मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019My report  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019कोविड में अपने डॉक्टर पति को खोया था, अब तक मुआवजे का इंतजार

कोविड में अपने डॉक्टर पति को खोया था, अब तक मुआवजे का इंतजार

आजतक मैं और मेरा परिवार दुख के बोझ और आर्थिक कठिनाइयों से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है.

दीक्षा झा
My रिपोर्ट
Published:
<div class="paragraphs"><p>डॉक्टर शेखर दत्ता झा और उनका परिवार</p></div>
i

डॉक्टर शेखर दत्ता झा और उनका परिवार

फोटो: दीक्षा झा

advertisement

COVID19 की पहली लहर के दौरान कई डॉक्टरों की मौत हुई. ऐसे ही एक कोविड वॉरियर थे, झारखंड के 46 वर्षीय शेखर दत्ता झा. डॉ. शेखर की कोविड से मौत 24 अगस्त 2020 को हुई.

मुझे याद है जब 2020 में कोरोना अपने चरम पर था, पूरे देश में लॉकडाउन लगा था. डॉक्टर्स की छुट्टियां रद्द कर दी गईं थी और सभी डॉक्टर्स अपनी ड्यूटी पर लगे थे.

एक दिन वो अपनी ड्यूटी से लौटे तो उन्होंने कहा “मुझे अपनी तबियत ठीक नहीं लग रही है.” हमने उनका टेस्ट करवाया तो वो कोविड पॉजिटिव निकले.

हमने बोकारो के अस्पतालों में काफी बेड ढूंढे लेकिन यहां हमें कुछ नहीं मिला. फिर रांची और आसपास के शहरों के अस्पतालों में बेड ढूंढने की कोशिश की, लेकिन वहां भी हमें कुछ नहीं मिल सका. आखिर में कुछ डॉक्टर्स की मदद से हमें दुर्गापुर में एक बेड मिला जो बोकारो से काफी दूर है.

हमने उन्हें वहां शिफ्ट किया और उनका इलाज शुरू हुआ. लेकिन बदकिस्मती से दो दिन बाद ही उनकी मौत हो गई. 24 अगस्त 2020 को हमने उन्हें खो दिया. तब से आज तक मैं और मेरा परिवार दुख के बोझ और आर्थिक कठिनाइयों से निपटने के लिए संघर्ष कर रहा है.

डॉक्टर शेखर दत्ता झा की तस्वीर

फोटो: दीक्षा झा

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

"मुआवजे के नाम पर सरकार से सिर्फ खोखले वादे मिले"

उनकी मौत के बाद हमारा संघर्ष शुरू हुआ. सरकार ने कहा कि हमें मुआवजा मिलेगा लेकिन आजतक हमें सरकार से सिर्फ खोखले वादे मिले और कुछ नहीं. मेरे पति को सिर्फ कोविड वॉरियर का अवार्ड मिला जो मुझे धनबाद के कलेक्टर ने वादा किया था.

जिस मुआवजे का ऐलान हमारे प्रधानमंत्री ने किया था. वो भी हमें नहीं मिला. वो कागजों में कहीं खोकर रह गया है.

मुझे पता है डॉक्टर्स ने कितनी बुरी स्थिति में ड्यूटी की है, जब पीपीई किट और मास्क की भी कमी थी. न दवाइयां थी, न इंजेक्शन लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने अपनी ड्यूटी की.

मैं सरकार से ये प्रार्थना करती हूं कि जब मेरे पति और दुसरे डॉक्टर्स ने अपना 200 प्रतिशत दिया तो इसके बाद भी आप हमारे साथ क्यों नहीं खड़े हुए. आप भी उनकी तरह अपना काम करो, उनको कोरोना वॉरियर का अवार्ड दो और जो कुछ उन्होंने किया उसके लिए कम से कम उनकी सराहना करो.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT