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38 वर्षीय एक व्यक्ति, जो कभी सीमा सुरक्षा बल (BSF) में रसोइया था, ने नौकरी छोड़ दी और एक महाठग बन गया, जिसने 3 साल में कई लोगों से 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की। दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
आरोपी की पहचान राजस्थान के जोधपुर निवासी राम उर्फ राम मारवाड़ी के रूप में हुई है, जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
वह एक मल्टी-लेवल मार्केटिंग कंपनी के जरिए धोखाधड़ी के 59 मामलों में शामिल था और 46 मामलों में उसे भगोड़ा घोषित किया गया था।
अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त विचित्रवीर सिंह ने बताया कि गुरुवार को विशेष सूचना मिली थी कि आरोपी अपने जानकार से मिलने रोहिणी आ रहा है। सूचना के आधार पर टीम गठित कर जाल बिछाकर आरोपी को पकड़ लिया।
पूछताछ में आरोपी ने रसोइया बनने से लेकर राजस्थान के धोखेबाज बनने तक के अपने सफर का खुलासा किया। उसने बीएसएफ में एक रसोइया का काम छोड़ा और ऐसा करने का फैसला लिया जिससे वह अमीर बन सके। 2007 में, उसने राजस्थान के जयपुर में एक सुरक्षा एजेंसी खोली और 60 कर्मचारियों की भर्ती की।
डीसीपी ने कहा, इसके बाद, उसने सुरक्षा एजेंसी को एक पूर्व सैनिकों को बेच दिया और एक एमएलएम कंपनी मिताशी मार्केटिंग एंड कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड में एजेंट के रूप में काम करना शुरू कर दिया। वहां उसने लगभग 1.5 करोड़ रुपये कमाए।
2008 में, उन्होंने एक नई कंपनी की स्थापना की और 2009 में, उसने इसे एक लिमिटेड कंपनी बना दिया और इसका प्रबंध निदेशक बन गया।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, यह कंपनी नए सदस्यों के शामिल होने पर कमीशन की पेशकश करती थी। प्रत्येक सदस्य को 4,000 रुपये जमा करने होते थे और बदले में, सदस्य को 400 रुपये का सफारी सूट मिलता था। कमीशन के लिए पात्र होने के लिए प्रत्येक सदस्य को कम से कम 10 और सदस्यों को शामिल करना होता था। सदस्यों को उनके निवेश पर सुनिश्चित रिटर्न की भी गारंटी दी गई थी।
2 लाख रुपये प्रति माह का कारोबार लगातार 12 महीने तक देने पर सदस्य को कंपनी की ओर से मोटरसाइकिल मिलेगी। इस तरह हजारों सदस्य जुड़ गए और राम ने उन्हें 100 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की।
कुछ समय बाद, जब कंपनी ने कमीशन के भुगतान और पुनर्भुगतान में चूक करना शुरू कर दिया, तो 2011 में राजस्थान में कंपनी के खिलाफ बड़ी संख्या में आपराधिक मामले और शिकायतें दर्ज की गईं। हालांकि, वह मध्य प्रदेश के इंदौर भाग गया और वहां सहकारी समिति के लिए लाइसेंस प्राप्त किया।
अधिकारी ने कहा, उसके बाद वह राम और राम मारवाड़ी जैसे नाम बदल- बदलकर रहने लगा। इसके बाद, उसने विभिन्न व्यवसायों में काम किया, जिसमें उसने पैसे गंवाए। 2014 में, वह दिल्ली आया और संपत्ति का कारोबार शुरू किया।
2018 में, आरोपी ने किराने की दुकान खोली लेकिन फिर से नुकसान हुआ। पिछले साल, उसने अपना कार्ट नामक एक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की स्थापना की। आरोपी ने अपना ठिकाना इंदौर शिफ्ट कर लिया और वहां किराए के मकान में रहता था।
अधिकारी ने कहा, उसके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए, ऐसा लगता है कि इस मंच के माध्यम से भी उन्होंने लोगों को धोखा देकर जल्दी पैसा कमाया होगा।
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