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ब्रिटेन की एस्ट्राजेनेका कंपनी की वैक्सीन एक पहेली बन गई है- कि कैसे एक ऐसी वैक्सीन जिसे कोविड के खिलाफ अहम उपलब्धि बताई जा रही थी वो साइंटिफिक और राजनीतिक तूफान में फंस गई.
यूरोपीय देशों ने वैक्सीन पर लगाए गए प्रतिबंधों को वापस लेना शुरू कर दिया था. इस बीच कंपनी ने 22 मार्च को अमेरिका, चिली आदि देशों में अपने कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे फेज के क्लीनिकल ट्रायल का अंतरिम डेटा जारी किया. उम्मीद थी कि यूरोपीय देशों से मिली निराशाजनक प्रतिक्रिया के बाद ये डेटा वैक्सीन को लेकर संदेह दूर कर सकेगा.
लेकिन कुछ ही घंटों बाद अमेरिका के संघीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 वैक्सीन पर अमेरिका में हुए ट्रायल के नतीजों में 'पुरानी जानकारी' का इस्तेमाल किया गया होगा. ‘डेटा एंड सेफ्टी मॉनिटरिंग बोर्ड’ की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ऐसा हो सकता है कि एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन के प्रभावी होने के बारे में इकट्ठा किए गए आंकड़ों में अधूरी जानकारी दी.
यूके, यूरोप और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हरी झंडी दिखाने के बावजूद इस 'गेम-चेंजर’ वैक्सीन की प्रतिष्ठा धूमिल हुई और इसकी सुरक्षा पर पहले से सवाल उठाया जाता रहा है.
फ्रांस, जर्मनी, इटली उन देशों में हैं जिन्होंने वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर आशंकाओं की वजह से इसके इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. इन देशों के अलावा 10 दिनों के भीतर ऑस्ट्रिया, बुल्गारिया, साइप्रस, डेनमार्क, एस्टोनिया, आइसलैंड, आयरलैंड, लातविया, लिथुआनिया, लक्समबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, पुर्तगाल, सॉल्वेनिया, स्पेन, स्वीडन ने भी इस वैक्सीन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया. यूरोप के कुल 18 देशों ने इस वैक्सीन पर प्रतिबंध लगाया.
दिसंबर 2020 में इस वैक्सीन को मंजूरी देने वाला पहला देश ब्रिटेन था, जिसने यूके, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में ट्रायल के आंशिक परिणामों के आधार पर इसे मंजूरी दी थी. उन परिणामों के मुताबिक वैक्सीन कोविड के खिलाफ 70% प्रभावी था.
लेकिन एस्ट्राजेनेका कंपनी द्वारा जारी पहली जानकारी सवालों के घेरे में थी. कंपनी पर सवाल उठाए गए कि सुरक्षा को लेकर पर्याप्त डेटा और जानकारी जारी नहीं की गई.
जनवरी 2021 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के एक बयान ने इसे हवा दी. उन्होंने कहा-
जर्मनी ने भी वैक्सीन को 65 साल या उससे कम लोगों को ही लगाने की सिफारिश की थी.
हालांकि, ब्रिटेन के हेल्थ रेगुलेटर्स ने सभी लोगों के लिए वैक्सीन लगाने की सिफारिश की. ब्रिटिश रेगुलेटर्स ने एनालिसिस पर भरोसा किया जिसमें ट्रायल के दौरान बुजुर्गों में मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स देखा गया था.
असल बात ये थी कि 65 से अधिक उम्र के लोगों पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर डेटा की कमी थी. वैक्सीन असरदार थी, लेकिन तब तक लोगों के मन में वैक्सीन के खिलाफ आशंकाओं ने जगह बना ली थी.
कई यूरोपीय देशों में वैक्सीन लगवाने के बाद ब्लड क्लॉटिंग(रक्त के थक्के जमने) के मामलों ने वैक्सीन पर भरोसा कम किया, जबकि वैक्सीन की वजह से ब्लड क्लॉटिंग को लेकर कोई सबूत नहीं हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि हम पूरी तरह से इस दावे को खारिज भी नहीं कर रहे हैं कि वैक्सीन और खून के जमने का कोई संबंध नहीं है. इस मामले की अब अतिरिक्त समीक्षा और लैब टेस्ट की जाएगी.
वहीं, एस्ट्राजेनेका कंपनी ने 14 मार्च को अपने एक बयान में कहा, "सुरक्षा सर्वोपरि है और कंपनी द्वारा अपने वैक्सीन की सुरक्षा पर लगातार निगरानी की जा रही है."
