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नवरात्रि साल में दो बार मनाई जाती है. एक बार शारदीय नवरात्रि और एक बार चैत्र नवरात्रि होती है. हर साल चैत्र नवरात्रि चैत्र मास के शुक्लपक्ष को मनाई जाती है. इस साल चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से शुरू हो रही है. 24 मार्च की दोपहर 2 बजकर 57 मिनट पर चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि शुरू हो रही है और यह 25 मार्च को 5 मिनट 26 मिनट तक रहेगी. चैत्र नवरात्रि के प्रारंभ होते ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत भी हो जाती है. इस साल 25 मार्च से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2077 भी शुरू हो गया है. चैत्र का महीना हिंदू नववर्ष का पहला महीना माना जाता है.
24 मार्च की दोपहर में नवरात्रि शुरू होने की वजह से कलश स्थापना और पूजा अगले दिन यानी 25 मार्च की सुबह से की जाएगी. चैत्र नवरात्रि 25 मार्च से शुरू होकर 2 अप्रैल तक चलेंगे. नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के 9 रुपों की पूजा की जाती है.
चैत्र मास में नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है. नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी मां की पूजा होती है. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती है. पांचवें दिन मां स्कंदमाता, छठवें दिन मां कात्यायिनी , सातवें दिन मां कालरात्रि, नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी और नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. ये नौ रूप माता दुर्गा के माने गए हैं.
नवरात्रि के पहले दिन विधि-विधान के साथ कलश स्थापना की जाती है. कलश में आम के पत्ते और जौ के दाने के साथ सूखा नारियल भी रखा जाता है.
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