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RPF ने किया रेलवे टिकट रैकेट का भंडाफोड़, टेरर फंडिंग से जुड़े तार

मामले में रैकेट के सरगना मुस्तफा नाम के शख्स समेत 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

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आरपीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और आंतकी फंडिंग के लिंक के साथ टिकट घोटाले का खुलासा करने का दावा किया है.
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आरपीएफ ने मनी लॉन्ड्रिंग और आंतकी फंडिंग के लिंक के साथ टिकट घोटाले का खुलासा करने का दावा किया है.
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रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने मनी लॉन्ड्रिंग और आंतकी फंडिंग के लिंक के साथ टिकट घोटाले का खुलासा करने का दावा किया है. इस रैकेट ने 563 आईआरसीटीसी आईडी बना रखे हैं और लगभग 3000 बैंक खातों के जरिए कन्फर्म टिकट बुक करते थे. मामले में रैकेट के सरगना मुस्तफा नाम के शख्स समेत 27 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

बिना कैप्चा और OTP के टिकट बुकिंग

ये रैकेट एक सॉफ्टवेयर के जरिए ये बड़ी तादाद में रेलवे टिकट बुक करते थे और बाद में उसे ज्यादा कीमत पर जरूरतमंदों को बेच देते थे. शक है कि इन पैसों का इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए लिया जाता था. आरपीएफ के महानिदेशक अरुण कुमार ने मंगलवार को मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, "टिकट दलालों के खिलाफ पिछले साल 'ऑपरेशन थंडरस्टॉर्म' शुरू करने के बाद हमारे रडार पर गुलाम मुस्तफा नाम का व्यक्ति आया."

कुमार ने कहा, "मुस्तफा को इस साल की शुरुआत में भुवनेश्वर से गिरफ्तार किया गया था, और आरपीएफ ने उसके पास से दो लैपटॉप बरामद किए, जिनमें एएनएमएस नाम का सॉफ्टवेयर था. इस सॉफ्टवेयर के जरिए उन्होंने अवैध टिकटिंग को रोकने के लिए बनाए गए तमाम बाधाओं को पार कर लिया, जैसे कैप्चा देना और बैंक का ओटीपी."

उन्होंने कहा कि इसके बाद घोटालेबाजों ने इकठ्ठा हुए पैसों को क्रिप्टो करेंसी में बदलते हुए इसे इंटरनेट के जरिए विदेश भेज दिया, जिसका कथित रूप से आंतकी वित्त पोषण (टेरर फंडिंग), मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य चीजों में इस्तेमाल किया गया.   
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दुबई में है रैकेट का मास्टरमाइंड

कुमार ने कहा, "हमने दुबई में हामिद अशरफ नाम के एक शख्स की पहचान की है और उस पर गिरोह का मास्टरमाइंड होने का शक है." उन्होंने कहा कि अशरफ को सीबीआई, रेलवे अधिकारियों और स्थानीय पुलिस ने 2016 में उत्तर प्रदेश के बस्ती से गिरफ्तार किया था, लेकिन जमानत मिलने के बाद वह नेपाल के रास्ते दुबई भाग गया.

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए), कर्नाटक पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा मुस्तफा से पूछताछ के दौरान यह पाया गया कि वह डार्कनेट का इस्तेमाल कर मनी लॉन्ड्रिंग के लिए पैसों को क्रिप्टो करेंसी में बदलने का काम कर रहा था.

563 फर्जी आईडी और 3000 बैंक खाते

मुस्तफा ने 563 व्यक्तिगत आईआरसीटीसी आईडी का भी इस्तेमाल किया, जो कि एएनएमएस सॉफ्टवेयर और लगभग 3,000 बैंक खातों के जरिए कन्फर्म टिकट बुक करते थे. आरपीएफ के महानिदेशक ने कहा, "उनके लैपटॉप की जांच से पता चला कि वह पाकिस्तान स्थित तबलीक-ए-जमात का समर्थक है और उसके पास कई पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, खाड़ी देशों के, इंडोनेशियाई और नेपाली नंबर थे. उसके पास नकली आधार और पैनकार्ड बनाने के लिए एक सॉफ्टवेयर भी था. उनके लैपटॉप में कई पाकिस्तानी सॉफ्टवेयर और कई मैसेज पाए गए हैं."

आरपीएफ ने एक सॉफ्टवेयर कंपनी की भी पहचान की है जो इस गिरोह से पैसे हासिल कर रही थी. सिंगापुर पुलिस द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के लिए कंपनी की जांच की जा रही है.

कुमार ने कहा, "हमने गिरोह के तकनीकी विशेषज्ञ माने जाने वाले गुरुजी नाम के एक शख्स का भी पता लगाया है, जिसे हाल ही में मुस्तफा से 13 लाख रुपये मिले थे." आरपीएफ अधिकारी ने कहा, "हमने मुस्तफा की पूछताछ के आधार पर 27 लोगों को गिरफ्तार किया है."

(इनपुट: IANS)

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