इसमें आगे कहा गया, "यूरोपीय संघ और ब्रिटेन में वैक्सीन लगवाने वाले 1.7 करोड़ से ज्यादा लोगों के सुरक्षा से संबंधित उपलब्ध सभी आंकड़ों की गहराई से समीक्षा की गई, जिसमें किसी भी आयु वर्ग और लिंग या किसी विशेष देश के निवासियों के फेफड़ों में खून का थक्का जमने, खून में प्लेटलेट्स की संख्या में कमी के होने के हाई रिस्क का कोई सबूत नहीं मिला है."
एक्सपर्ट्स को लगता है कि एस्ट्राजेनेका की आपूर्ति, ब्रेग्जिट और यूरोपीय संघ के मामलों में बढ़त- इन सब को मिलाकर खड़ा हुआ बवाल वैज्ञानिक से ज्यादा राजनीतिक मामला है.
यूके और यूएस की तुलना में यूरोपीय देशों में वैक्सीन रोलआउट की गति काफी कम है. वहां लोग कोविड के तीसरे लहर के डर से जूझ रहे हैं. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर एस्ट्राजेनेका को लेकर शक और सवाल पैदा नहीं हुए होते तो इंफेक्शन रेट, हॉस्पिटलाइजेशन, वैक्सीन स्पीड पर असर पड़ता. दरअसल, यूरोपियन यूनियन और एस्ट्राजेनेका के बीच वैक्सीन की सप्लाई को लेकर विवाद चल रहा है.
फिलहाल, 22 मार्च को जारी अमेरिका में की गई नई स्टडी में सामने आया है कि एस्ट्राजेनेका की कोविड-19 वैक्सीन सभी उम्र के लोगों पर प्रभावी है. कंपनी ने इस बात की घोषणा की कि चिली, पेरू और अमेरिका में रहने वाले 32 हजार लोगों पर किए गए कोविड-19 रोधी वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल में सकारात्मक उपलब्धियां हासिल हुई हैं. कोविड-19 के लक्षणों की रोकथाम में इस वैक्सीन की प्रभावशीलता 79% तक पहुंच सकती है, और अस्पताल में भर्ती और मृत्यु की रोकथाम में इसकी प्रभावशीलता 100% तक पहुंच सकती है. साथ ही, कोई भी सुरक्षा जोखिम से जुड़ी रिपोर्ट नहीं मिली. इन आंकड़ों से ये जाहिर हुआ है कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन सुरक्षित और कारगर है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) के महानिदेशक डॉ. ट्रेडोस ने उसी दिन कहा कि ताजा आंकड़ों से इस वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावशीलता साबित हुई है.
इस स्टडी के निष्कर्षों को अमेरिका में वैक्सीन को मंजूरी मिलने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा था. अमेरिका में फाइजर, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन के बाद मंजूरी पाने वाली ये चौथी वैक्सीन होती. लेकिन अधिकारियों के बयान से फिर से वैक्सीन को लेकर नई तरह की आशंकाएं उपज रही हैं.
एक्सपर्ट्स चिंतित हैं कि यूरोप में इस वैक्सीन को लेकर फैला अविश्वास दुनियाभर में वैक्सीनेशन को प्रभावित कर सकता है. अगर अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन(FDA) से वैक्सीन को हरी झंडी मिल जाती है तो जनता के मन की आशंका कम करने में मदद मिल सकती है.
फिट ने पहले एक लेख में वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील से बातचीत की थी, उन्होंने कहा था-
वहीं, कई विवादों और उसपर सफाई के बाद एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि वो कुछ हफ्तों के भीतर FDA को अपना डेटा सौंप देगी.
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका का अनुमान है कि अमेरिका में मंजूरी मिलते ही एक महीने के भीतर ही 50 मिलियन डोज की आपूर्ति की जाएगी और उसके बाद देश के प्रोडक्शन साइट्स पर 15 से 20 मिलियन डोज हर महीने तैयार होंगी.
एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि अमेरिकी रेगुलेटर्स को प्रस्तुत करने के लिए डेटा तैयार करने में कुछ सप्ताह लगेंगे. हालांकि, सुरक्षा डेटा के लिए FDA द्वारा जरूरी न्यूनतम समय सीमा पार हो चुकी है.
(-IANS, रॉयटर्स के इनपुट के साथ)
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Published: 24 Mar 2021,07:18 PM IST