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गर्मी की छुट्टियां चल रही हैं. लोग बाहर घूमने का प्लान बना रहे हैं. गर्मी से राहत पाने के लिए लोग हिल स्टेशनों का रुख कर रहे हैं. ऐसे में अगर आप फैमली ट्रिप प्लान कर रहे हैं तो उत्तराखंड की राजधानी देहरादून (Dehradun) आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. दून घाटी में शिवालिक रेंज और हिमालय की तलहटी के बीच बसा देहरादून अपने-आप में एक से बढ़कर एक खूबसूरत जगहों को समाए हुए है. चलिए हम आपको देहरादून की टॉप टूरिस्ट स्पॉट्स (Dehradum Secret Hidden Places) के बारे में बताते हैं जिसके बारे में आपने कम ही सुना होगा.
देहरादून से लगभग 18 किमी दूर जंगलो में एक बेहद की आकर्षक जगह है सहस्त्रधारा है. सहस्त्रधारा में स्नान करना शुभ माना जाता है. कहा जाता है कि यहां की पानी में कई औषधीय गुण हैं, जो मांसपेशियों में दर्द, खराब रक्त परिसंचरण, मुंहासे और यहां तक कि गठिया जैसी बीमारियों से पीड़ित किसी को भी ठीक कर सकते हैं. सहस्त्रधारा के पास एक रोपवे भी है, जो पर्यटकों को एक ऊंचे स्थान पर ले जाता है. रोप वे से आप आस-पास की खूबसूरती का लुफ्त उठा सकते हैं.
देहरादून में रॉबर्स केव मशहूर पर्यटक स्थलों में से एक है. स्थानीय लोगों के मुताबिक ब्रिटिशर्स ने इस जगह का नाम रॉबर्स केव रखा था. क्योंकि डाकू डकैती के बाद इन गुफाओं में छिप जाया करते थे. 650 मीटर लम्बी यह गुफा आज भी उतनी ही रहस्यमय है. गुफा के अंदर एक नदी भी बहती है. नदी की धारा से अंत तक चलते हैं, तो आप 10 मीटर ऊंचे झरने तक पहुंच जाते हैं.
तपोवन मंदिर देहरादून के विकासखंड रायपुर में स्थित है. तपोवन नाम संस्कृत के शब्द ‘तपस’ से बना है जिसका अर्थ है तपस्या और ‘वन’ का अर्थ वन है. यहां पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य ने तपस्या की थी. यह स्थान एक शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है. यहां पहाड़ी की अलग-अलग ऊंचाई पर कई मंदिर और गुफाएं मौजूद है. आप सीढ़ियों से आधे घंटे में पहाड़ की चोटी पर पहुंच सकते हैं. यह स्थान दून के हृदय स्थल घंटा घर से मात्र सात किलोमीटर की दूरी पर है.
देहरादून से 6 किलोमीटर की दूर टपकेश्वर महादेव शिवजी को समर्पित एक गुफा मंदिर है. मंदिर का मुख्य गर्भगृह एक प्राकृतिक गुफा के अंदर स्थित है. गुफा से गिरने वाली पानी की बूंदे लगातार शिव लिंग पर गिरती रहती हैं. इसी कारण इसका नाम टपकेश्वर पड़ा था. मंदिर के आस-पास जंगल और टोंस नदी भी बहती है.
मान्यता है कि द्रोणाचार्य की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इसी स्थान पर उन्हें दर्शन दिया था. गुरु द्रोण के अनुरोध पर भगवान शिव लिंग के रूप में यहां पर स्थापित हुए थे. वहीं, भगवान शिव की पूजा के कारण ही गुरु द्रोण को अश्वत्थामा के रूप में पुत्र की प्राप्ति हुई. अश्वत्थामा ने मंदिर की गुफा में छह माह एक पांव पर खड़े होकर भगवान शिव की तपस्या की थी.
लच्छीवाला अब 'प्रकृति पार्क' के नाम से भी जाना जाता है. देहरादून के सबसे लोकप्रिय पिकनिक स्थलों में से एक है. जंगलों के बीच मानव निर्मित पानी के कुंड हैं. गर्मियों में बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं. जानकारी के मुताबिक यह कुंड सुसवा नदी की एक धारा से भरा है.
देहरादून के घंटा घर से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर है भारतीय वन अनुसंधान संस्थान (FRI). बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. FRI की बिल्डिंग पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र है. इस संस्थान का भवन ग्रीक रोमन शैली में निर्मित है. आजादी से पहले 1878 में इसकी स्थापना ब्रिटिश इंपीरियल फारेस्ट स्कूल के रूप में की गयी थी. यह संस्थान फॉरेस्ट रिसर्च के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. इस संस्थान को 1906 में पुनः स्थापित किया गया. इस संस्थान का भवन अपने आप में वास्तुकला का अनूठा संग्रह है.
वन्यजीव प्रेमियों के मालसी डियर पार्क एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है. यह पार्क देहरादून मसूरी रोड पर सात किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां दो सींग वाले हिरण, मोर, बाघ, नीलगाय और कई अन्य जानवर हैं. वनस्पतियों और जीवों से समृद्ध यह पार्क शहर के व्यस्त जीवन से दूर रहने और आराम करने के लिए एक शानदार पर्यटक स्थल है. यह पार्क नीलगाय और हिरण का घर है जो बच्चों और पशु प्रेमियों को आकर्षित करते हैं. मालसी पार्क मालसी फॉरेस्ट रिजर्व का एक हिस्सा है और देहरादून शहर का सबसे अच्छा वन्यजीव अभ्यारण माना जाता हैं.
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