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Google ने Eunice Newton Foote's की 204वीं जन्मदिन पर बनाया खास Doodle

Google Doodle: ग्रीनहाउस इफेक्ट तब बनता है जब पृथ्वी की सतह पर सूर्य की गर्मी बनी रहती है.

अंशुल जैन
लाइफस्टाइल
Published:
<div class="paragraphs"><p>Eunice Newton Foote's</p></div>
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Eunice Newton Foote's

(फोटो-गूगल डूडल)

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Google Doodle on Eunice Newton Foote's 204th Birthday: सर्च इंजन गूगल (Google) ने आज, 17 जुलाई को अमेरिकी वैज्ञानिक और महिला अधिकार कार्यकर्ता 'Eunice Newton Foote' की 204वीं जयंती पर खास डूडल बनाया है. Eunice Newton ने ही 'Green House Effect' का अविष्कार किया था. उनका यह योगदान हमारी पृथ्वी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

ग्रीन हाउस इफेक्ट क्या है?

ग्रीन हाउस इफेक्ट का मतलब है जलवाष्प, कार्बन-डाइऑक्साइड, मीथेन और अन्य कुछ गैसें धरती के वातावरण पर बुरा प्रभाव डालती हैं, जिससे ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है. ग्रीनहाउस इफेक्ट तब बनता है जब पृथ्वी की सतह पर सूर्य की गर्मी बनी रहती है.

गैसों के कराण यह गर्मी अंतरिक्ष को ओर नहीं जा पाती. इसी वजह से हमारी धरती गर्म रहती है जो इंसानों के लिए एक खतरा है. इसे खतरे को भांपने का श्रेय 'Eunice Newton' को जाता है. यह वह महिला है जिन्होंने ग्रीन हाउस इफेक्ट के बारे में पता लगाया था.

Eunice Newton Foote's का जन्म कब हुआ

Foote का जन्म आज ही के दिन 1819 में न्यू इंग्लैंड के कनेक्टिकट में हुआ था. साइंस की जानकारी रखने वाली Eunice Newton Foote ने तापमान और गैसों के गर्म होने पर स्टडी की. उन्होंने पाया कि बाहर की हवा में ऑक्सीजन के साथ-साथ काबर्न- डाईऑक्साइड की मात्रा भी काफी ज्यादा है, जिससे हीट पैदा हो रही है और इस हीट को ठंडा होने में काफी ज्यादा समय लग रहा है. उन्होंने स्टडी में बताया कि जब धरती सूर्य की गर्मी को अब्सॉर्ब करती है तो कुछ रेडिएशन वापस चली जाती हैं तो कुछ धरती पर रह जाती हैं.

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इस दौरान सूर्य काबर्न डाईऑक्साइड को धरती की ओर ढकेलता है जो ज्यादा मात्रा में यहीं रह जाती हैं. इसी प्रक्रिया को ग्रीन हाउस इफेक्ट कहा जाता है. समय के साथ-साथ ग्रीनहाउस इफेक्ट के बढ़ने पर हमारी धरती का तापमान भी दिन पे दिन बढ़ता जा रहा है लेकिन सोचने वाली बात यह है कि करीबन 100 साल तक इनकी इस महत्वपूर्ण रिसर्च पर किसी ने ज्यादा खास ध्यान नहीं दिया लेकिन आज हर कोई ग्रीन हाउस इफेक्ट से वाकिफ है.

इस रिसर्च से पता चलता है कि फुटे ऐसी पहली व्यक्ति थीं जिन्होंनें वातावरण में बदलाव को भांपा और उसके बारे में सोचा था. आज हर देश के साइंटिस्ट वातावरण में सुधार को लेकर रिसर्च करते रहते हैं. अपनी पृथ्वी को लेकर हमें भी सर्तक होने की जरूरत है. कोशिश करें कि अपने आसपान हमेशा पेड़ लगाएं. आपकी एक छोटी से कोशिश इसे मुश्किल से निजात दिला सकती है.

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