advertisement
मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए वेटलैंड्स बेहद जरुरी हैं. जागरुकता की कमी के चलते प्रकृति से मिले इस तोहफे के महत्व को हम समझ नहीं पा रहे हैं. देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 15.26 लाख हेक्टयर वेटलैंड्स से घिरा है. ये वेटलैंड्स बेहद महत्वपूर्ण हैं.
वेटलैंड्स का अर्थ होता है आर्द्र या नम भूमि. जहां करीब 6 मीटर गहरा पानी हो और वह साल भर जमा रहे. 2 फरवरी को दुनिया भर में विश्व आर्द्र भूमि (वेटलैंड्स) दिवस मनाया जाता है.
इसकी शुरुआत ईरान से हुई थी. सबसे पहले 1971 में 2 फरवरी को वेटलैंड्स बचाने के लिये ईरान के रामसर में पहला सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस सम्मेलन को रामसर सम्मेलन (कन्वेंशन) भी कहा जाता है.
इस सम्मेलन में एक अंतरराष्ट्रीय समझौता किया गया था, जिसके तहत विश्व भर के वेटलैंड्स की सुरक्षा करना था. पहला कन्वेंशन सन् 1971 में हुआ था, लेकिन 2 फरवरी को विश्व आर्द्र भूमि दिवस के रूप में पालन करने का सिलसिला सन् 1997 में शुरू किया गया था.
साल 2010 में सरकार ने ISRO से एक सेटेलाइट सर्वे कराया था. इसमें देश भर में 2 लाख से ज्यादा वेटलैंड्स के बारे में पता लगाया गया था. रामसर कन्वेंशन ने साल 2016 तक विश्व भर की 2266 वेटलैंड्स को अंतरराष्ट्रीय महत्त्व का घोषित किया है, इनमें 26 वेटलैंड्स भारत के हैं. इनमें वेम्बनाद झील देश का सबसे बड़ा वेटलैंड्स है, जो 3 लाख एकड़ से भी ज्यादा जगह में फैला हुआ है.
शहर से लेकर गांव देहातों में भी छोट बड़े वेटलैंड्स मौजूद हैं. लेकिन इन पर भूमाफियाओं की नजरें हैं. जम्मू-कश्मीर के बंदीपोरा जिले में स्थित एशिया के बड़े वेटलैंड्स में शुमार वुलर लेक का क्षेत्रफल 157 वर्ग किलोमीटर था, जो साल 2007 तक आते-आते घटकर 86 वर्ग किलोमीटर रह गया. इसके 40 फीसद हिस्से को कृषि भूमि में तब्दील कर दिया गया है. वुलर की तरह ही डल और निगील झील के अस्तित्व पर भी संकट है. गुवाहाटी में डीपोर वेटलैंड्स के किनारे कूड़ा फेंका जा रहा है, जिससे यह गन्दा हो रहा है.
साल 2002 में रामसर साइट्स के रूप में चिन्हित ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स पर भी अतिक्रमण हो रहा है, जो किसी से छिपा नहीं है. जबकि यह वेटलैंड्स कोलकाता और आसपास के क्षेत्र से निकलने वाले 250 मिलियन लीटर गंदे पानी का प्राकृतिक तरीके से स्वच्छ करता है और कार्बन को सोखता है. उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जनपद का समान पक्षी विहार पर अतिक्रमण कर खेती की जा रही है. इस पक्षी विहार में हर साल हजारों सैलानी पक्षी आते हैं. अतिक्रमण और ध्यान न देने के कारण यहां आने वाले पक्षियों की संख्या निरंतर घट रही है.
सही बात तो ये है कि ठोस कार्रवाई न होने के कारण वेटलैंड्स पर अतिक्रमण कर उन पर खेती की कोशिशें तेज हो गई हैं.
उत्तर प्रदेश में वेटलैंड्स पर सबसे बड़ा खतरा है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पर कुल 23,890 वेटलैंड्स हैं, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 5.16 प्रतिशत है. उत्तर प्रदेश में वेटलैंड्स पर मंडराते खतरे को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी भी नाराजगी जाहिर कर चुकी है.
वेटलैंड्स कई जरूरी जरूरतों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये मानव के सहायक के रूप में देखे जाने चाहिए. पानी को स्वच्छ रखने, बाढ़ नियंत्रण, कार्बन को सोखने, भूजल स्तर को बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में वेटलैंड्स का अहम योगदान है. वेटलैंड्स में शहरों से निकलने वाले गंदे पानी को प्राकृतिक तरीके से ट्रीट कर उसे सिंचाई लायक बनाने की भी क्षमता होती है. यह हमें बाढ़ से भी बचाते हैं.
सच तो यह है कि वेटलैंड्स के खत्म होने से वायु प्रदूषण बेतहाशा बढ़ जाएगा, क्योंकि वेटलैंड्स कार्बन को सोखते हैं. वेटलैंड्स नहीं रहेंगे तो लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे. इसलिए जरूरी है कि वेटलैंड्स के संरक्षण को प्राथमिकता की सूची में डाला जाए. क्योंकि वेटलैंड्स को सुनियोजित ढंग से धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश की जा रही है. यह नहीं भूलना चाहिए कि वेटलैंड्स प्राकृतिक सौंदर्य बढ़ाने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इसलिए विश्व वेटलैंड्स दिवस पर हम सब को इन्हें बचाने का प्रण लेना चाहिए. क्योंकि वेटलैंड्स बच रहेंगे तो मनुष्य भी सुरक्षित रहेंगे.
(सभी माई रिपोर्ट सिटिजन जर्नलिस्टों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट है. द क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है, लेकिन रिपोर्ट और इस लेख में व्यक्त किए गए विचार संबंधित सिटिजन जर्नलिस्ट के हैं, क्विंट न तो इसका समर्थन करता है, न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)
Published: undefined