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केंद्र सरकार ने "राष्ट्रीय लोक जनता दल" (RLJD) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को वाई प्लस (Y+) कैटेगरी की सुरक्षा दी है. इसके तहत अब कुशवाहा की सुरक्षा में हर समय 11 जवान तैनात रहेंगे, जिसमें CRPF के चार कमांडो और पुलिस कर्मी शामिल होते हैं. उपेंद्र कुशवाहा से पहले बीजेपी ने VIP पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी को Y+ और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान को जेड (Z) कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान की थी.
केंद्र सरकार द्वारा अचानक उठाए गए इस कदम को लेकर अब कई तरह के कयास लग रहे हैं और माना जा रहा है कि बिहार में बदली राजनीतिक परिस्थितियों में बीजेपी ने ऐसा कदम उठाया है. लेकिन इस कदम के क्या मायने हैं, आईये आपको समझाते हैं.
दरअसल, पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा अभी कुछ दिनों पहले तक JDU संसदीय दल के अध्यक्ष थे, लेकिन नीतीश कुमार से विवाद के बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और अपनी अलग पार्टी RLJD बनाई है. जेडीयू में रहने के दौरान भी उन्हें बिहार सरकार की तरफ से Y+ सुरक्षा दी गई थी जो बाद में हट गई.
उपेंद्र कुशवाहा इन दिनों बिहार में "विरासत बचाओ नमन यात्रा" निकाल रहे हैं. जानकारी के अनुसार, कुशवाहा ने अपनी सुरक्षा को लेकर आशंका जताई थी, जिसकी IB द्वारा समीक्षा की गई और फिर गृह मंत्रालय ने उन्हें सुरक्षा प्रदान की.
राजनीतिक जानकार इसे सियासी चश्में से देख रहे हैं. उनका कहना है कि नीतीश कुमार से अलग होने के बाद बीजेपी लगातार उनकी काट निकालने में जुटी है. इसी क्रम में चिराग पासवान, मुकेश सहनी और अब उपेंद्र कुशवाहा को सुरक्षा दी गई है. जानकारी के अनुसार, अब बीजेपी की निगाह HAM नेता जीतनराम मांझी पर है. सूत्रों की मानें तो जल्द ही जीतनराम मांझी की भी सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है.
पूर्णिया में पिछले महीने हुई महागठबंधन की रैली के दौरान भी नीतीश कुमार इस तरफ इशारा किया था.
नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को घोखा देने के BJP के आरोपों पर सफाई देते हुए कहा, "जरा बताइये मांझी जी को, हम छोड़कर उनको खुद बिहार का मुख्यमंत्री बनाए. बीच में बेचारे उनके साथ गए तो क्या किए, आपने जीतनराम मांझी का कुछ किया, आपके साथ भी थे तो भी कुछ बनवाए इनको."
इसके कुछ दिन बाद जीतनराम मांझी ने सफाई पेश करते हुए कहा कि "हम नीतीश कुमार को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे." दरअसल, बिहार में अपनी गरीब संपर्क यात्रा के दौरान मांझी ने अपने बेटे और बिहार सरकार में मंत्री संतोष कुमार को मुख्यमंत्री का चेहरा बताया था. उन्होंने कहा उनके बेटे संतोष कुमार सुमन बिहार में किसी भी अन्य नेता से बेहतर मुख्यमंत्री साबित होंगे.
बिहार में कास्ट पॉलिटिक्स भी हावी है. मुकेश सहनी मल्लाह समाज से आते हैं और प्रदेश में निषादों की आबादी करीब 3-4 फीसदी है. बिहार में 5 लोकसभा सीटों पर निषादों का सीधा प्रभाव है. उपेंद्र कुशवाहा का 13 से 14 जिलों में प्रभाव है और वोट के हिसाब से प्रदेश में कुशवाहा की करीब 7 से 8 फीसदी प्रदेश में आबादी है. पासवान समाज दलित में आता है और प्रदेश में उसकी करीब 4.2 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि मांझी महादलित में आते हैं और वो बिहार में 10 प्रतिशत हैं.
ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी 2024 चुनाव के मद्देनजर बिहार में छोटे दलों पर निगाह लगाए हुए है. वो नीतीश कुमार और महागठबंधन को कमजोर करने के लिए हर संभव प्रयास में जुटी है.
(इनपुट-महीप राज)
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