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''सुबह 3 बजे सो पाती थी, 6 बजे से फिर काम करती, दिन में आंख झपकती तो पीटते थे''

Gurugram domestic help tortured: क्विंट ने अस्पताल में पीड़ित लड़की और उसकी मां से बातचीत की.

आशना भूटानी & आकृति हांडा
क्राइम
Published:
<div class="paragraphs"><p>गुरुग्राम में मेड से हैवानियत की हदें पार</p></div>
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गुरुग्राम में मेड से हैवानियत की हदें पार

(फोटो: क्विंट)

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(इस स्टोरी में हिंसा का जिक्र है, पाठक अपने विवेक का इस्तेमाल करें)

"उन्होंने मुझे फोन रखने दिया था, लेकिन मैं किसी से बात नहीं कर सकती थी. जब मैं कॉल करती थी तो वो मुझ पर चिल्लाते थे," नाबालिग मेड, जिसके साथ गुरुग्राम के एक कपल ने मारपीट की है उसने अपनी मां को बताया.

झारखंड अपराध शाखा की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (AHTU) के अधिकारियों से मामले की जानकारी मिलने के बाद पीड़िता की मां 10 फरवरी को दिल्ली पहुंची.

बता दें कि वन स्टॉप सेंटर की एडमिनिस्ट्रेटर पिंकी मलिक की शिकायत के बाद 7 फरवरी को नाबालिग मेड को बचाया गया था. वहीं आरोपी दंपति को कथित मारपीट और उत्पीड़न के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

अस्पताल में बेटी से मिली मां

पीड़िता और उसकी मां की मुलाकात अस्पताल के इमरजेंसी वॉर्ड में हुई. जहां बेटी के शरीर पर जख्मों के देखकर मां व्याकुल हो उठी. पीड़िता के सिर, चेहरे, हाथ और पांव में गंभीर चोट के निशान हैं.

पीड़िता की मां ने द क्विंट को बताया कि, बेटी के गांव छोड़कर शहर जाने के बाद से उन दोनों की कभी बात नहीं हुई थी. उन्होंने सदरी भाषा में बात की, जिसका AHTU के अधिकारियों और शक्ति वाहिनी NGO के वॉलंटियर्स ने हमारे लिए अनुवाद किया.

जब द क्विंट ने अस्पताल में नाबालिग मेड से मुलाकात की, तो उसने बताया कि उसके मालिक जो चीज हाथ में आता था उससे उसे मारते थे.

पीड़िता ने सुनाई आपबीती

"वे मुझे किसी भी चीज से पीटते थे- चम्मच, फोर्क, बर्तन. मैं सुबह 3 बजे सो पाती थी. रात में वो मुझसे अपने पैरों की मालिश करवाते थे और कपड़े धोने के लिए कहते थे. फिर, मैं सुबह 6 बजे उठ जाती थी. मैं बुरी तरह से थक जाती थी और जब कभी दिन में आंख लग जाती तो वो मुझे पीटते थे." नाबालिग मेड ने द क्विंट को बताया.

"मेरे मालिक पांच महीने तक मुझे बेरहमी से पीटते रहे. उन्होंने मुझे पड़ोस में भी किसी से बात नहीं करने दी. उन्होंने मुझसे कहा कि अगर लोग मेरी चोटों के बारे में पूछें, तो मुझे उन्हें बताना है कि यह घाव नहीं बल्कि सर्दी की वजह से स्किन ड्राई हो गई है."
पीड़िता

बेटी की ये बातें सुनकर बगल में बैठी मां की आंखें भर आई. पीड़िता ने बताया की परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और उसके बड़े भाई की भी तबीयत खराब रहती है. ऐसे में परिवार की मदद के लिए उसने ये नौकरी की थी.

अब तक क्या कार्रवाई हुई?

द क्विंट के पास मौजूद FIR कॉपी के मुताबिक, लड़की ने कहा, "पांच महीने से दोनों पति-पत्नी मेरे साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे थे. और यहां तक कि मुझे गर्म लोहे के चिमटे से मारते थे. उन्होंने मुझे ठीक से खाना तक नहीं दिया, वे मुझे केवल थोड़ा सा चावल देते थे. वो मुझसे पूरे दिन काम करवाते थे. वो मेरे कपड़े उतारकर मेरे प्राइवेट पार्ट्स पर भी मारते थे. उन्होंने मुझे घर में बंद रखा और मुझे अपने परिवार से बात तक नहीं करने दी."

गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता सुभाष बोकेन ने द क्विंट को बताया, “दंपति को भारतीय दंड संहिता की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), धारा 342 (गलत कारावास), धारा 75 (बच्चे के प्रति क्रूरता) और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 79 (एक बाल कर्मचारी का शोषण) और POCSO एक्ट की धारा 12 (बच्चे का यौन उत्पीड़न) के तहत गिरफ्तार किया गया है."

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