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'चेन्नई के बीच पर इस्तेमाल के लायक बाथरूम खोजना एक बड़ा चैलेंज' |My Report

MY Report: Chennai के 'सबसे स्वच्छ' समुद्र तट पर बाथरूम खोजने के लिए आपको कितना भटकना होगा?

इशिता जयरथ
My रिपोर्ट
Published:
<div class="paragraphs"><p>'चेन्नई के बीच पर इस्तेमाल के लायक बाथरूम खोजना एक बड़ा चैलेंज'</p></div>
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'चेन्नई के बीच पर इस्तेमाल के लायक बाथरूम खोजना एक बड़ा चैलेंज'

(फोटो- द क्विंट)

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मैंने 17 मार्च को चेन्नई के एडवर्ड इलियट बीच गयी, जिसे बेसेंट नगर बीच के नाम से जाना जाता है. यह भारत में सबसे अधिक विजिट किए जाने वाले समुद्र तटों में से एक है. इस साल फरवरी में, ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन द्वारा बीच को चेन्नई में सबसे साफ बीच घोषित किया गया था.

मुझे अच्छा खाना, बीच पर घूमने फिरने वाले लोगों की भीड़ मिली. लेकिन एक सार्वजनिक शौचालय की बड़ी कमी थी. इसलिए, मैंने बीच के आस-पास सार्वजनिक शौचालय खोजने के लिए Google मैप का सहारा लिया. गूगल मैप ने मेरे आसपास पांच शौचालय दिखाए. सबसे नजदीक शौचालय का पता लगाने के लिए मैंने स्थानीय लोगों की मदद ली.

बीच दो किलोमीटर से अधिक लंबा है. शौचालय की तलाश में मैं स्थानीय दुकानदारों की मदद से दक्षिण दिशा की ओर चलने लगी.

बेसेंट नगर बीच का मैप

(Map Credit-Google Maps)

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नजदीकी शौचालय खोजने में मुझे लगभग 11 मिनट लगे. शुक्र है, मैंने समुद्र तट के सेंटर से शुरुआत की, अगर मैं बीच के एकदम नॉर्थ कोने से शुरू करती, तो शौचालय तक पहुंचने में 11 मिनट और लगते. शौचालय पहुंचने पर मुझे केवल टूटा इंफ्रास्ट्रक्चर, गंदे फर्श और टूटे हुए दरवाजे मिले. पानी ओवरफ्लो हो रहा था, जो दर्शाता है कि सीवेज सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा था.

बेसेंट नगर बीच के पास मौजूद टॉयलेट की हालत

(फोटो-Samarth Mishra)

कल्पना कीजिए कि कोई 11 मिनट तक पैदल चलकर शौचालय जाए और उसको पता चलें कि शौचालय की हालत इतनी खस्ताहाल है कि उसका उपयोग नहीं किया जा सकता. मुझे ऐसे शौचालय का उपयोग करने के लिए जिसकी हालत इतनी खराब है 5 रुपये देने पड़े, जिसका रखरखाव ग्रेटर चेन्नई कॉर्पोरेशन करता है.

सिर्फ मैं ही नहीं, मैं कई लोगों से मिली जो मेरी ही तरह शौचालय की समस्या से परेशान हैं. पहले तो शौचालय ढ़ूंढना एक दुरूह काम है और फिर उसकी हालत इतनी खराब कि उसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.

"मैं लगभग हर दिन बीच पर आती हूं. यदि हर दिन नहीं, तो सप्ताह में कम से कम तीन बार तो आती ही हूं. शौचालयों की कमी काफी बड़ी परेशानी है. क्योंकि यह एक बड़ा बीच है. यहां बहुत कुछ उपलब्ध है, लेकिन सबसे बुनियादी सुविधा यानी शौचालय ही उपलब्ध नहीं है. सार्वजनिक वॉशरूम होना बुनियादी है. सार्वजनिक वॉशरूम पास में होने चाहिए, और जो यहां पास में मौजूद हैं, वो वॉशरूम बहुत ही गंदे हैं."
निवेदिता, बीच विजिटर

टॉयलेट में कूड़ा भी पड़ा हुआ था

(फोटो-Samarth Mishra)

मैंने एक और वॉकर से बात की, जिन्हें बीच पर वॉशरूम इस्तेमाल करने के लिए इतनी दूर चलकर जाना बेहद मुश्किल लगता है.

"मैं रोज बीच पर वॉक करता हूं. हां, हमें वॉशरूम इस्तेमाल करने के लिए इतनी दूर चलकर जाना बेहद मुश्किल लगता है. जब हमें शौचालयों का उपयोग करने की आवश्यकता होती है तो वे उपलब्ध नहीं होते हैं, और जो उपलब्ध हैं उनकी हालत इतनी खराब है कि उनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. उनका रखरखाव बनाए रखने की आवश्यकता है. यूजर और निगम उन्हें ठीक से बनाए नहीं रखते हैं. शौचालय की सुविधा का उपयोग थोड़े समय के लिए ही किया जा सकता है, और फिर यह कचरा बन जाता है "
रामास्वामी, बीच विजिटर

2018 में तमिलनाडु सरकार ने चेन्नई को खुले में शौच मुक्त घोषित किया. लेकिन हकीकत इससे इतर नजर आ रही है. सरकार ने अधिक से अधिक शौचालय बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन उससे भी अधिक महत्वपूर्ण इन शौचालयों का रखरखाव है.

('माई रिपोर्ट' के लिए सिटिजन जर्नलिस्ट द क्विंट को सबमिट करते हैं. हालांकि द क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों/आरोपों की जांच करता है, रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त किए गए विचार सिटिजन जर्नलिस्ट के अपने हैं. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

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