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धनतेरस पर ऐसे करें पूजा-अर्चना, बरसेगी कृपा

ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से साल भर होती है धन की वर्षा

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खुशहाली और संपन्नता के लिए धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. 
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खुशहाली और संपन्नता के लिए धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. 
(फोटोः iStock)

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धनतेरस के साथ शुरुआत होती है दिवाली की. धनतेरस हिंदुओं लिए काफी शुभ माना जाता है. धन की देवी लक्ष्मी के आगमन और उनकी कृपा के लिए धनतेरस से ही पूजा शुरू करने की प्रथा है. धनतेरस के महत्व, पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं विस्तार से.

पूजा का है खास महत्व

घर में खुशहाली और संपन्नता के लिए धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से साल भर धन की वर्षा होती रहती है. कार्तिक महीने के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को इस त्योहार को मनाया जाता है. इस वजह से इसे धन त्रयोदशी भी कहा जाता है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, धनवंतरी इसी दिन प्रकट हुए थे. उन्हें आरोग्य का देवता माना जाता है. वो एक महान चिकित्सक थे. मान्यताओं के अनुसार वो विष्णु के अवतार थे और समुद्र मंथन के समय उनका अवतरण हुआ था. इसी उपलक्ष्य में इस दिन यह त्योहार मनाया जाता है. इसके अलावा और भी कई मान्यताएं हैं, जिस वजह से हिंदू परिवार इस त्योहार को मनाते हैं.

धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी के साथ धन के देवता कुबेर की पूजा-अर्चना का खास महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन इनकी पूजा करने से सालभर इनकी कृपा बनी रहती है. कभी धन-संपदा की कमी नहीं होती. इसके अलावा भगवान धनवंतरी और काल के देवता यमराज की भी पूजा की जाती है.

ऐसे करें पूजा-अर्चना

शाम को पूजा करने पर विशेष फल मिलता है. पूजा के स्थान पर उत्तर दिशा की तरफ भगवान कुबेर और धनवंतरी की स्थापना कर उनकी पूजा करनी चाहिए. इनके साथ ही माता लक्ष्मी और भगवान की भी पूजा का विधान है. भगवान कुबेर को सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए, जबकि धनवंतरी को पीली मिठाई और पीली चीज प्रिय है. पूजा में फूल, फल, चावल, रोली-चंदन, धूप-दीप का इस्तेमाल करना फलदायक साबित होता है.

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जलाएं यम का दीपक

धनतेरस के मौके पर यमराम के नाम से घर के बाहर एक दीपक निकालने की भी प्रथा है. दीप जलाकर श्रद्धाभाव से यमराज का नमन करना चाहिए.
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पूजा के शुभ मुहूर्त

17 अक्टूबर 2017

शुभ मुहूर्तः शाम 7.19- से रात 8.17 बजे तक

प्रदोष कालः शाम 5.45 से रात 8.17 बजे तक

वृषभ कालः शाम 7.19 से रात 9.14 बजे तक

त्रयोदशी तिथि आरंभः 17 अक्टूबर रात 12.26 मिनट

त्रयोदशी तिथि समाप्तः 18 अक्टूबर रात 12.08 मिनट

नए बर्तन और आभूषण खरीदने का है खास महत्व

धनतेरस के मौके पर नए बर्तन और सोने-चांदी के आभूषण खरीदने का रिवाज है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन ऐसा करने से धन की वर्षा होती है.

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान धनवंतरी जब प्रकट हुए थे, उस समय उनके हाथों में अमृत से भरा कलश था. कलश को प्रतीक मानकर लोग सदियों से इस दिन नए बर्तन खरीदते हैं.

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Published: 16 Oct 2017,07:05 PM IST

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