Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019States Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019अलीगढ़ के बाद आगरा में बिछ गईं लाशें, यूपी में शराब माफिया को कौन दे रहा पनाह?

अलीगढ़ के बाद आगरा में बिछ गईं लाशें, यूपी में शराब माफिया को कौन दे रहा पनाह?

आगरा पुलिस-प्रशासन का जो रवैया है वो एक तरह से अलीगढ़ का रिपीट टेलीकास्ट है

पीयूष राय
राज्य
Published:
<div class="paragraphs"><p>आगरा में जहरीली शराब पीने से 10 मौतें</p></div>
i

आगरा में जहरीली शराब पीने से 10 मौतें

फोटो : Altered by Quint

advertisement

आगरा (Agra) में जहरीली शराब से 10 लोगों की मौत. 3 थानेदार, 2 आबकारी इंस्पेक्टर और 3 सिपाही सस्पेंड. कई लोग हिरासत में लिए गए. सुनने से ऐसा लगता है कि जहरीली शराब से दो गांवों में पसरे मातम पर प्रशासन आंसू बहा रहा है, लेकिन इस केस और उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh) में जहरीली शराब के नॉनस्टॉप आतंक की पूरी कहानी सुनेंगे तो आप पूछने लगेंगे कि कहीं ये घड़ियाली आंसू तो नहीं?

पुलिस लोगों की जान बचाना चाहती है या अपनी चमड़ी?

जरा इस खबर कि डिटेल देखिए. आगरा में जब मौतों का सिलसिला शुरू हुआ तो प्रशासन टालमटोल करने लगा. कहा कि अभी जहरीली शराब से मौत की पुष्टि नहींं हुई है. जांच जारी है. एक मृतक रामवीर के परिवार ने तो यहां तक आरोप लगाया कि पुलिस ने जबरन रामवीर का अंतिम संस्कार करा दिया. रात के दो बजे. सवाल उठता है कि पुलिस अपनी चमड़ी बचाना चाहती है या लोगों की जान? क्योंकि अगर लोगों की जान बचानी है तो उसे अपराध से इंकार और हड़बड़ी में अंतिम संस्कार के बजाय जांच करनी चाहिए. पहचान कर अवैध शराब माफिया का सफाया करना चाहिए.

अलीगढ़ मामले में भी दिखी थी प्रशासन की ऐसी ही टालमटोल

डरावनी बात ये है कि आगरा पुलिस-प्रशासन का जो रवैया है वो एक तरह से अलगीढ़ का रिपीट टेलीकास्ट है. मई में अलीगढ़ में जहरीली शराब का तांडव दिखा. 105 पोस्टमॉर्टम हुए. प्रशासन ने तब 35 मौत की पुष्टि कि और कहा कि जैसे जैसे विसरा रिपोर्ट आएगी हम पुष्टि करेंगे. खुद बीजेपी के सांसद सतीश गौतम ने जिलाधिकारी पर मौत के आंकड़े छिपाने का आरोप लगाया. आगरा की तरह अलीगढ़ में भी संयुक्त आबकारी आयुक्त, उप आबकारी आयुक्त के अलावा पांच अन्य आबकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को सस्पेंड किया गया था. आगरा शराब कांड बता रहा है कि वेस्ट यूपी में शराब माफिया के सफाए के लिए अलीगढ़ के बड़े कांड के बाद भी पूरे कदम नहीं उठाए गए.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सिर्फ नौ महीने में यूपी में 11 बड़े शराब कांड हो चुके हैं. उनमें से प्रमुख हैं

  • मई 2021 में आजमगढ़ में 33 मौतें हुईं.

  • मार्च 2021 में प्रयागराज में 14 मौतें हुईं. लेकिन प्रशासन ने शराब से मौतों से इनकार किया.

  • प्रतापगढ़ में जहरीली शराब ने 6 लोगों को मार डाला.

  • बुलंदशहर की जीत गढ़ी गांव में 6 मौतें हुईं.

  • लखनऊ पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडेय तक शराब माफिया के चक्कर में नप चुके.

माफियाओं के बुलंद हौसले - पुलिस तक पर हो रहे हमले

पुलिस महकमा तब भी होश में नहीं आया है जबकि इसी साल फरवरी में कासगंज में शराब माफिया ने एक सिपाही की हत्या कर दी. दारोगा को जख्मी कर दिया. शराब माफिया को सरंक्षण का आलम ये है कि बाराबंकी से लेकर मथुरा तक वो पुलिस पर कातिलाना हमला कर चुका है.

सैकड़ों गांवों में कुटीर उद्योग की तरह चल रहा अवैध शराब का धंधा

उत्तर प्रदेश में नकली शराब का कारोबार कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खादर का इलाका नकली शराब बनाने वाले माफियाओं के लिए हेड क्वार्टर से कम नहीं. बिजनौर से लेकर मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, कानपुर, बनारस, प्रयागराज तक गंगा किनारे सैकड़ों गांवों में कच्ची शराब की भट्टियां धधकती मिलती हैं. शराब बनने से लेकर बेचने तक का पूरा कारोबार संगठित तरीके से चलता रहता है. एक ऐसा राज्य जहां दावा किया जाता है कि अपराधी खुद सरेंडर करते हैं वहां इतने बड़े पैमाने पर ये जहरीला कारोबार चल रहा है तो पूछना बनता है कि कौन हैं वो आला अफसर जिनकी पनाह में ये कातिल हैं,और उससे भी ऊपर कौन हैं वो नेता जो हैं शराब माफिया के सरपरस्त.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT