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India&Pakistan: भारत और पाकिस्तान के राजनीतिक रिश्ते तनावपूर्ण होने की वजह से सरहद के दोनों तरफ रहने वाले लोगों के लिए एक-दूसरे के देश में जाना और वहां के बारे में जानना कठिन हो गया है. पर एक पाकिस्तानी के तौर पर मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे भारत आने का मौका मिला और हमारी साझा संस्कृति और इतिहास को महसूस करने का भी मौका मिला.
हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया के उर्स में शिरकत करने के लिए मैं नवंबर 2023 में एक हफ्ते के लिए दिल्ली आया था. हम पाकिस्तानी डेलीगेशन लाहौर से रोड के रास्ते वाघा बॉर्डर, अटारी बॉर्डर के रास्ते दिल्ली तक आए थे.
बचपन से हमने दिल्ली के बारे में बहुत कुछ पढ़ रखा है किताबों में, मूवीज में और टीचर्स से सुना है लेकिन वहां जाने का अनुभव बहुत अलग था, बहुत स्पेशल था और बहुत अच्छा भी था. दिल्ली में मैंने जामा मस्जिद, लाल किला, कनॉट प्लेस, इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन देखा और कुतुब मीनार का इलाका तो बहुत दिलचस्प है. मैं नेशनल म्यूजियम, नेशनल रेल म्यूजियम में भी गया था.
मैंने नई दिल्ली की जामा मस्जिद में भारत और पाकिस्तान के साझा इतिहास को फिर से याद किया.
भारत की विविधता से भरी हुई धार्मिक संस्कृति मुझे बेहद अच्छी लगी. हिंदू मुसलमान सिख ईसाई हर किस्म के लोग वहां रह रहे थे और इकट्ठे रह रहे थे. पाकिस्तान में वैसा कल्चर देखने को नहीं मिलता है. पाकिस्तान में वो मुमकिन नहीं है, यहां मुस्लिम बहुसंख्यक हैं. 96-97 % मुस्लिम हैं. हर किस्म के लोगों को शांति से रहते एक पाकिस्तानी के तौर पर देखना मेरे लिए एक बहुत अच्छा अनुभव था
हमारा होटल पहाड़गंज के अंदर था. आप जानते हैं कि पहाड़गंज बहुत भीड़-भाड़ वाले इलाका है, वहां बहुत शोर होता है, बहुत गाड़ियां होती हैं. रिक्शे वालों को लेकर मेरा जो उस इलाके का अनुभव था, वो बहुत अच्छा नहीं था. पाकिस्तान भी काफी जनसंख्या वाला देश है लेकिन पाकिस्तान का एक भी शहर दिल्ली जैसा भीड़ वाला नहीं है.
दिल्ली में मैच देखना मेरे लिये बहुत ज्यादा खास था. मैंने फिरोज शाह कोटला में जो वर्ल्ड कप का मैच देखा. ये लीग मैच था और बांग्लादेश और श्रीलंका के बीच खेला जा रहा था.
एक पाकिस्तानी क्रिकेट फैन के तौर पर फिरोज शाह कोटला के बारे में सबको पता है.
इस पूरी यात्रा में सबसे भावुक सबसे खास पल वो था, जब मैं अपने डेरा इस्माइल खान के पुराने बाशिंदों से मिला. डेरा इस्माइल खान मेरा घर है. जब मैं दिल्ली आया तो मैं कुछ ऐसे परिवारों से मिला जो डेरा इस्माइल से बटवारे के वक्त बेघर हो गए थे.
बिनसर बाई, जो पाकिस्तान से भारत आ गई, अपने पाकिस्तानी दिनों को याद करते हुए कहती हैं, ''लोग डेरा इस्माइल खान से मेरे घर दरया खान किराए पर रहने आते थे. तब किराया केवल 10 पैसे था मगर लोग वो भी नहीं दे पाते थे.''
हमारी आगे की बातचीत में वो कोटला जाम का नाम लेती हैं, जहां उनकी शादी हुई थी.
आज भी करीब 90% लोग भारत पाकिस्तान में ऐसे हैं, जो एक दूसरे से नफरत नहीं करते. हकीकत है कि हम एक जैसे लोग हैं और हमे एक दूसरे से बहुत मोहब्बत है. जो पोलिटिकल लोग हैं, जो फैसला करने का इख्तियार रखते हैं, उन्हें होश आये. और हम पर रहम आए कि हम भारत और पाकिस्तान के लोगों के दरमियान जो हमने नफरत की दीवारें खड़ी की हैं, उन्हें गिरा दें. लाखों पाकिस्तानी भारत को और लाखों भारतीय पाकिस्तान को देखना चाहते हैं. मैं भारत को और देखना चाहता हूं. मैं जयपुर, कोलकाता, केरल सब देखना चाहता हूं. उम्मीद करता हूं एक दिन ऐसा होगा.
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