Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Lifestyle Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019मलिहाबाद में इस बार पेड़ से आम नहीं, किसानों के आंसू टपक रहे

मलिहाबाद में इस बार पेड़ से आम नहीं, किसानों के आंसू टपक रहे

Malihabad Mango: मलिहाबाद में आम की फसल लगभग 70 से 80 फीसदी तक बर्बाद हुई

अनुराग सिंह
लाइफस्टाइल
Updated:
i
null
null

advertisement

यूपी की राजधानी लखनऊ का मल‍िहाबाद (Malihabad) क्षेत्र अपने दशहरी आमों के ल‍िए प्रसिद्ध है, लेकिन प‍िछले तीन सालों से यहां आम का उत्‍पादन बहुत ज्‍यादा प्रभाव‍ित हुआ है. इसे लेकर किसानों का कहना है कि बदलते मौसम के कारण आमों पर छिड़की जाने वाली कीटनाशक दवाइयां बेअसर हो रही हैं. वहीं, कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि मौसम असंतुलित होने के कारण ऐसा हो रहा है.

आम की खेती में आई कमी

मलिहाबाद क्षेत्र के बागों में आम इस बार न के बराबर हैं. जो थोड़ा बहुत है भी उन्हें कीट चट कर जा रहे हैं. लगभग 70 से 80 फीसदी आम की फसल बर्बाद हो चुकी है. इससे पहले कोरोना की मार झेल रहे किसान इस बार मौसम की मार झेल रहे हैं. मलिहाबाद के आम किसान लगातार तीसरे साल नुकसान उठा रहे हैं. इससे पहले के सालों में कोरोना की मार थी वहीं इस बार मौसम और कीट से किसान परेशान हैं.

मलिहाबाद के किसानों ने बताया क‍ि पिछले कई सालों की अपेक्षा पहली बार फसल कम हुई है. कीटों से बचाव के लिए दवा का छिड़काव तो कर रहे, लेकिन उसका कोई असर नहीं दिख रहा.

किसानों ने किया अपना दर्द बयान

राम कुमार यादव (55) पहले आम की बागवानी किया करते थे लेकिन अब वो चाय का ठेला लगाते हैं. वो बताते हैं कि ‘पहले मैं भी आम की खेती किया करता था लेकिन पिछले कुछ सालों में नुकसान बहुत हो गया. जिस वजह से मुझे आम की खेती छोड़नी पड़ी.

मैंने जिस बाग को किराए पर लिया था उसमें आम ही नहीं आए. कर्ज लेकर मैं यह काम करता रहा, कर्ज बढ़ता चला गया. आज नौबत यह आ गयी कि मुझे सड़क पर चाय का ठेला लगाना पड़ रहा. स्‍थित‍ि ऐसी रही तो आने वाले दिनों में मलिहाबाद में न तो आम बचेंगे और न ही किसान.
राम कुमार यादव, आम किसान, मलिहाबाद

राम कुमार यादव कहते हैं-''अपनी बाग में आठ बार छ‍िड़काव करा चुका हूं. इसके बाद भी कीटों का प्रकोप कम नहीं हो रहा है. समझ नहीं आ रहा कि इस बार कीटों पर दवाइयां काम क्यों नहीं कर रहीं. दवा दुकान वाले कहते हैं कि गर्मी की वजह से कीटनाशक काम नहीं कर रहे. मुझे लगता है, बाजार में नकली कीटनाशक आ गए हैं.

आम दिखाते हुए तुलसीराम यादव (45) निराश हो जाते हैं. बताते है कि ‘ये आम पहले 30 से 40 रुपए क‍िलो में ब‍िकता था, वह अब 10 से 15 रुपए में बिक रहा. आमदनी इतनी भी नहीं होगी क‍ि इसके भरोसे घर का खर्च चल जाए. पहले इतनी कमाई होती थी क‍ि सालभर बैठकर खाते थे.'

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

आम की खेती ने किसानों को किया परेशान

दुर्गा प्रसाद (40) बताते हैं कि ‘इस बार भी आम की फसल अच्छी नहीं हुई. अब हिम्मत टूट रही है. लखनऊ के मल‍िहाबाद क्षेत्र में दुर्गा प्रसाद के कई आम के बाग हैं. प‍िछले तीन साल से नुकसान हो रहा है. इस बार मार्च में खूब मंजर और फल आए थे, लेकिन ना जाने क्‍या हुआ सब खत्‍म हो गए. ज‍िन बागों में आम बचे हैं, उन्‍हें कीटों से बचाने के ल‍िए डेढ़ लाख का कीटनाशक छिड़क चुका हैं, लेकिन लगता नहीं कि लागत भी न‍िकल पाएगी. कीटों ने सब खराब कर रखा है.’

आकाश (21) बताते हैं - ''मेरे साथ के लड़के आम की खेती करने के बजाय दिल्ली- बम्बई जाकर मजदूरी करना पसंद कर रहे हैं. मैं खुद बाहर जाकर मजदूरी नहीं करना चाहता था लेकिन आप हाल देखिये. इस आम की फसल के भरोसे परिवार का खर्चा कैसे चलेगा ?

आम की खेती क्यों हुई बर्बाद ?

लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और कृषि विशेषज्ञ सुधीर पवार बताते हैं कि मार्च में जब गर्मी बढ़ी तो इन कीटों के लिए वह बेस्‍ट मौसम बन गया. ऐसा नहीं क‍ि ये कीट पहले नहीं होते थे. लेकिन तब उनके साथ कुछ अच्‍छे कीट भी होते थे. जो फलों की रक्षा करते थे और नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को खा लेते थे. साथ ही कीट-पतंगों में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, वो अपने आप को मौसम के अनुकूल जल्दी ढाल लेते हैं. इस वजह से उनपर कीटनाशक बेअसर हो रहे हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 11 Jul 2022,06:03 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT