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'बोर्ड पर भरोसा नहीं' असम पेपर लीक के बाद एग्जाम कैंसिल, छलका स्टूडेंट्स का दर्द

Assam Board के अब तक दो पेपर, सामान्य विज्ञान और आधुनिक भारतीय भाषा (असमिया) लीक हो चुके हैं.

सुब्रतो, मिली माला & हिमाद्री बोरा
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<div class="paragraphs"><p>असम बोर्ड की परीक्षा रद्द होने पर प्रदर्शन करते छात्र</p></div>
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असम बोर्ड की परीक्षा रद्द होने पर प्रदर्शन करते छात्र

(फोटोः क्विंट हिंदी)

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असम बोर्ड की 10वीं परीक्षा के पेपल लीक (Assam Board Paper Leak) होने से छात्रों के बीच खलबली मच गई है. अब तक दो पेपर, सामान्य विज्ञान और आधुनिक भारतीय भाषा (असमिया) लीक हो चुके हैं. इन दोनों विषयों की परीक्षा अंतिम समय में रद्द कर दी गई थी और अब इसे फिर से शेड्यूल किया गया है.

"मेरी जैसी स्टूडेंट अत्यधिक तनाव में हैं. क्योंकि परीक्षाओं के रद्द होने से दबाव बढ़ गया है. मैं उन छात्रों में से एक हूं जो इस वर्ष SEBA बोर्ड की परीक्षा दे रहे हैं. मेरी परीक्षा 3 मार्च को शुरू हुई थी, और मैंने पहले ही तीन परीक्षाएं दी है, लेकिन हमारी विज्ञान की परीक्षा रद्द हो गई. हमारी अगली परीक्षा 1 अप्रैल को है, अगर इसकी वजह से हमारे नतीजे प्रभावित हुए तो क्या होगा?"

ये परीक्षाएं हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं. इतनी मेहनत से पढ़ने के बाद हमें पता चला कि हमारी परीक्षा रद्द कर दी गई है.

"हमें डर है कि हमारी अन्य परीक्षाओं के साथ भी ऐसा ही हो सकता है. हमने विश्वास खो दिया है और अब बोर्ड पर भरोसा नहीं कर सकते. क्या होगा अगर वे हमारी अगली परीक्षा से पहले भी कुछ इसी तरह की घोषणा करते हैं? तब हम क्या करेंगे?"

अंतिम समय में सूचना दी

इरोंगमारा हाई स्कूल की छात्रा मल्ली माला को परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के बाद परीक्षा रद्द होने की सूचना दी गई.

आखिरी समय में कैंसिल होने से मची अफरा-तफरी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं परीक्षा केंद्र गई और वहीं मुझे पता चला कि पेपर लीक होने के कारण परीक्षा रद्द कर दी गई है. अब, परीक्षा को कुछ और दिनों के लिए टाल दिया गया है, जो कि एक लंबा समय है. यह हम सभी के लिए बहुत बड़ी क्षति है."

महीनों तक की मेहनत, अब रद्द हुई परीक्षाएं

बोर्ड और शिक्षकों को यह समझने की जरूरत है कि हमने महीनों में कितनी मेहनत की है.

"हमने अपने दिल में इतनी उम्मीद के साथ दिन-रात मेहनत की थी. लोग कल्पना नहीं कर सकते कि हम क्या कर रहे हैं या हम कैसा महसूस कर रहे हैं. भले ही वे समझ नहीं सकते, मैं चाहता हूं कि उन्हें सख्त से सख्त सजा मिले. उन्हें इस तरह से दंडित किया जाना चाहिए कि वे अपने जीवन में कभी भी किसी शैक्षणिक संस्थान में कदम रखने की हिम्मत न करें."
हिमाद्रि बोरा, छात्रा

('माई रिपोर्ट' के लिए सिटिजन जर्नलिस्ट द क्विंट को सबमिट करते हैं. हालांकि द क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों/आरोपों की जांच करता है, रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त किए गए विचार सिटिजन जर्नलिस्ट के अपने हैं. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

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