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(चेतावनी: इस लेख में रेप और यौन उत्पीड़न का उल्लेख है. सर्वाइवर की पहचान गुप्त रखने के लिए कुछ नाम बदले गए हैं.)
तीन सौ से अधिक अदालती सुनवाई, लाखों रुपये और अनगिनत धमकी भरे कॉल - यह भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधायक रामदुलार गोंड के खिलाफ निशा (बदला हुआ नाम) की नौ साल की लंबी लड़ाई की कीमत थी.
15 दिसंबर को, उत्तर प्रदेश के दुद्धी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रामदुलार गोंड को रेप, आपराधिक धमकी और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था.
"मैं सिर्फ 15 साल की थी जब उसने पहली बार हमारे गांव के पास जंगल में मेरे साथ रेप किया. कई दिनों तक मुझे समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ था. उसने धमकी दी कि अगर मैंने किसी को बताया तो वह मेरे परिवार को मार डालेगा," सर्वाइवर ने आगे कहा, उसकी आवाज टूट रही थी.
थोड़ी देर रुकने के बाद उसने आगे कहा, "और फिर वह यहीं नहीं रुका. उसने मेरे साथ बार-बार बलात्कार किया...जब तक कि एक दिन मैंने अपने भाई को इसके बारे में नहीं बता दिया."
अपनी अदालती गवाही में निशा ने कहा कि 4 नवंबर 2014 की सुबह जब वह अपने घर के पास धान के खेत से शौच करके लौट रही थी, तो गोंड और उसके लोगों ने उसका जबरन अपहरण किया और उसे खेतों में ले गए, जहां गोंड ने उसके साथ बलात्कार किया. इस वारदात के समय गोंड की पत्नी ग्राम प्रधान थी.
उसने कहा, "यह पहली बार नहीं था जब उसने ऐसा किया था, लेकिन उस दिन घर लौटकर मैंने अपने भाई को इस बारे में बताया था."
निशा का आरोप है कि साल 2014 में गोंड ने उसके साथ छह बार रेप किया था.
उन्होंने आगे कहा, "हम गरीब लोग हैं... 1.5 बीघा जमीन थी हमारे पास, उसमें से एक बीघा बेचनी पड़ी केस की वजह से."
जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा, इसने निशा के कम आय वाले परिवार को और गरीबी में धकेल दिया. एक बार जांच शुरू होने के बाद, गांव में उनके पड़ोसियों ने उनका बहिष्कार कर दिया, जिसके कारण उनके पिता को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो गईं.
निशा ने कहा, "कोई भी यह नहीं कहेगा लेकिन हम जानते थे कि वे सभी हमारी पीठ पीछे बात कर रहे थे." उसने आगे कहा, "वह (गोंड) मेरे घर से 1.5 किमी दूर रहते थे. एक बार जांच शुरू होने के बाद, ग्रामीणों ने मेरे परिवार को शादियों या अन्य त्योहारों के लिए बुलाना बंद कर दिया. उनकी पत्नी उस समय ग्राम प्रधान थीं. वे प्रभावशाली लोग थे."
12 दिसंबर को, अतिरिक्त जिला न्यायाधीश एहसान उल्लाह खान ने विधायक को 2014 में निशा के साथ रेप मामले में दोषी ठहराया, जब वह नाबालिग थी. तीन दिन बाद, उन्होंने गोंड को 25 साल की कैद की सजा सुनाई और उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
द क्विंट द्वारा प्राप्त 26 पन्नों के कोर्ट के आदेश में मामले की प्राथमिक जांच में कई खामिया सामने आई हैं.
सबसे पहले, निशा की शिकायत के दो दिन बाद 6 नवंबर 2014 को डॉ. गीता जैसवार द्वारा की गई मेडिकल जांच में यह उल्लेख नहीं किया गया कि उस समय निशा गर्भवती थी. हालांकि, 12 जनवरी 2015 की एक अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि वह तीन महीने की गर्भवती थी.
दूसरा, आदेश यह भी बताता है कि पीड़िता और दोषी के गांव की रहने वाली रामकली की भूमिका की पूरी तरह से जांच नहीं की गई थी. निशा की गवाही के अनुसार, गोंड ने खेतों में या रामकली के घर पर कई बार उसके साथ रेप किया था. अदालत के आदेश में निशा की गवाही में कहा गया है, "रामकली मेरे परिवार से कहती थी कि खेत में मेरी मदद की जरूरत है और फिर मुझे उसे (गोंड) सौंप देती थी."
सर्वाइवर के वकील विकास शाक्य ने पूछा कि "मामले में रामकली को सह-अभियुक्त क्यों नहीं बनाया गया?" शाक्य ने द क्विंट को बताया, "जब मैंने सरकारी वकील से मामला अपने हाथ में लिया, तो मैंने देखा कि यह बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रहा था. वास्तव में, यह बिल्कुल भी आगे नहीं बढ़ रहा था. दोषी उस क्षेत्र का एक प्रभावशाली व्यक्ति है. उन्होंने पहले हमें धमकी दी, फिर पैसे की पेशकश की, फिर यह साबित करने की कोशिश की कि सर्रवाइवर नाबालिग नहीं है... मूल रूप से उन्होंने बचने के लिए हर कोशिश की लेकिन अंत में हम जीत गए.''
गोंड 2022 में पहली बार विधायक चुने गए. इससे पहले वह 10 साल तक ग्राम प्रधान के पद पर रहे थे.
पिछले नौ सालों में निशा की जिंदगी बहुत बदल गई है. उसने कहा, "इस मामले का मतलब है कि मैं बहुत तेजी से बड़ी हो गई. मैंने नौवीं कक्षा में स्कूल छोड़ दिया, घर से बाहर निकलना बंद कर दिया और सामान्य भविष्य की सभी उम्मीदें छोड़ दी थीं, लेकिन फिर मेरी शादी हो गई..."
लेकिन यह वह शादी नहीं थी जिसका निशा ने हमेशा सपना देखा था.
उसने आगे कहा, "मेरे पति और ससुराल वाले अच्छे लोग हैं. केस के बावजूद उन्होंने मुझे स्वीकार कर लिया. लेकिन उस केस ने मुझे कभी नहीं छोड़ा. जब उनकी (गोंड) धमकियों का मेरे भाई और मेरे माता-पिता पर कोई असर नहीं हुआ, तो उन्होंने मेरे ससुराल वालों को धमकाना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा, यहां तक कि वे भी मेरे साथ खड़े रहे और मैं इसके लिए हर दिन भगवान का शुक्रिया अदा करती हूं.''
पिछले कुछ सालों से अकेले केस लड़ रहे उसके भाई महेश ने याद करते हुए कहा, "शुरुआत में वह मामले की स्थिति जानने के लिए हर कुछ हफ्तों में मुझे फोन करती थी लेकिन फिर उसने बंद कर दिया." उन्होंने कहा, "मैं इसके लिए उसे दोष नहीं देता हूं. कुछ भी नहीं हो रहा था और उसके लिए अपने परिवार पर ध्यान देना ज्यादा जरूरी था."
आश्चर्य की बात है कि 15 दिसंबर को भी निशा परिवार में गोंड की सजा के बारे में जानने वाली आखिरी व्यक्ति थी.
महेश ने कहा, "उसके यहां नेटवर्क और बिजली की दिक्कत रहती है. कभी फोन लगता है, कभी नहीं. 15 को भी शाम में बात हो पाई."
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