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इत्र कारोबारी पीयूष जैन (Piyush Jain) को महानगर मजिस्ट्रेट कारपोरेशन की कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. पीयूष के यहां छापेमारी में 177 करोड़ रुपये कैश और 23 किलो सोना बरामद हुआ है. कानपुर, कन्नौज दरअसल कुछ दिनों से आईटी रेड को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. पीयूष के अलावा प्रवीण जैन और प्रदीप अग्रवाल के खिलाफ भी कार्रवाई हुई है. तो इस कहानी के ये तीन किरदार हैं कौन? कैसे जमा की इन लोगों ने अकूत दौलत?
क्विंट की पड़ताल के मुताबिक कानपुर और कन्नौज में घर और इत्र के कारोबार के अलावा पीयूष जैन फैक्ट्री, कोल्ड स्टोर, पेट्रोल पंप के भी मालिक हैं. पीयूष जैन का मुंबई में भी घर, हेड ऑफिस और शोरूम है. कारोबारी की कंपनियां मुंबई में भी रजिस्टर हैं. पीयूष जैन के पास तकरीबन 20 से अधिक कंपनियां हैं, इनमें से दो मिडिल ईस्ट में भी हैं. जैन के मुंबई के शोरूम से परफ्यूम देश और विदेश में बिकता है.
क्विंट ने जब पड़ताल की तो पता चला कि पीयूष के बड़े भाई अमरीष जैन का नाम कन्नौज में कंपाउंड किंग (गुटखा और इत्र में शामिल होने वाला सामान) के नाम से मशहूर हैं. दोनो भाइयों ने इसी पीढ़ी में ये संपत्ति अर्जित की है, मतलब कोई पुस्तैनी संपत्ति नहीं मिली थी. पीयूष जैन और उसके बड़े भाई अमरीष जैन दोनों पहले गुटका कंपनियों को कच्चा माल बेचते थे. फिर इत्र के कारोबार में आ गए. फिर धीरे-धीरे दोनों भाई अब 20 से अधिक कंपनियों के मालिक हो गए हैं.
कानपुर, आनंदपुरी के जिस घर में रेड पड़ी उसे पीयूष ने साल 2007 में खरीदा था. लेकिन खुद कभी-कभी ही आते थे. बेटा प्रत्युष और प्रियांश यहीं रहते हैं. बताया जाता है कि घर में अकूत दौलत होने के चलते गिने चुने लोग ही आते थे. घर में सीसीटीवी नहीं है, लेकिन घर के बाहर और छतों पर कंटीले तारों की फेंसिंग है. जिनमें रात को करंट दौड़ता है. घर के अंदर काले शीशे लगे हैं. जिससे कोई अंदर की हलचल ना देख सके.
प्रवीण जैन पीयूष जैन के बड़े भाई अमरीश जैन का साला है जो कि कानपुर में गणेश ट्रांसपोर्ट का मालिक है. उसने अपने ज्यादातर वाहनों को शिखर पान मसाला और पीयूष जैन के कारोबार में लगा कर रखा है. शुरुआती जांच में डीजीजीआई को गणेश ट्रांसपोर्ट से एक करोड़ रुपए की रकम हाथ लगी थी. ट्रांसपोर्टर ने जीएसटी चुकाने से बचने के लिए 200 से ज्यादा फर्जी इनवॉइस तैयार किए थे.
सबसे पहले प्रवीण जैन के यहां छापे पड़े फिर वहां से जो सबूत मिले उसी के बाद पीयूष जैन और प्रदीप अग्रवाल के यहां छापे पड़े. प्रवीण जैन और प्रदीप अग्रवाल की कानपुर में फैक्ट्रियां आसपास ही हैं.
प्रदीप अग्रवाल शिखर पान मसाला के मालिक हैं. प्रदीप अग्रवाल एक बड़े गुटका कारोबारी हैं और दिल्ली में रहते हैं. 23 साल पहले प्रदीप अग्रवाल ने शिखर गुटखा प्राइवेट लिमिटेड के नाम से गुटका का कारोबार चालू किया था. शिखर पान मसाला का ऑफिस कानपुर के नयागंज में है. शहर के बाबूपुरवा में ही फैक्ट्री है.
22 दिसंबर की रात करीब 8 बजे डीजीजीआई की टीम ने रात को अचानक कानपुर के ट्रांसपोर्ट नगर में मौजूद शिखर मसाला की फैक्ट्री पर छापा मारा. शिखर पान मसाला के मालिक प्रदीप अग्रवाल का घर दिल्ली में है, लिहाजा, तब तो उनसे पूछताछ नहीं हो सकी. लेकिन बाद में डीजीजीआई की टीम कुछ दस्तावेज साथ लेकर चली गई.
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