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My रिपोर्ट: अशोक पटेल
वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद
रिपोर्टर: राहुल नायर
6 साल पहले सुरेंद्रनगर, गुजरात के गांव नानागोरिया में एक छोटी सी नहर बनाई गई थी. नहर बनने के इतने सालों बाद भी सरकार मुश्किल से उसमें पानी छोड़ती है. जबकि ये नहर सुरेंद्रनगर के मालिया में बनी मुख्य नहर नर्मदा से जुड़ी हुई है.
पिछले विधानसभा चुनाव में सरकार ने ये वादा किया था कि गांव वालों को नर्मदा नहर के जरिए खेती के लिए भरपूर पानी मिलेगा. यहां तक कि सरकार ने अखबारों में ये इश्तेहार भी छपवाए थे कि जो किसान खेती करते हैं वो नर्मदा का पानी इस्तेमाल करने के लिए फॉर्म भरें और उसे जमा करें.
गोरिया गांव के किसानों ने सरकार की सभी औपचारिकताओं को पूरा किया. लेकिन फिर भी गांव के किसान अपने खेतों के लिए पानी से महरूम हैं. सरकार के तमाम वादों के बावजूद नहर ज्यादातर सूखी पड़ी रहती है.
नहर में पानी की समस्या एक अलग बात है. हद तो तब हो जाती है जब कभी- कभार आने वाले पानी में अगर किसान खेती के लिए नहर में पंप डालते हैं तो सरकार राज्य रिजर्व पुलिस (SRP) के जरिए मजबूर किसानों के पंप नहर में से निकलवा देती है. यही नहीं किसानों को राज्य रिजर्व पुलिस द्वारा परेशान भी किया जाता है.
अशोक पटेल, निवासी, नानागोरिया
ये सिर्फ पानी की समस्या नहीं है. अभी तक लोग गांव में बस सेवाओं का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में गांव के उन गरीबों का क्या जो गांव से शहर तक सफर तय करने के लिए अपना खुद का वाहन नहीं खरीद सकते?
गांव की महिलाओं को भी बहुत समस्याएं हैं क्योंकि गांव में ग्रामीण स्वास्थ्य क्लीनिक जैसी कोई व्यवस्था तक नहीं है. जब गांव की महिलाएं प्रेग्नेंट होती हैं तो उन्हें डिलिवरी के लिए नानागोरिया से 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.
इस चुनाव में ये किसी पॉलिटिकल पार्टी से बात नहीं करेंगे. लोग पहले उनसे पुराने वादों का हिसाब- किताब मांगना चाहते हैं और नेताओं से पूछना चाहते हैं- क्या हुआ तेरा वादा?
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Published: 09 Apr 2019,01:37 PM IST