Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Good news  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019साल 2020 की मेरी गुड न्यूज- अच्छे कॉलेज में दाखिला, कोरोना को मात

साल 2020 की मेरी गुड न्यूज- अच्छे कॉलेज में दाखिला, कोरोना को मात

झारखंड के रांची से संजीवनी रे ने बताया कैसे अच्छा रहा उनका ये साल

संजीवनी रे
गुड न्यूज
Updated:
झारखंड के रांची से संजीवनी रे ने बताया कैसे अच्छा रहा उनका ये साल
i
झारखंड के रांची से संजीवनी रे ने बताया कैसे अच्छा रहा उनका ये साल
(फोटो: Aroop Mishra/The Quint)

advertisement

(साल 2020 हम सबके लिए काफी मुश्किल भरा रहा है. संकट के इस पूरे साल में "गुड न्यूज 2020" के जरिए हम आपका ध्यान उन घटनाओं और पलों की तरफ केंद्रित करना चाहते हैं, जिन्होंने इस मुश्किल भरे वक्त में भी उम्मीद पैदा की है. ये कहानी झारखंड के रांची से संजीवनी रे की है, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे तमाम मुश्किलों के बाद भी इस साल को उन्होंने पॉजिटिव और सार्थक बनाया.)

सभी लोगों की तरह मेरा भी ये साल उतार-चढाव से भरा रहा .मैंने अपने इस साल को कैसे सफल बनाया और पॉजिटिव लिया, इसके कई सारे कारण हैं. लेकिन ये बताना उतना भी आसान नहीं है, जितना आप लोग सोच रहे हैं.

मैंने अपनी 12वीं की सीबीएसई परीक्षा में ठीक-ठाक 87 प्रतिशत अंक स्कोर किए और फिर थोड़ी मेहनत के बाद एक अच्छे कॉलेज में एडमिशन भी ले लिया. सब ठीक चल रहा था. लेकिन इसी बीच मैंने 15 अगस्त को अपने दादा को खो दिया. ये मेरे और मेरे परिवार के लिए एक बहुत बड़ा झटका था. लेकिन हमारी मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं, इसके बाद मैं और मेरा पूरा परिवार, कोरोना पॉजिटिव हो गए.

मुझे लगा अब सब कुछ खत्म हो जाएगा. मेरे पिता हॉस्पिटल में कई दिनों तक ऑक्सीजन सपोर्ट पर रहे. लेकिन भगवान ने हमारे प्यार और प्रार्थनाओं का जवाब दिया और हम सब ठीक हो गए.

मुझे पता है की ये लॉकडाउन का समय उन लोगों के लिए बहुत अच्छा बीता होगा, जिन्होंने किचन में अपनी कुकिंग स्किल्स ट्राइ की होंगी, मैंने भी यही किया और अब मैं भी एक अच्छी कुक बन गई हूं.

इस लॉकडाउन की वजह से मैं भावनात्मक रूप से अपने परिवार के और करीब महसूस करने लगी हूं. मैं कभी घर के कामों को तवज्जो नहीं देती थी, जो मेरी मां सालों से कर रहीं थीं. लेकिन इसी लॉकडाउन में मेरे पूरे परिवार ने घर के कामों में मां का हाथ बटाया और मैं आपको बता दूं... ये उतना आसान नहीं था जितना मैंने सोचा था. अब एक 18 साल की लड़की जानती है कि घर के कामकाज कितने मुश्किल होते हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

भले ही ये साल मेरे परिवार के लिए कितना भी बुरा रहा हो लेकिन, हमें प्यार और दुआओं ने एक साथ जोड़े रखा और सबसे बढ़कर इसने हमें उम्मीद और आशा का अर्थ समझाया.

मैंने साल 2020 से बहुत सी चीजें सीखें , जैसे हमें अपने जीवन में छोटी-छोटी बातों को भी महत्व देना चाहिए, उन्हें भी जी भर के जीना चाहिए. इस साल मैंने जिन्हें भी खोया है उन्हें मेरी श्रद्धांजलि और आगे आने वाले साल के लिए सभी को शुभकामनाएं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 22 Dec 2020,06:39 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT