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यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र- 1-1.5 लाख की फ्लाइट, सरकार हमें यहां से निकाले

यहां रहने वाले तमाम विदेशी डरे हुए हैं और अपने देश लौटना चाहते हैं.

फ़िरोज़ अहमद खान
My रिपोर्ट
Published:
<div class="paragraphs"><p>यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र- 1-1.5 लाख की फ्लाइट, सरकार हमें यहां से निकाले</p></div>
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यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र- 1-1.5 लाख की फ्लाइट, सरकार हमें यहां से निकाले

(फ़ोटो: क्विंट हिंदी)

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वीडियो प्रोड्यूसर: वर्षा रानी
वीडियो एडिटर: दीप्ती रामदास

रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के बीच, राजधानी कीव में मौजूद भारतीय दूतावास ने 15 फरवरी को एक एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों, विशेष रूप से ऐसे छात्रों को यूक्रेन से बाहर निकलने के लिए कहा, जिनका वहां रहना जरुरी नहीं है.

दूतावास की इस घोषणा ने यूक्रेन में रहने वाले हम भारतीय छात्रों को कई दुविधाओं में डाल दिया है, जैसे कि आसमान छूती फ्लाइट्स की कीमतें और यूक्रेन में बनी हुई अनिश्चित स्थिति.

यहां रहने वाले तमाम विदेशी डरे हुए हैं और अपने देश लौटना चाहते हैं. इजराइल और फिलीपींस जैसे देशों ने पहले ही अपने छात्रों को वापस आने के लिए कहा और उन्हें निकालने के लिए विमान भी भेजे.

“फ्लाइट्स की टिकट की कीमत भी बहुत ज़्यादा बढ़ गई हैं. जो फ्लाइट 20,000-30,000 रुपये में उपलब्ध थीं, अब हमें लगभग 80,000-90,000 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं. इकोनॉमी टिकट की कीमत 1 से 1.5 लाख रुपये तक है. एक छात्र के लिए फ्लाइट टिकट के लिए इतनी बड़ी रकम चुकाना बहुत मुश्किल है"
हिमांशु (छात्र, ओडेसा नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी)
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“भारत लौट आएं, तब भी भविष्य अनिश्चित”

यहां यूक्रेन में लोग किराने का सामान जमा कर रहे हैं. दूतावास की एडवाइजरी में कहा गया है कि जो छात्र यहां गैर-जरूरी काम के लिए हैं, वे भारत के लिए रवाना हो सकते हैं, लेकिन एडवाइजरी में कुछ स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है.

"अगर हम भारत वापस जाते हैं तो भी बहुत अनिश्चितताएं हैं. क्या हमारी कक्षाएं ऑनलाइन या ऑफलाइन होंगी? यहां के डीन ने हमें बताया है कि हमारी कक्षाएं ऑफलाइन होंगी, इसलिए ये सब हमारी पढ़ाई बाधित करेगा."
अतीकुर्रहमान (छात्र, ओडेसा नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी)

यह स्थिति है जिसमें हम फंस गए हैं और हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वो हमें निकाले. अगर वे ऐसा नहीं कर सकते हैं, तो वे कम से कम फ्लाइट टिकटों की कीमतें कम कर दें. इसके अलावा, हम यह भी चाहते हैं कि हमारा देश एक ऐसा रास्ता निकाले जिससे हमारे भारत वापस जाने पर भी यहां की शिक्षा प्रभावित न हो.

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