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सोनभद्र नरसंहार के पीछे छह दशक से पुराना जमीन विवाद है. इस नरसंहार की स्क्रिप्ट के कई किरदार हैं, जिसमें से एक हैं बिहार कैडर के पूर्व आईएएस अफसर और मिर्जापुर के डीएम रह चुके प्रभात मिश्रा. विवादित भूमि को प्रभात मिश्रा ने खरीदा और दो साल पहले बाद बेच दिया था. कहा तो यहां तक जा रहा है कि बिहार से आए हुए हथियारबंद लोगों ने वारदात को अंजाम दिया.
पूर्व सांसद भाजपा छोटेलाल खरवार ने इस मामले में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उन्होंने बताया कि 17 दिसम्बर, 1955 को तहसीलदार रॉबर्ट्सगंज ने ग्राम समाज की 638 बीघा यह जमीन, आदर्श कॉपरेटिव सोसाइटी के नाम कर दी थी. इसके बाद 1966 में सहकारिता समिति अधिनियम, यूपी खत्म हो गया. सैकड़ों एकड़ इस जमीन पर काबिज लोग जोतते-बोते रहे. इस पर मीरजापुर के तत्कालीन डीएम व आईएएस अधिकारी प्रभात मिश्रा की नजर पड़ी. उस समय सोनभद्र जिला नहीं था बल्कि मीरजापुर का ही एक हिस्सा था. डीएम ने 6 सितंबर, 1989 को अपने, पत्नी आशा मिश्रा , विनीता शर्मा और भानु शर्मा के नाम पूरी जमीन को करा लिया.
प्रभात मिश्रा ने विवादित भूमि में से 140 बीघा जमीन 17 अक्टूबर, 2017 को ग्राम प्रधान यज्ञदत्त के नाम बेच दिया, जिसकी दाखिल-खारिज 6 फरवरी, 2019 को हुई. ग्राम प्रधान ने जमीन खाली कराने के लिए प्रशासन से अपील की थी लेकिन आदिवासियों के आगे प्रशासन भी फेल हो गया. ऐसा नहीं है कि इस मामले की जानकारी जिला प्रशासन को नहीं थी. पहले से ही इस बात की आशंका थी कि विवादित जमीन को लेकर बड़ी वारदात हो सकती है. फिर भी जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, लिहाजा एक साथ 10 लाशें बिछ गईं, और 20 लोग जख्मी हो गए.
विवादित जमीन पर कब्जा करने के लिए ग्राम प्रधान यज्ञदत्त पूरी तैयारी के साथ धुभ्भा टोला पहुंचा था. उसे इस बात का अंदेशा था कि आदिवासी विरोध करेंगे, लिहाजा 32 ट्रैक्टर और तीन सौ लोगों के साथ पहुंचा. इस ऑपरेशन के लिए उसने 2 दर्जन से अधिक हथियार बंद लोगों को खासतौर से झारखंड और बिहार से बुलाया था. गांव के आदिवासियों ने भी लाठी-डंडों से मोर्चा लिया, लेकिन हथियारों के आगे वे कमजोर पड़ गए. चश्मदीदों के मुताबिक गांव में एक घंटे तक गोलियां चलती रहीं.
सोनभद्र के पूर्व सांसद छोटेलाल खरवार ने कहा कि इस पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए. जो भी अधिकारी ,कर्मचारी दोषी हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए. क्योंकि मामले की जानकारी जिला अधिकारी समेत जिले के सभी आला अधिकारियों को थी. बावजूद इसके इतनी बड़ी घटना को अंजाम दे दिया गया.
सीएम योगी ने सोनभद्र में हुए नरसंहार पर डीजीपी ओपी सिंह को खुद नजर रखने और दोषियों को जल्द पकड़ने का निर्देश दिया है। डीजीपी ने माना है कि बिहार के एक आईएएस की भूमिका जांच की जद में है, और बड़ी संख्या में हमलावर भी वहीं से आये थे. मौके पर पहुंचे एडीजी वाराणसी बृजभूषण ने बताया कि इस मामले में अभी तक 10 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है.
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