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गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर में तैनात पीएसी के जवानों पर हमले (Gorakhnath temple attack) के कई दिन बीत जाने के बाद भी जांच एजेंसियां इसके पीछे के मकसद को सुलझा नहीं पाई हैं. इस घटना के पीछे का मुख्य आरोपी IIT मुंबई से ग्रेजुएट हुआ अहमद मुर्तजा अब्बासी है.
पुलिस के अनुसार 3 अप्रैल को अहमद मुर्तजा अब्बासी ने धार्मिक नारे लगाते हुए गोरखनाथ मंदिर के बाहर तैनात पीएसी कर्मियों पर धारदार हथियार से हमला किया और उसके बाद उसे पुलिस कस्टडी में ले लिया था. अब्बासी पर IPC के तहत हत्या के प्रयास और अन्य संबंधित धाराओं में FIR दर्ज की गई है.
अभी तक पता नहीं चल पाया है कि क्या यह बड़े आतंकी साजिश से जुड़ा है, जैसा कि यूपी सरकार दावा कर रही है.
क्विंट से बात करते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि अब्बासी चरमपंथी समूहों से जुड़े संदिग्ध वित्तीय लेनदेन को लेकर यूपी पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते (एंटी-टेररिज्म स्क्वॉड) की "वॉचलिस्ट" में था.
चल रही जांच की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमले से कुछ दिन पहले सादे कपड़ों में दो पुलिसकर्मी अब्बासी के गोरखपुर स्थित घर पर आये थे. इसने मामले को गर्म कर दिया और परिवार ने अब्बासी को नेपाल भेज दिया.
हालांकि एडिशनल डायरेक्टर जनरल (लॉ एंड आर्डर) प्रशांत कुमार ने कहा कि जांच के नतीजों पर अभी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी.
उन्होंने किसी भी ऐसे डिटेल का खुलासा करने से परहेज किया जिसके पता चले कि अब्बासी चरमपंथी समूह से जुड़ा हो सकता है. इससे पहले यूपी सरकार ने गोरखनाथ मंदिर के बाहर हुई इस घटना के तुरंत बाद एक लिखित बयान में हमले को आतंकी कार्रवाई बताया था.
सूत्रों से यह भी पता चला है कि कई टीमें (संभवत: यूपी एटीएस की) अब्बासी से संबंधित स्थानों पर छापेमारी कर रही हैं, जिसमें मुंबई का घर भी शामिल है, जहां अब्बासी ने अपना बचपन बिताया था. टीम तमिलनाडु के कोयंबटूर भी पहुंची जहां अब्बासी का नानी घर है.
घटना के तुरंत बाद अब्बासी के पिता मुनीर अहमद ने मीडिया के सामने दावा किया था कि उनका बेटा दिमागी बीमारी से जुड़ी परेशानी से पीड़ित था जो बाद में सुसाइड की प्रवृत्ति में बदल गया.
परिवार की माने तो मुर्तजा अब्बासी को 2017 में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने लगी थीं और कई जगहों पर से निगरानी में रखा गया था.
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