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चीनी हैकर्स ने भारत के पावर ग्रिड को किया हैक, खुफिया जानकारी जुटाई- रिपोर्ट

खुफिया फर्म रिकॉर्डेड फ्यूचर इंक की एक रिपोर्ट के अनुसार चीनी हैकरों ने भारत में बिजली क्षेत्र को टारगेट किया है.

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<div class="paragraphs"><p>सांकेतिक तस्वीर</p></div>
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सांकेतिक तस्वीर

(फोटो: BloombergQuint)

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चीन (China) अलग-अलग तरीकों से भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में जुटा रहता है, कभी सीमा पर घुसपैठ करके तो कभी डिजीटल तकनीकों को निशाना बना कर. इस बार चीन ने ये कोशिश भारत के ऊर्जी क्षेत्र में की है.

खुफिया फर्म रिकॉर्डेड फ्यूचर इंक की एक रिपोर्ट के अनुसार संदिग्ध राज्य-प्रायोजित चीनी हैकरों ने हाल के महीनों में अपने साइबर-जासूसी अभियान के तहत भारत में बिजली क्षेत्र (Power Grid) को टारगेट किया है.

रिपोर्ट के अनुसार हैकर्स ने उत्तर भारत में कम से कम सात 'लोड डिस्पैच सेंटर्स' पर निशाना साधा है, जो लद्दाख में विवादित भारत-चीन सीमा के पास स्थित क्षेत्रों में ग्रिड कंट्रोल और बिजली की सप्लाई करते हैं.

पावर ग्रिड को लंबे समय तक टारगेट किया

इससे पहले एक और 'लोड डिस्पैच सेंटर्स' हैकिंग समूह 'रेडइको' का टारगेट था. रिकॉर्डेड फ्यूचर रिपोर्ट में कहा गया है, कि "चीन से जुड़े समूहों ने भारतीय पावर ग्रिड संपत्तियों को लंबे समय तक टारगेट किया जिससे आर्थिक जासूसी या खुफिया जानकारी जुटाने के मौके मिलते हैं." उन्होंने आगे कहा कि,

हम मानते हैं कि ये संभावित रूप से महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे और भविष्य की गतिविधि के लिए पूर्व-स्थिति के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का इरादा है.

इसके अलावा, रिपोर्ट के अनुसार, हैकर्स ने एक भारतीय राष्ट्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रणाली और एक बहुराष्ट्रीय रसद कंपनी की एक सहायक कंपनी से समझौता भी किया है.

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पहले चीन की PLA से जुड़ा था ये सॉफ्टवेयर

रिकॉर्डेड फ्यूचर के मुताबिक, TAG-38 नाम के हैकिंग समूह ने शैडोपैड नाम के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है, जो पहले चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी और राज्य सुरक्षा मंत्रालय से जुड़ा था. हालांकि, शोधकर्ताओं ने पीड़ितों की पहचान नाम से नहीं की.

रिकॉर्डेड फ्यूचर के एक वरिष्ठ प्रबंधक जोनाथन कोंड्रा ने कहा कि हमलावर जिस तरह से उपकरणों का इस्तेमाल घुसपैठ करने के लिए कर रहे थे वो असामान्य था.

उन्होंने कहा कि घुसपैठ के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरण दक्षिण कोरिया और ताइवान में स्थित थे. चीनी विदेश मंत्रालय ने प्रेस समय के अनुसार इसपर कोई जवाब नहीं दिया और लगातार दुर्भावनापूर्ण साइबर गतिविधि में शामिल होने से इनकार किया है. भारतीय अधिकारियों ने भी इसपर कुछ कहने से इंकार कर दिया है.

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