Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019'किस्मत' और 'परिवार' से लड़ रही बाल विवाह पीड़िता, दूसरों की करना चाहती है मदद

'किस्मत' और 'परिवार' से लड़ रही बाल विवाह पीड़िता, दूसरों की करना चाहती है मदद

महाराष्ट्र में जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच महिला एवं बाल विकास विभाग ने बाल विवाह के 780 मामले पकड़े हैं.

हिमांशी दहिया
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>महाराष्ट्र में जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच बाल विवाह के 780 मामले सरकार ने पकड़े</p></div>
i

महाराष्ट्र में जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच बाल विवाह के 780 मामले सरकार ने पकड़े

चित्रणः एरम गोर/द क्विंट

advertisement

(पहचान छिपाने के उद्देश्य से बाल विवाह पीड़िता और उसके परिजनों के नाम बदल दिए गए हैं)

शिखा महाराष्ट्र के मराठवाड़ा (Marathwada) क्षेत्र के छोटे से कस्बे अंबजोगई की रहने वाली हैं. वह गन्ना काटने वाले मजदूर रमेश और सुधा की 5 बेटियों में चौथे नंबर पर है. बाल विवाह परिवार की परंपरा रही है. शिखा की तीन बड़ी बहनों की शादी 11, 13 और 12 साल की उम्र में हुई. हालांकि उसे यह अंदाजा नहीं था उसकी शादी 12 साल की उम्र में तय होगी और वो भी कोरोना महामारी के वक्त. इसलिए जब उसके जीवन का इतना 'बड़ा दिन' आया तो उसने बचने की भरपूर कोशिश की. उसने शादी का विरोध किया, यहां तक की घर से भाग भी गई, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.

"शुरू में तो मुझे समझ भी नहीं आया कि मेरे साथ क्या हो रहा है. उन्होंने (परिजनों) मुझे अचानक एक दिन कहा कि बड़ी बहनों की तरह अब मेरी शादी का भी वक्त आ चुका है. मैंने कहा उनसे कहा कि मैं आगे पढ़ना चाहती हूं, लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी."
शिखा

शिखा महाराष्ट्र के पिछड़े समुदाय सोनार से आती हैं. इसी साल मई में जब पूरा देश कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा था और लोग अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन के एक-एक सिलेंडर के लिए तरस रहे थे, 12 साल की यह बच्ची अपने सपनों के लिए लड़ रही थी. उसके परिजनों ने अपने समुदाय के ही एक 17 साल के लड़के से उसकी शादी तय की थी. शिखा ने इसका विरोध किया, लेकिन उसकी बात किसी ने नहीं सुनी. आखिकार परेशान होकर वह घर से भाग गई, लेकिन 5 घंटे बाद परिवार वाले उसे बस स्टैंड से पड़कर ले आए. बाद में उसकी शादी कर दी गई और उसे 100 किमी दूर बीड स्थित उसके ससुराल भेज दिया गया.

पारिवारिक परंपरा या फिर कोरोना की वजह गरीबीः शिखा को किस वजह से इतनी कम उम्र में दुल्हन बनना पड़ा?

शिखा की मां सुधा ने 'द क्विंट' को बताया, ''हमारे पास कोई और चारा नहीं था. महामारी की वजह से हमारी आदमनी खत्म हो गई थी, लेकिन दो और बेटियों की शादी करनी थी. हमारे पास इसके अलावा और क्या विकल्प था?''

सुधा और उनके पति गन्ना काटने का काम करते हैं, मराठवाड़ा क्षेत्र में इस पेशे से लगभग 7 लाख लोग जुड़े हैं. गन्ना काटने वाले ये मजदूर सीजनल होते हैं, जो हर साल गन्ने की फसल काटने के लिए अक्टूबर से अप्रैल के बीच पश्चिमी महाराष्ट्र और कर्नाटक पहुंचते हैं. बाकी समय ये दिहाड़ी मजदूर के तौर पर शहरों और गांवों में काम करते हैं.

कोरोना महामारी ने ऐसे कई गन्ना काटने वाले मजदूरों की गरीबी की दहलीज पर ला दिया है, क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उनके लिए रोजगार के अवसर खत्म से हो गए.

