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भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा सबसे आम कारण सर्वाइकल कैंसर है. 15 से 44 साल की उम्र की महिलाओं में इसका खतरा अधिक रहता है. अगर समय पर इलाज शुरू हो जाए, तो इस रोग से मुक्ति पाई जा सकती है.
किसी भी देश के मुकाबले सर्वाइकल कैंसर के कारण सबसे ज्यादा महिलाओं की मौत भारत में होती है. GLOBOCAN 2012 के मुताबिक भारत में हर साल सर्वाइकल कैंसर के लगभग 96,322 नए मामले सामने आते हैं.
सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स की लाइनिंग, यानी यूटरस के निचले हिस्से को प्रभावित करता है. सर्विक्स की लाइनिंग में दो तरह की कोशिकाएं होती हैं- स्क्वैमस या फ्लैट कोशिकाएं और स्तंभ कोशिकाएं. गर्भाशय ग्रीवा के क्षेत्र में जहां एक सेल दूसरे प्रकार की सेल में परिवर्तित होती है, उसे स्क्वेमो-कॉलमर जंक्शन कहा जाता है. यह ऐसा क्षेत्र है, जहां कैंसर के विकास की सबसे अधिक आशंका रहती है. गर्भाशय-ग्रीवा का कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ पूरी तरह से विकसित हो जाता है.
उन्होंने कहा कि एचपीवी संक्रमण यौन संपर्क या त्वचा संपर्क के माध्यम से फैलता है. कुछ महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा की कोशिकाओं में एचपीवी संक्रमण लगातार बना रहता है और इस रोग का कारण बनता है.
इन परिवर्तनों को नियमित ग्रीवा कैंसर स्क्रीनिंग (पैप परीक्षण) द्वारा पता लगाया जा सकता है. पैप परीक्षण के साथ, गर्भाशय ग्रीवा से कोशिकाओं का एक सतही नमूना नियमित पेल्विक टेस्ट के दौरान एक ब्रश से लिया जाता है और कोशिकाओं के विश्लेषण के लिए एक प्रयोगशाला में भेजा जाता है.
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डॉ केके अग्रवाल ने बताया:
ग्रीवा कैंसर को रोकने के लिए कुछ सुझाव
* कंडोम के बिना कई व्यक्तियों के साथ यौन संपर्क से बचें.
* हर तीन वर्ष में एक पेप टेस्ट करवाएं क्योंकि समय पर पता लगने से इलाज में आसानी होती है.
* धूम्रपान छोड़ दें क्योंकि सिगरेट में निकोटीन और अन्य घटकों को रक्त की धारा से गुजरना पड़ता है और यह सब गर्भाशय-ग्रीवा में जमा होता है, जहां वे ग्रीवा कोशिकाओं के विकास में बाधक बनते हैं. धूम्रपान प्रतिरक्षा तंत्र को भी दबा सकता है.
* फल, सब्जियों और अनाज से भरपूर स्वस्थ आहार खाएं, मगर मोटापे से बचें.
(इनपुट- IANS)
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