दीये, लाइटें, मोमबत्ती और घर की साज-सजावट... ये सब आपको एक खास त्योहार पर जरूर नजर आएंगे, वो है दिवाली. इस बार दिवाली 19 अक्टूबर को मनाई जाएगी.
घर की साफ-सफाई, रेनोवेशन से लेकर घर को पेंट करने की तैयारी लोगों ने अभी से शुरू कर रखी है. बाजारों की रौनक अभी से ही देखते बन रही है.
विक्रम संवत कैलेंडर के मुताबिक, दिवाली कार्तिक महीने में अमावस्या को मनाई जाती है. अमावस्या की रात के काले अंधेरे को दूर करने के लिए दीए जलाए जाते हैं. जब श्रीराम अयोध्या लौटे थे, तब तो अयोध्यावासियों ने घी के दिए जलाए थे.
लेकिन अब जब जमाना मॉर्डन हो गया है. तरह-तरह की इलेक्ट्रिक लाइटें मार्केट में आराम से मिल जाती हैं. इस दिन क्या मार्केट, क्या घर, सब रोशनी से जगमगा रहे होते हैं.
देवी 'लक्ष्मी' का इस दिन खास महत्व
घरों को तो 3-4 दिन पहले ही सजा लिया जाता है. इस दिन खास तौर पर देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है. रात को लक्ष्मी और गणेश दोनों की पूजा होती है, ताकि धन और संपत्ति की कमी न हो.
इस पूजा के बाद ही मिठाइयों को आदान-प्रदान शुरू हो जाता है और बच्चे पटाखे जलाने शुरू कर देते हैं. दिवाली से पहले धनतेरस भी खास दिन होता है, जब लोग जेवर, बर्तन वगैरह खरीदते हैं.
तो इस साल क्या है लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त?
काशी विश्वनाथ पंचांग के मुताबिक, 19 अक्टूबर को पूजा करने के लिए तीन मुहूर्त हैं.
पहला : दोपहर 2:17pm से 3:48pm तक स्थिर कुंभ लग्न.
दूसरा : सायं प्रदोष काल 6:55pm से 8:52pm तक स्थिर वृष लग्न.
तीसरा : महानिशा काली पूजा 1:23 से 3:37 तक स्थिर सिंह लग्न.
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल के दौरान सबसे उत्तम मानी जाती है.
दिवाली के बाद भी त्योहारों का सिलसिला जारी रहता है. इसके बाद गोवर्धन पूजा और फिर भाई दूज मनाया जाता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)