advertisement
(आईएएनएस)। नोएडा (Noida) स्टेडियम में आज से शुरू हुए कियोस्क का संचालक एसिड अटैक से पीड़ित महिलाएं करेंगी। नोएडा अथॉरिटी ने स्टेडियम में दो कियोस्क इन महिलाओं को अवंटित किए हैं। इससे पहले लखनऊ व आगरा में शीरोज हैंग आउट नाम के कैफे की शुरूआत हो चुकी है, जिन्हें एसिड अटैक पीड़िताएं संचालित करती हैं।
इसका उद्देश्य पीड़ित महिलाओं को अपना जीवन चलाने का एक रास्ता मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सकेगी। नोएडा अथॉरिटी ने यह दोनों कैफे नो प्रॉफिट-नो लॉस पर आवंटित किए हैं।
छाव फाउंडेशन नामक एक संस्था पहले से ही एसिड पीड़ित महिलाओं के लिए काम कर रही है और उन्ही की मदद से आगरा और लखनऊ में भी यह कैफे खोले गए हैं। वर्तमान समय में इस संस्था से 150 पीड़ित जुड़ी हुई हैं और अब तक 35 पीड़िताएं विभिन्न जगहों पर कार्यरत हैं।
इस दौरान यूपी मुजफ्फरनगर निवासी एसिड अटैक पीड़िता रूपा ने बताया कि, उनके ऊपर उनकी सौतेली मां ने मुझे मारने के उद्देश्य से एसिड फेंका था। ढाई साल की उम्र में मेरी मां गुजर गई और पिता ने दूसरी शादी करली। एसिड से हमला होने के बाद मेरे चाचा ने परवरिश की, हालांकि कई लोग कहते थे कि मुझे मार देना चाहिए क्योंकि उनके मुताबिक मेरी जिंदगी में कुछ नहीं बचा था। लेकिन हिम्मत न हारने के कारण आज मैं यहां अपने पैरों पर खड़ी हूं।
दरअसल नोएडा स्टेडियम में मौजूद पहले के कैफे बेहद लंबे वक्त से बंद पड़े हुए थे, जिससे वहां आने वाले लोगों को समस्याएं उत्पन्न होती थी, नोएडा ऑथोरिटी ने जब इसके लिए कैफे संचालक ढूंढे तो छाव फाउंडेशन की ओर कदम बढ़ाया गया।
एक अन्य पीड़िता डॉली ने अपना दुख साझा कर बताया कि, 2013 में एक युवक ने मेरे ऊपर तेजाब फेंक हमला किया, क्योंकि वह मुझे पसंद करता था और मैने उसे मना कर दिया था। मेरी उम्र महज 13 वर्ष थी। हमला हो जाने के दो साल बाद घर से बाहर निकली और इस संस्था से जुड़ी और आज मुझे एक बार फिर जीने का मौका मिला है। मुझे डांस करना भी बेहद पसंद है जिसे मैं सीख भी रहीं हूं।
नोएडा अथॉरिटी ने साफ कर दिया है इन पीड़िताओं के लिए जो संभव मदद होगी उसे किया जाएगा। नोएडा में स्वच्छता का बड़ा जिक्र होता रहता है। इन पीड़िताओं को स्वच्छता अभियान का ब्रांड एम्बेसडर भी बनाने पर विचार किया जा सकता है।
साथ ही बतौर मोटिवेशनल स्पीकर भी इन पीड़िताओं को संपर्क किया जाएगा। वहीं एक पीड़िता को वॉली बॉल खेलना पसंद है इसके लिए ऑथोरिटी उस पीड़िता को स्टेडियम में सिखाने में मदद तो करेगा ही साथ ही वॉली बॉल भी उपलब्ध कराया जाएगा।
स्टेडियम में खुले इस कैफे में बैठने की सुविधा रहेगी, सोशल इवेंट कराने की भी सुविधा होगी। फ्री वाईफाई और बच्चों के लिए विशेष मेन्यू भी रहेगा। दरअसल पीड़िताओं को कैफे के जरिये आर्थिक सहायता पहुंचाना ही इस एनजीओ को उपलक्ष नहीं बल्कि समाज में इन महिलाओं के प्रति सोच बदलना भी है। साथ ही यह अभियान चलाकर कानूनों में बदलाव करने की भी मांग की जा रही है।
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)