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दिवाली-छठ के त्योहारी सीजन में दफ्तरों में लीव एप्लीकेशन आने का सिलसिला तेज हो जाता है. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बॉस छठ की छुट्टियां देने से इनकार नहीं कर पाते. आवेदन करने वाला भी ये मानकर चलता है कि छुट्टी अप्रूव हो ही जाएगी. ऐसे में इसके पीछे की वजह की चीर-फाड़ जरूरी है.
छठ की छुट्टी आसानी से अप्रूव होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें ये सबसे अहम हैं.
छठ बिहार-झारखंड, यूपी और कई अन्य प्रदेशों में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा लोकपर्व है. इसकी खासियत है कि ये सामूहिक तौर पर मनाया जाता है. इस व्रत के संयम-नियम अन्य पर्वों की तुलना में ज्यादा कठिन होते हैं, जिस वजह से व्रत करने वाले को औरों से ज्यादा सहयोग की दरकार होती है.
घर से दूर रह रहा कोई शख्स इस पर्व में अपने परिजनों के पास जरूर जाने की चाहत रखता है. इस व्रत का फैलाव अब देश के अन्य भागों में भी हो रहा है.... और ज्यादातर बॉस अब इन बातों से वाकिफ होते हैं.
एक प्राइवेट फर्म में कार्यरत दीपक का नजरिया एकदम साफ है:
छठ का नाम सामने आते ही नजरों के सामने कई तस्वीरें एकसाथ तैर जाती हैं. वैसी चीजें, जो बदलते वक्त के साथ करीब-करीब गायब ही हो गई हैं. मिट्टी के चूल्हे और मिट्टी के तवा पर पकते प्रसाद, बांस के सूप, बट्टे-दौरी, मनमोहक फलों से अटे पड़े बाजार, छतों से लेकर तालाब और पवित्र नदियों के घाटों पर उमड़ती भीड़...
छुट्टी की चाह रखने वालों के मन में इन चीजों का गहरा आकर्षण होता है. आम तौर पर बॉस छुट्टी मांगने वाले की इस मनोदशा को समझते हैं.
छठ पर्व के दौरान ट्रेनों-बसों में बेतहाशा भीड़ देखकर ये समझा जा सकता है कि ये लोकपर्व किस मैग्नेटिक फोर्स से लोगों को अपनी ओर खींचता है. कई लोग ऐसे होते हैं, जो टिकट होने के बावजूद ट्रेन में अपार भीड़ की वजह से अपनी सीट तक पहुंच नहीं पाते, फिर भी 18 से लेकर 30 घंटे तक मुश्किल हालात में सफर करते हैं.
इस बारे में एक मीडिया संस्थान में काम करने वाले युवक अभिषेक का वाकया गौर करने लायक है:
अभिषेक बताते हैं कि उनके बॉस ने उनकी बातों को हल्के में न लेते हुए छुट्टी मंजूर कर दी.
ऐसे अभिषेक को हर कोई अपने दफ्तर में आसानी से खोज सकता है.
छठ के कई लोकगीत लोगों को बरबस ही सूर्य की पूजा-आराधना करने और अपनी परंपराओं से जुड़ने का निमंत्रण देते हैं. आजकल सोशल मीडिया पर भी कई ऐसे वीडियो आसानी से मिल जाएंगे, जो इस बात का अहसास दिलाते हैं कि भावनाओं का भी अपना एक अलग संसार है.
अब जरा विचार कीजिए, किसी बॉस के लिए छठ की छुट्टी से इनकार करना कितना मुश्किल होता होगा!
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