल्स का लैब में टेस्ट करना बताया गया है.

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