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"13 साल तक काम करने के बाद निकाल दिया", दिल्ली के एक कोविड योद्धा की व्यथा

RML Hospital Layoff: 15 दिसंबर को दिल्ली के RMLअस्पताल ने संविदा पर काम कर रहे 43 नर्सिंग स्टाफ को नौकरी से निकाला.

जोजी एमजे
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<div class="paragraphs"><p> RML हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टाफ हैं.</p></div>
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RML हॉस्पिटल के नर्सिंग स्टाफ हैं.

(फोटो- द क्विंट)

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15 दिसंबर, 2022 को दिल्ली के डॉ. राममनोहर लोहिया अस्पताल (RML) ने संविदा पर काम कर रहे 43 नर्सिंग स्टाफ को नौकरी से निकाल दिया है. ये सभी नर्सिंग स्टाफ साल 2009 से काम कर रहे थे. संविदा नर्सिंग स्टाफ का चयन भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से पारदर्शिता के आधार पर हुआ था. बता दें कि 14 फरवरी, 2022 को RML हॉस्पिटल ने अस्पताल के 151 संविदा नर्सिंग अधिकारियों को टर्मिनेशन लेटर जारी किया था. नौकरी से निकाले गए सभी स्टाफ वापस नौकरी पर रखने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन रहे हैं.

कोविड महामारी के दौरान इन नर्सिंग स्टाफ को परमानेंट नौकरी का प्रलोभन देकर काम करवाया गया. इसके बावजूद पिछले महीने इन लोगों को निकाल दिया गया.

राम मनोहर लोहिया अस्पताल नई दिल्ली में काम करने वाली संविदा नर्सिंग स्टाफ ने COVID-19 के समय में अपनी जान जोखिम में डालकर और अपने परिवार की परवाह ना करते हुए नियमित सेवाएं दी थी. COVID के दौरान 90 परसेंट संविदा नर्सिंग स्टाफ कोविड-19 से संक्रमित भी हो गए थे.

उन्हीं में से एक नर्सिंग स्टाफ जोजी एमजे भी हैं, जिन्होंने अपनी व्यथा सुनाई. जोजी घर में अकेली कमाने वाली हैं. उनके दो बच्चें हैं. कोविड-19 के दौरान पति और ससुर की मौत हो गई थी. ये नौकरी ही उनके जीवनयापन का एकमात्र सहारा था. वो भी उनसे छिन गया.

हमने 13 से 14 साल नौकरी की. पति के जाने के बाद ये जॉब ही जिंदगी जीने की उम्मीद थी. लेकिन 15 दिसंबर 2022 को छुट्टी कर दी गई. मैंने कोविड में काम किया. इस दौरान मैं कोविड पॉजिटिव हुई, जिसके बाद मेरा परिवार पॉजिटिव हुआ. जिससे मेरे पति और ससुर की मौत हो गई. उस समय मेरे गोद में 9 महीने की बेटी और 7 साल का बेटा था. मैं घर में अकेले कमाने वाली थी. अब मैं क्या करूंगी. 13 साल काम करने के बाद मेरी उम्र नहीं बची है कि कहीं नौकरी के लिए आवेदन कर सकूं. मैं कहा जाऊं और अब सरकारी सेवा के लिए भी अधिकतम आयु सीमा समाप्त हो गई है.
नर्सिंग अधिकारी जोजी एमजे

जोजी एमजे कहती हैं, सरकार ने कहा था, कोरोना महामारी में 100 दिन से अधिक काम करने वाले चिकित्साकर्मियों को जॉब देने में प्राथमिकता दी जाएगी. लेकिन ये तो नौकरी से ही निकाल दिए.

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