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अनिल मिश्रा: राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले सभी विधि-विधानों के प्रधान यजमान कौन हैं?

Ram Mandir में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले सभी विधि-विधान में डॉ. अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा मिश्रा प्रधान यजमान हैं

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<div class="paragraphs"><p>होम करते अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी</p></div>
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होम करते अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी

फोटो- @ShriRamTeerth/ X

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अयोध्या के राम मंदिर (Ram Mandir) में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले सभी विधि-विधान में डॉ. अनिल मिश्रा और उनकी पत्नी उषा मिश्रा प्रधान यजमान हैं. समारोह से एक सप्ताह पहले शुरू हुए पूर्व अनुष्ठानों में वे भाग ले रहे हैं. वहीं वाराणसी के लक्ष्मीकांत दीक्षित अनुष्ठान के प्रधान पुजारी हैं. इसकी जानकारी खुद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से दी गयी है.

गौरतलब है कि संस्कृत में 'यजमान' का अर्थ होता है, वह व्यक्ति जिसकी ओर से कोई अनुष्ठान या यज्ञ किया जाता है. आइए यहां आपको बताते हैं कि आखिर डॉ. अनिल मिश्रा हैं कौन?

कौन हैं अनिल मिश्रा?

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार अनिल मिश्रा सरकार द्वारा गठित राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मेंबर हैं. अयोध्या के रहने वाले डॉ. मिश्रा पिछले चार दशकों से शहर में अपना होम्योपैथिक क्लिनिक चला रहे हैं. उनका जन्म यूपी के अंबेडकर नगर जिले में हुआ है. कुछ साल पहले वह उत्तर प्रदेश होम्योपैथिक बोर्ड के रजिस्ट्रार और गोंडा के जिला होम्योपैथिक अधिकारी के आधिकारिक पद से रिटायर हुए हैं.

साल 1981 में उन्होंने बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी में डिग्री प्राप्त की थी.

अनिल मिश्रा का आरएसएस से पुराना नाता रहा है. उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया.

7 दिवसीय पूर्व अनुष्ठान के दौरान प्रधान यजमान अनिल मिश्रा क्या करेंगे?

मंगलवार, 16 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा से पहले होने वाले पूर्व-अनुष्ठान शुरू हुए. मुख्य यजमान होने के नाते डॉ. मिश्रा ने सरयू नदी में डुबकी लगाई और. फिर उन्होंने पंचगव्य (गाय का दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र) और घी से होम किया. इस दौरान उनकी पत्नी भी उनके साथ मौजूद थीं. उन्होंने पंचगव्य का भोग किया, जिसके साथ उनका व्रत शुरू हो गया. इसके बाद फिर उन्होंने द्वादशाब्द पक्ष से प्रायश्चित के लिए गोदान किया

दोनों ने संकल्प लिया और कर्मकुटी पूजा की. उसके बाद उन्होंने और उनकी पत्नी ने हवन किया.

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अगले दिन बुधवार को, डॉ. मिश्रा और उनकी पत्नी कलश पूजन करेंगे. उसके बाद बर्तनों में सरयू नदी से पानी भरकर उस स्थान पर ले जाया जाएगा, जहां अनुष्ठान किया जा रहा है. दूसरे दिन भगवान रामलला की मूर्ति की आंखें बंद कर उन्हें मंदिर परिसर में घुमाया जाएगा. अनुष्ठान के दूसरे दिन दोपहर 1:20 के बाद क्रमशः जलयात्रा, तीर्थपूजन, ब्राह्मण-बटुक- कुमारी -सुवासिनी पूजन, वर्धिनीपूजन, कलशयात्रा एवं भगवान श्री रामलला की मूर्ति का प्रासाद परिसर में भ्रमण होगा.

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