Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Lifestyle Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Google ने भारत की पहली महिला सत्याग्रही सुभद्रा कुमारी की जयंती पर बनाया doodle

Google ने भारत की पहली महिला सत्याग्रही सुभद्रा कुमारी की जयंती पर बनाया doodle

Subhadra Kumari Chauhan की कविता 'झांसी की रानी' को हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ा गया.

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<div class="paragraphs"><p>Google doodle honours Subhadra Kumari Chauhan</p></div>
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Google doodle honours Subhadra Kumari Chauhan

(फोटो-गूगल)

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Google doodle honours Subhadra Kumari Chauhan: गूगल (Google Doodle) ने आज अपने डूडल के जरिए एक लेखक और स्वतंत्रता सेनानी रहीं सुभद्रा कुमारी चौहान को उनकी 117वीं जयंती के अवसर पर याद किया है, जिनके काम को साहित्य के पुरुष-प्रधान युग में राष्ट्रीय प्रमुखता मिली. उनकी कविता 'झांसी की रानी' को हिंदी साहित्य में सबसे अधिक पढ़ा गया.

गूगल के डूडल पर सुभद्रा कुमारी चौहान साड़ी, कलम और कागज के साथ बैठी नजर आ रही है. डूडल में उनके पीछे स्वतंत्रता आंदोलन की झलक देखने को मिल रही साथ ही एक कोने पर रानी लक्ष्मीबाई को देखा जा सकता है. डूडल को न्यूजीलैंड की गेस्ट आर्टिस्ट प्रभा माल्या ने तैयार किया है.

गूगल के डूडल पर सुभद्रा कुमारी चौहान साड़ी, कलम और कागज के साथ बैठी नजर आ रही है. डूडल में उनके पीछे स्वतंत्रता आंदोलन की झलक देखने को मिल रही साथ ही एक कोने पर रानी लक्ष्मीबाई को देखा जा सकता है. डूडल को न्यूजीलैंड की गेस्ट आर्टिस्ट प्रभा माल्या ने तैयार किया है.

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उन्होंने 1919 में प्रयागराज के क्रॉस्थवेट गर्ल्स स्कूल से मिडिल-स्कूल की परीक्षा पास की थी. खंडवा के ठाकुर लक्ष्मण सिंह चौहान के साथ विवाह के बाद वह ब्रिटिश राज के खिलाफ महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हुईं और बाद में देश की पहली महिला सत्याग्रही बनीं. 1923 और 1942 में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के लिए उन्हें दो बार जेल जाना पड़ा.

आंदोलन में एक भागीदार के रूप में उन्होंने अपनी कविता का इस्तेमाल किया. चौहान की कविता और गद्य मुख्य रूप से उन कठिनाइयों के इर्द-गिर्द केंद्रित थे, जिन पर भारतीय महिलाओं ने विजय प्राप्त की, जैसे कि लिंग और जातिगत भेदभाव.

आज, चौहान की कविता ऐतिहासिक प्रगति के प्रतीक के रूप में पढ़ी जाती है, जो आने वाली पीढ़ियों को सामाजिक अन्याय के खिलाफ खड़े होने और राष्ट्र के इतिहास को आकार देने वाले शब्दों का जश्न मनाने के लिए प्रोत्साहित करती है.

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Published: 16 Aug 2021,09:21 AM IST

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