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अजमेर में 11 अक्टूबर 2007 को सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में हुए बम ब्लास्ट केस में एनआईए की विशेष अदालत ने फैसला सुनाया है. इसमें आरोपी स्वामी असीमानंद को सबूतों के अभाव के चलते बरी कर दिया गया है.
वहीं 9 में से तीन आरोपियों को दोषी करार दिया गया. इनमें सुनील जोशी (पहले ही मौत हो चुकी है), भावेश और देवेंद्र गुप्ता के नाम शामिल हैं.
11 अक्टूबर 2007 को शाम रोजा इफ्तार के समय दरगाह परिसर में एक बम ब्लास्ट हुआ. इसमें 3 लोगों की मौत हो गई थी और 15 लोग घायल हो गए थे. धमाके के बाद पुलिस ने छानबीन की तो एक जिंदा बम भी बरामद किया गया था, जिसमें बाद में निष्क्रिय किया गया.
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