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Mirza Ghalib 225th Birth Anniversary: इश्क के शायर मिर्जा असदउल्लाह बेग खान गालिब (Mirza Ghalib) का जन्म 27 दिसंबर 1797 को ताज नगरी आगरा (Agra) में हुआ था. उनके पिता का नाम अबदुल्ला बेग और माता का नाम इज्जत उत निसा बेगम था. अपनी शायरी के लिए वे न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर हैं. आज भी शायरों के मंच पर उनका नाम बड़े अदब के साथ लिया जाता है. आज गालिब की जयंती पर हम आपके लिए उनकी मशहूर शायरी, शेर व गजल लेकर आए हैं.
1. हम को मअलूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के खुश रखने को 'गालिब' ये खयाल अच्छा है
2. इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया
वर्ना हम भी आदमी थे काम के
3. मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
4. इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
5. उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है
6. ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
7. रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है
8. इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
9. बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब'
कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है
10. हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
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