आजकल ज्यादातर कैंसर रोगियों की मौत कैंसर से नहीं, बल्कि उसके इलाज के लिए की जाने वाली कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट के कारण होती है. शक्तिशाली और टॉक्सिक इलाज कैंसरयुक्त कोशिकाओं (सेल्स) को खत्म कर देता है. इसके साथ-साथ यह स्वस्थ कोशिकाओं को भी खत्म कर देता है और इन्हें नई कोशिकाओं के बनने के लिए भी कमजोर कर देता है.
इसके अलावा, यह दूसरे रोगों से लड़ने के लिए जरूरी प्रतिरोधक क्षमता को भी कमजोर कर देता है.
प्रतिरोधक क्षमता कमजोर करना कीमोथेरेपी का सबसे सामान्य साइड इफेक्ट है. इसके अलावा मिचली आना, कब्ज, बाल झड़ना, खून की कमी होना, थकान, त्वचा में परिवर्तन, अनिंद्रा, अवसाद और चिड़चिड़ा स्वभाव आदि कीमोथेरपी के अन्य साइड इफेक्ट हैं.
इन साइड इफेक्ट को खत्म करने के लिए अलग दवाइयां लेने के बदले अपनी जीवनशैली में बदलाव करके अपने शरीर को ठीक रख सकते हैं, जो कीमोथेरेपी के साथ-साथ काम करता है और अतिरिक्त नुकसान को कम करता है.
कीमो के समय खान-पान की अहम भूमिका होती है. कीमो दिए जाने वाले रोगियों को सही खाना देकर संक्रमण के खतरों को कम किया जा सकता है और इसके साइड इफेक्ट को कम करके अच्छा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है.
इस समय अच्छा खाना बहुत बड़ी चुनौती हो सकती है, क्योंकि कीमोथेरेपी भूख और फ्लेवर, दोनों को ही प्रभावित कर सकती है. मैं रोगियों को ये सुपर फूड खाने की सलाह देता हूं, जो छोटे डोज में भी अधिक पोषण देता हैः
1. हल्दी अर्क
हल्दी अर्क कैंसर रोगियों पर बहुत प्रभावी तरीके से काम करता है और प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट को संतुलित रखता है. इसका उच्च एंटी-माइक्रोबायल और एंटी-इंफ्लैमेटरी होना मदद करता है, क्योंकि कैंसर एक इंफ्लैमेटरी रोग है. कर्कुमीन और पाइपरीन का कॉम्बिनेशन सप्लीमेंट एक बेहतर पसंद है, क्योंकि काली मिर्च से बना पाइपरीन इसके अवशोषण में सहायता करता है.
2. माइक्रोग्रीन्स
माइक्रोग्रीन्स में इसके प्राकृतिक तत्वों की अपेक्षा 40 गुना ज्यादा महत्वपूर्ण पोषक होता है. लाल गोभी, सरसों, मूली, ब्रॉकली आदि की तरह के क्रूसीफेरस पौधों के माइक्रोग्रीन्स में लाइव एंजाइम और सल्फर युक्त रसायन होते हैं, जो डीएनए के नुकसान को सुरक्षा प्रदान करते हैं, सेल्यूलर स्तर पर डिटॉक्सिफिकेशन को समर्थन देते हैं, कर्सिनोजेन को निष्क्रिय करते हैं, वायरसरोधी और जीवाणुरोधी प्रभाव पैदा करते हैं और एंग्योजेनेसिस और मेटास्टैसिस को रोकते हैं.
ये क्षारीय गुणों वाले होते हैं और फाइबर के पाचन को आसान बनाने के लिए अच्छा स्रोत हैं. यह कैंसर रोगियों के लिए बेहतर खाना है, जो कुछ मामलों में कब्ज को खत्म करने में सहायता कर सकता है. इसका जूस बनाया जा सकता है, सूप में मिलाया जा सकता है और दाल या सब्जी के साथ भी मिलाकर इसे तैयार किया जा सकता है.
3. मोरिंगा
मोरिंगा विशेषकर प्रोटीन, कैल्सियम, आयरन और बिटामिन ए, बी, सी जैसे उच्च स्तर के एंटीऑक्सीडेंट की प्रचुरता के लिए जाना जाता है, जो कैंसर थेरेपी के साइड इफेक्ट के समायोजन में सहायता करता है और कैंसर की चल रही प्रक्रिया को कम करता है.
मोरिंगा की पत्तियों में सभी महत्वपूर्ण एमीनो एसिड होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में सहायता करता है. कीमोथेरेपी के दौरान पोषण और भूख की कमी के कारण कुपोषण और वजन की कमी देखने को मिलती है, जिससे लड़ने में मोरिंगा मदद करता है.
मोरिंगा बिना पूरा खाना लिए ही आपकी दैनिक पोषक तत्वों की जरूरतों को पूरा करने का आसान तरीका मुहैया कराता है.
नारियल तेल में उपचार के गुणों की प्रचुरता होती है. नारियल के पेड़ को ‘जीवन के पेड़’ के तौर पर भी जाना जाता है. यह वायरस, बैक्टीरिया और संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है.
थेरेपी के प्रभावों के लिए सुबह और शाम एक-एक चम्मच नारियल तेल का उपयोग करें. नारियल तेल में पाया जाने वा एमसीटी थकान को कम करता है और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के अवशोषण में सहायता करता है.
5. सीड्स (बीज)
सभी बीज (तरबूज, सन, सूरजमुखी, तिल) विशेषकर पंपकिन (लौकी, कोहड़ा) में जिंक, मैग्नेशियम, फॉलिक एसिड और बायोटीन जैसे बी विटामिन पाए जाते हैं, जो डीएनए को सुरक्षा देने, सेल्यूलर ऑक्सीजनेशन और कई तरह के रासायनों के प्रभावों को कम करने में मदद करते हैं.
यही कारण है कि कॉमन कोल्ड के इलाज के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवाओं में जिंक होता है. यह एक महत्वपूर्ण मिनरल (खनिज) है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने और थकान से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
बीजों में विटामिन ई के कई स्वरूप (टोकोट्राइनोल्स और टोकोफेरोल्स) मौजूद होते हैं. इसके साथ-साथ इसमें फॉलिक एसिड होता है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. आवश्यक फैटी एसिड ओमेगा-3 शरीर की अन्य कोशिकाओं पर घातक कोशिकाओं को चिपकने से रोकता है.
इसके अलावा फ्लैक्स सीड्स ओस्ट्रोजेन के स्तर को कम करने में सहायता करते हैं और इनमें लिगनांस होता है, जिसमें एंटीएंजियोजेनिक गुण होते हैं और वे ट्यूमर को नई रक्त वाहिकाएं बनाने से रोकता है. भिगोए हुए बीज खाने की आदत डालें ताकि आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी न हो.
(ल्यूक कॉटिन्हो अल्टरनेटिव मेडिसिन (इंटिग्रेटिव और लाइफस्टाइल) में एम. डी. हैं. वे हॉलिस्टिक न्यूट्रिशनिस्ट हैं, जो खास तरीकों से कैंसर के रोगियों की इस बीमारी से लड़ने में मदद करते हैं.)
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