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UPSC परीक्षा में धर्मनिरपेक्षता के सवाल पर बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसपर आपत्ति जताई है. सिविल सर्विसेज के पेपर में सवाल था- धर्मनिरपेक्षता के नाम पर हमारी सांस्कृतिक परंपरा के सामने क्या चुनौतियां पैदा हुई हैं? इस सवाल का जवाब 150 शब्दों में देने के लिए कहा गया था.
कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने के मुद्दे पर आईएएस पद से इस्तीफा देने वाले कन्नन गोपीनाथन ने कहा कि इस सवाल पर उनका जवाब होता कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता सभी पंथ-मतों को एक साथ लेकर चलने का नाम है, साथ ही ये अंधविश्वास और कुप्रथाओं के खिलाफ वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देता है.
एक दूसरे ट्वीट में कन्नन गोपीनाथन ने लिखा कि इस तरह के सवालों पर गुस्सा न हों, अपने जवाब को लेकर स्पष्ट रहें.
केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथला ने ट्विटर पर लिखा कि विडंबना ये है कि यूपीएससी को 'धर्मनिरपेक्षता' शब्द, जो कि हमारे संविधान की प्रस्तावना का हिस्सा है, वो उन्हें भारतीय समाज के लिए चुनौतीपूर्ण लगता है.
एक यूजर ने लिखा कि ये सवाल इंडियन सिविल सर्विस के गिरते स्तर को दिखाता है. ‘इसी तरह आरएसएस ब्यूरोक्रेसी को बनाया जाता है.’
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने लिखा कि ये सवाल एकदम शर्मनाक है. एक यूजर ने लिखा कि भारत में धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा बदल चुकी है, अब ये सिर्फ वोट बैंक की राजनीति के लिए इस्तेमाल में आता है.
कुछ लोगों का ये भी कहना है इस तरह के सवालों के जवाब कई बार इस पर निर्भर करता है कि आप सवाल को कैसे लेते हैं. अलग-अलग परीक्षार्ती इसका अलग अर्थ निकाल सकते हैं
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