मेंबर्स के लिए
lock close icon
Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019My report  Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019सूरत में उजड़े आशियाने- "हमें कीड़े मकोड़ों की तरह बाहर फेंक दिया"

सूरत में उजड़े आशियाने- "हमें कीड़े मकोड़ों की तरह बाहर फेंक दिया"

Surat Demolition : जिनके घर छिन गए हैं, अब वो बिना छत, पानी, सफाई और बिजली के रह रहे हैं.

क्विंट हिंदी
My रिपोर्ट
Updated:
<div class="paragraphs"><p>फोटो साभार : जुबैर शेख</p></div>
i
null

फोटो साभार : जुबैर शेख

advertisement

24 अगस्त को सूरत के मफत नगर, अंगशी नगर और मिलन नगर में रेलवे लाइन के पास करीब 500 झुग्गियों को रेलवे पुलिस ने ध्वस्त कर दिया, जिससे सैकड़ों गरीब बेघर हो गए. लेकिन एक दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति रखने का आदेश दिया. जिन लोगों के घर छिन गए अब वो बिना छत, पानी, सफाई और बिजली के रह रहे हैं. अब इन बेघरों की मांग है कि सरकार रहने को घर दिलाए. फिलहाल, 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई करेगा.

एक स्थानीय स्माइल शेख के अनुसार, मोफतनगर झुग्गी, रेलवे ट्रैक के पास बारिश में लोग किसी तरह अपने सिर को अपने शरीर को छुपाकर बैठे हैं. इनके पास कोई व्यवस्था नहीं है. यहां पर गरीब लोगों का सामान और बर्तन पड़े हुए हैं.

सूरत और उधना के बीच रेलवे की भूमि पर लगभग 10,000 झुग्गियों के साथ लगभग 21 बस्तियां हैं, या जैसा कि लोग आमतौर पर उन्हें "झुग्गी" कहते हैं. वे वहां पांच दशकों से अधिक समय से रह रहे थे.

19 अगस्त 2021 को, गुजरात उच्च न्यायालय ने यथास्थिति बनाए रखने के अपने 23 जुलाई 2014 के अंतरिम आदेश को खारिज कर दिया, जिसने पश्चिमी रेलवे को सूरत-उधना से जलगांव परियोजना के साथ तीसरा रेलवे ट्रैक बिछाने की अनुमति दी. रेलवे ने झुग्गीवासियों को 24 घंटे के भीतर जमीन खाली करने का नोटिस दिया है. 24 अगस्त को रेलवे ने आकर पूरी बस्तियों को ढहा दिया.

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई. सर्वोच्च न्यायालय ने 25 अगस्त को 1 सितंबर तक ढहाने के काम पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया, जिसे फिर से अगली सुनवाई के लिए बढ़ा दिया गया जो कि अब 16 सितंबर 2021 को होने वाली है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सूरत में रेलवे लाइन के पास तहस नहस हुई मिलन नगर झुग्गी

फोटो साभार: जुबेर शेख

झुग्गी में रहने वाली महमूदा रोते हुए कहती हैं, "मंगलवार के दिन वो आये. सब सो रहे थे. पूरा का पूरा बुल्डोजर चलाकर चले गए. सब समान गिराकर चले गए. हम लोग बस कपड़ा लेकर किसी तरह भागे."

हमीदा का कहना है कि अब हम लोग बाथरूम का पानी ला लाकर पी रहे हैं. लगभग 62 वर्षीय सानू बाई बताती हैं कि उनका जन्म ही यहीं हुआ है. खाने का पैसा नहीं है तो अब इसका पैसा कैसे भरेंगे!

वहीं की एक स्थानीय निवासी कैलाशी देवी कहती हैं,

"हमारी हालात इतनी खराब है कि पूछो मत. 4-5 दिन हो गया है हमारी झुग्गी में किसी ने खाना नहीं खाया है. सब रात रात, दिन दिन बैठकर देख रहे हैं कि कोई तो सहारा देगा. कोई सरकार आएगा. वोट के बदले तो सब आते हैं. यह कहते हुए कि बहन, भाई मेरी मदद करो. लेकिन आज हमारी मदद के लिए कौन आ रहा है? कोई देखने नहीं आ रहा झोपड़ी में. कीड़े-मकौड़े समझकर फेंक दिए हैं हमको इधर."

अब इन बेघरों की मांग है कि इनको सरकार रहने को घर दिलाये. क्योंकि वो पूरी तरह से बेघर हो चुके हैं.

"हमें यही नहीं समझ आ रहा है कि इतने साल तक हम रहे, इतना सब कुछ सेट किया, सब जमाया. अब अचानक से हमारी झुग्गी टूट जाएगी. तो हम लोग कहां जाएंगे? क्या करेंगे? किस तरह से हमारा जीवन व्यतीत होगा?".
अब्दुल वाहिद खान, एक स्थानीय

कैलाशी देवी का कहना है कि, "गरीबों के लिए आवास निकाले थे न? बोले थे कि गरीब से गरीब को हम फ्री में आवास देंगें. तो हमको क्यों नहीं दे रहे हैं? हम भी तो गरीब हैं, झोपड़ी में पड़े हैं. एक से बढ़कर एक समाचार में आता है कि ये दे रहे हैं गरीबों को, वो दे रहे हैं गरीबों को. पर हम तो भूखे मर रहे हैं, हमको तो कोई नहीं दे रहा है.

सरकार से हाथ जोड़कर विनती है कि हमको रहने के लिए जगह चाहिए, घर के बदले घर दे दो, हम सब चले जायेंगे. कुछ नहीं चाहिए. हमें रहने का ठिकाना दे दीजिए, नहीं तो इधर ही पड़े रहेंगे."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

अनलॉक करने के लिए मेंबर बनें
  • साइट पर सभी पेड कंटेंट का एक्सेस
  • क्विंट पर बिना ऐड के सबकुछ पढ़ें
  • स्पेशल प्रोजेक्ट का सबसे पहला प्रीव्यू
आगे बढ़ें

Published: 09 Sep 2021,11:20 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT