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UP: लाखों का लालच देकर निकलवाई किडनी, लेकिन नहीं दी रकम- किडनी गैंग का कारनामा

पीड़ित की हालत बिगड़ी, नहीं मिले पैसे, तब पुलिस को बताए किडनी गैंग के सदस्यों के नाम

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प्रतीकात्मक फोटो

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उत्तर प्रदेश के एटा से किडनी (Kidney) बिकवाने और उसके बाद रकम अदा ना करने का मामला सामने आया है. "किडनी गैंग" के एक सहयोगी सदस्य ने चाट-फुल्की बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले किशन कश्यप को किडनी बेचकर पैसे हासिल करने के बारे में बताया था. इसके बाद किशन ने विशाखापट्टनम के एक हॉस्पिटल में अपनी किडनी निकलवा दी थी.

पूरा घटना क्रम-

पुलिस के मुताबिक जनपद एटा के थाना कोतवाली नगर क्षेत्र में किशन कश्यप पुत्र शंकर पाल निवासी शिवगंज नई बस्ती धीमर वाली गली शहर के गांधी मार्केट में टिक्की बेचने का काम करता था. किशन कुमार का अश्वनी उर्फ रौकी पुत्र श्यामलाल, निवासी श्याम नगर से पहले परिचय था. इस बीच राजेश उर्फ प्रतीक नाम के शख्स, जो विशाखापट्टनम में रहता था, उसने फेसबुक के माध्यम से अश्वनी को बताया कि यदि कोई किडनी बेच कर पैसा कमाना चाहे तो वह उससे सम्पर्क कर सकता है.

यह बात अश्वनी ने किशन को बताई, जिसके बाद किशन 24 लाख रुपये देने की बात पर एक किडनी देने को तैयार हो गया. इसमें अश्वनी को एक लाख बीस हजार रुपये (1,20,000₹) अलग से कमीशन के तौर पर देना तय हुआ.

पूरी बात तय होने के बाद राजेश द्वारा विशाखापट्टनम आने के लिए टिकट भेज दिया गया. किशन कश्यप व अश्वनी के विशाखापट्टनम पहुंचने पर राजेश ने उन्हें श्री लेखा नामक लॉज में रुकवाया और वहां से आधा किमी दूर दुर्गा हास्पिटल में डाक्टर माधव द्वारा ऑपरेशन कर किडनी निकाली गई.

जिसके एवज में एसबीआई बैंक शाखा मोहनलाल गंज लखनऊ का एक 24 लाख रुपये का चैक किशन कश्यप को दे दिया गया. साथ ही 70 हजार रुपये नकद खर्च हेतु अश्वनी उर्फ रॉकी को राजेश के द्वारा दिए गए. साथ में विशाखापट्टनम से आगरा तक की टिकट करा दी गई, जिससे अश्वनी व किशन वापस आगरा आ गए.

आगरा से अश्वनी ने अपने एक साथी दीपक उपाध्याय पुत्र सतेन्द्र उपाध्याय निवासी जीटी रोड गंगा नगर थाना कोतवाली नगर एटा को बुलाकर टैक्सी से एटा आ गए. किशन कश्यप अपने परिजनों को बिना बताए दीपक उपाध्याय के घर पर चार पांच दिन रुका.

01.04.2022 को किशन कश्यप, अश्वनी व दीपक उपाध्याय लखनऊ गये, जहां पर अश्वनी के एक अन्य साथी शिवाजी शुक्ला द्वारा उन तीनों को स्काई उदय होटल में रुकवाया गया. शिवाजी शुक्ला द्वारा बताया गया कि बड़ी रकम का चैक है यदि आप एटा में लगायेंगे तो आपकी जांच हो सकती है, जिस पार्टी को किडनी दी गई है, वह लखनऊ के ही रहने वाले हैं. उन्ही के माध्यम से आपको बैंक से कैश दिला देगें.

शिवाजी शुक्ला ने यह भी बताया कि इस कार्य में कई दिन का वक्त लग सकता है इसी कारण अश्वनी उर्फ रॉकी व दीपक उपाध्याय वापस एटा आ गये तथा किशन कश्यप को शिवाजी शुक्ला द्वारा होटल में रुकवा दिया गया. कई दिन बीत जाने पर किशन कश्यप को चैक का पेमेन्ट नहीं मिला तो किशन के घर वाले 19 अप्रैल को किशन को वापस ले आये.

किशन की हालत बिगड़ने पर उसने अपने घर वालों को उसके साथ हुई घटना के बारे में जानकारी दी. जिसमें किशन के भाई द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर थाना कोतवाली नगर एटा में मुख्य अपराध संख्या 241/2022 धारा 308,120बी,420 व 18/19 मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994 में मुकद्दमा पंजीकृत किया गया था.

किडनी के गैंग के दो सदस्यों की हुई गिरफ्तारी

घटनाक्रम के अनुसार पीड़ित किशन कश्यप की हालत खराब होने पर उसके परिजनों द्वारा इलाज हेतु ले जाने के दौरान घटना में सम्मिलित आरोपी अश्वनी उर्फ रॉकी को रास्ते में पहचान लिए जाने पर थाना कोतवाली नगर पुलिस को सूचना दी गई, जिसके बाद में मौके पर पहुची पुलिस ने आरोपी सदस्य को गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ शुरू कर दी. घटना में और भी नाम सामने आये जिसमें से दीपक उपाध्याय को दिनांक 22.04.2022 में गिरफ्तार किया गया है.

गिरफ्तार आरोपियों द्वारा घटना को अंजाम दिया जाना कबूल किया गया है. पुलिस सघन पूछताछ के बाद रॉकी उर्फ अश्वनी के द्वारा बताया गया कि वह अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर ऐसे लोगों को जो स्वेच्छा से रुपए पैसे की तंगी के कारण किडनी आदि बेचना चाहते हैं उनको फंसाकर किडनी निकलवाकर विक्रय करने का कार्य बाहर शहरों में जाकर करते हैं. पैसो के लालच में लोग तैयार हो जाते हैं.

पुलिस पर कार्रवाई न करने का लगा आरोप

पीड़ित किशन का आरोप है कि 20 अप्रैल को एक तहरीर कोतवाली नगर पुलिस को दी थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. वह बृहस्पतिवार को बाजार से सामान लेने गया था, तभी एक आरोपी युवक उसे ई-रिक्शा में खींचकर ले जाने लगा. चीख-पुकार कर राहगीरों ने उस युवक को पकड़ लिया. जिसके बाद में आरोपी के पास से मिले मतदाता पहचान पत्र पर अश्वनी कुमार निवासी पंजाबपुरा एटा लिखा हुआ था. जिसके बाद में आरोपी को पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया था.

पीड़ित किशन ने बताया मेरी दूसरी किडनी का भी किया जा रहा था सौदा

पीड़ित किशन कुमार ने रुंधे हुये गले से बताया कि मुझे लगता है शायद जिंदा रखने की वजह दूसरी किडनी थी. जिसको निकालने के लिए योजना बनाई जा रही थी. एक किडनी निकालने के बाद दूसरी किडनी का भी सौदा किया जा रहा था. हल्का होश में आने पर दूसरे लोगों द्वारा फोन पर की जाने वाली बातचीत में यह बात समझ में आई थी. जिंदा रहने के लिए कुछ ही निवाले दिए जाते थे, ताकि सांसें चलती रहें. रोते हुए कहा कि वह दिन मेरी जिंदगी का सबसे खुशनसीब था, जब मैं अपने भाई बॉबी को फोन कर सका.

वही इस पूरे मामले पर अभी तक पुलिस के द्वारा कुल दो लोग ही गिरफ्तार किये गए हैं, जबकि तीन अन्य आरोपी फरार हैं, फरार आरोपियों में राजेश उर्फ प्रतीक एवम डॉक्टर माधव निवासी विशाखापटन्नम और लखनऊ निवासी शिवाजी शुक्ला अभी तक फरार है.

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