बचाई तो गई, लेकिन परिवार वापस लेने को तैयार नहीं

बीड में ससुराल पहुंचने के एक दिन बाद ही कुछ स्थानीय लोगों और पड़ोसियों ने शिखा की मौजूदगी की जानकारी बाल अधिकार कार्यकर्ताओं को दे दी. इसके बाद बाल अधिकार कार्यकर्ता तत्वशील कांबले ने पुलिस के साथ मिलकर उसे ससुराल से बचाया और और अंबजोगई में परिवार के पास ले गए.

बाल अधिकार कार्यकर्ता कांबले बताते हैं, ''शिखा के साथ क्या हुआ था, यह खुलकर बताने में उसे कुछ वक्त लगा''.

जब उसने अपने परिजनों के बारे में हमें बताया तो हम उसे अंबजोगई ले गए, लेकिन वे उसे वापस लेने को तैयार नहीं थे
तत्वशील कांबले

हालांकि पूरे प्रकरण ने कांबले को हैरान नहीं किया है. उनका कहना है कि ऐस कई मामलों में अकसर परिजन बचाए गए बच्चों को वापस लेने से इनकार कर देते हैं. वे कहते हैं, ''फिलहाल के लिए शिखा को सरकार शेल्टर होम में रखा गया है. वहां उसके जैसे कई और बच्चे भी हैं. उसकी ऑनलाइन पढ़ाई भी फिर से शुरू हो गई है.''

हमने साथ नहीं रखने को लेकर शिखा की मां से बात की. उनका कहना है कि परिवार की परंपरा है कि एकबार अगर बेटी की शादी हो गई तो किसी भी हालत में वो दोबारा वापस मायके नहीं आ सकती है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

वहीं कांबले ने बताया कि ऐस कई मामलों में ऐक्टिविस्ट और सरकार बच्चों को फिर से परिजनों के पास नहीं भेजते हैं. उनका कहना है कि इसमें रिस्क होता है. कई परिजन लड़कियों को उस वक्त तो वापस घर पर रख लेते हैं, लेकिन बाद में फिर से ससुराल भेज देते हैं.

शिखा डॉक्टर बनना चाहती है, लेकिन ऐसी दूसरी लड़कियों का क्या?

शेल्टर होम में शिखा अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रही है. वो डॉक्टर बनना चाहती है.

कुछ महीने पहले तक मेरी कोई कोई योजना नहीं थी, लेकिन अब मैं डॉक्टर बनना चाहती हूं और दूसरों की मदद करना चाहती हूं. मैं ऑनलाइन क्लास ले रही हूं और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रही हूं.
शिखा

शिखा का दाखिला बीड के सरकारी स्कूल में पांचवीं कक्षा में कराया गया है. हालांकि बाल विवाह का शिकार होने वाली वह अकेली लड़की नहीं है. कोरोना महामारी की वजह से बड़ी संख्या में लड़कियों की कम उम्र में शादियां कराई जा रही हैं. केवल महाराष्ट्र में ही महिला एवं बाल विकास विभाग ने जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच बाल विवाह के 780 मामले पकड़े हैं. आंकडों से पता चलता है कि 2019 के मुकाबले जनवरी से सितंबर 2020 के बीच महाराष्ट्र में बाल विवाह के मामलों में 78 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।

अगर पूरे भारत के स्तर पर देखें तो आंकड़े आर भी भयावह हैं। यूनिसेफ की मार्च 2021 में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार पिछले दशक में कम से कम 2.5 करोड़ बाल विवाह को रोका गया है. हालांकि कोरोना महामारी की वजह से एकबार फिर 1 करोड़ से ज्यादा लड़कियों पर बाल विवाह का खतरा मंडरा रहा है.

बाल विवाह रोक अधिनियम 2006 के अनुसार भारत में 18 साल से कम उम्र की लड़कियों की 21 साल से कम उम्र के लड़कों की शादी पर रोक है. इसमें सजा का भी प्रावधान है. महाराष्ट्र में बीड, जालना और आरंगाबाद जिलों में सबसे ज्यादा बाल विवाह के मामले सामने आते हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT