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फर्जीवाड़ा, करोड़ों की ठगी, हजारों का इनाम, यूपी STF के हत्थे चढ़ा 'महाठग' अनूप चौधरी

Anoop Chaudhary ने बीते चार साल में गाजियाबाद पुलिस से आठ बार गनर हासिल किया.

क्विंट हिंदी
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फर्जीवाड़ा, करोड़ों की ठगी, हजारों का इनाम, यूपी STF के हत्थे चढ़ा 'महाठग' अनूप चौधरी

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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उत्तर प्रदेश पुलिस (UP Police) की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने अयोध्या से 15 हजार के इनामी ठग अनूप चौधरी (Anoop Chaudhary) को गिरफ्तार किया है. अनूप चौधरी पर फर्जी तरीके से सरकारी सुविधा और सुरक्षा लेने का आरोप है. जानकारी के मुताबिक उसने पिछले 4 साल में गाजियाबाद पुलिस से 8 बार गनर लिए. इतना ही नहीं उस पर सरकारी प्रोटोकॉल का रौब दिखाकर फर्जी तरीके से लोगों से धन उगाही का भी आरोप है. STF ने अनूप चौधरी के एक साथी को भी गिरफ्तार किया है.

अनूप चौधरी कैसे चढ़ा STF के हत्थे?

दरअसल, यूपी STF को सरकारी कार्यों को लोगों तक पहुंचाने के नाम पर संगठित अपराध में शामिल गिरोह की शिकायत मिली थी. जिसके बाद जांच में अनूप चौधरी का नाम भी सामने आया.

STF की ओर से जारी प्रेस नोट के मुताबिक, अनूप फर्जी तरीके से खुद को रेल मंत्रालय का सदस्य बताकर आम जनता से सरकारी कामने कराने के नाम पर ठगी करता था. उसने अब तक कई लोगों से करोड़ों रुपए की ठगी की है. इसके साथ ही अपने फर्जी रसूख के दम पर सरकारी गनर लेकर भी चलता था.

अनूप के खिलाफ तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में पहले से 9 केस दर्ज हैं. उत्तराखंड पुलिस ने तो उसके सिर पर 15000 रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है

इसके साथ ही उसके खिलाफ अयोध्या के कैंट थाने में IPC की धारा 419, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत मामला दर्ज किया गया है.

4 साल तक पुलिस को भी बनाया शिकार

अनूप ने लोगों से ठगी के साथ ही पुलिस को भी अपना शिकार बनाया. वो कभी भारत सरकार का फर्जी लेटरहैड बनाकर तो कभी खुद को उत्तर प्रदेश सरकार के विभिन्न आयोगों का सदस्य बताकर सुरक्षा के लिए सरकारी गनर लेता रहा. वो गाजियाबाद के डीएम-एसएसपी को ईमेल भेजता था और उसे सरकारी सुरक्षा मिल जाती.

आश्चर्च की बात है कि किसी ने उन लेटरों की सच्चाई जानना तक उचित नहीं समझा. अब जब STF ने पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा किया, तो गाजियाबाद पुलिस हरकत में आई और बुधवार को अनूप चौधरी के खिलाफ FIR दर्ज की है.

एफआईआर कॉपी

(फोटो- क्विंट हिंदी)

गाजियाबाद पुलिस के VIP सेल प्रभारी इंस्पेक्टर मयंक अरोरा ने अनूप चौधरी के खिलाफ थाना कविनगर में IPC सेक्शन-419, 468 और 471 में FIR दर्ज कराई है.

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अनूप ने खुद को BJP का सदस्य बताया था

गाजियाबाद पुलिस की ओर से दर्ज FIR के मुताबिक, अनूप चौधरी ने 18 अक्टूबर 2020 को गाजियाबाद के तत्कालीन DM और SSP को एक ई-मेल भेजा था. इस ई-मेल में अनूप ने खुद को बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा का महाराष्ट्र प्रदेश प्रभारी, सेंसर बोर्ड का पूर्व केंद्रीय सलाहकार सदस्य और फिल्म विकास परिषद (UP) का पूर्व सदस्य बताया था. इस आधार पर गाजियाबाद पुलिस ने उसे गनर दे दिया.

अनूप 6 दिसंबर 2020, 18 दिसंबर 2020, 20 अगस्त 2022, 30 अगस्त 2022, 27 फरवरी 2023, 10 जुलाई 2023 और 14 सितंबर 2023 को भी गनर हासिल करने में कामयाब रहा.

अनूप ने खुद को उत्तर रेलवे का प्रदेश सदस्य, फिल्म विकास परिषद (UP) का पूर्व सदस्य, भारतीय खाद्य निगम की सलाहकार समिति का सदस्य के फर्जी लैटरहेड लगाकर भी गनर हासिल किया. हर बार अनूप चौधरी ई-मेल भेजता था और गाजियाबाद पुलिस उसे गनर दे देती थी.

सोशल मीडिया पर अनूप चौधरी की कुछ तस्वीरें भी सामने आई हैं, जिसमें वो बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ नजर आ रहा है.

उत्तर प्रदेश के जलशक्ति और बाढ़ नियंत्रण मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के साथ अनूप चौधरी

(फोटो- क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

प्रधानमंत्री मोदी के साथ एक तस्वीर में अनूप चौधरी

(फोटो- क्विंट हिंदी द्वारा प्राप्त)

कभी नहीं हुई लेटरहेड की जांच

अनूप चौधरी को गनर देने के मामले ने गाजियाबाद पुलिस की भी लापरवाही सामने आई है. पूरे कमिश्नरेट सिस्टम की कार्यशैली सवालों के घेरे में है. अनूप यहां का रहने वाला नहीं था, वो जब भी गाजियाबाद आता था, उससे पहले ही DM-SSP को फर्जी लेटरहेड लगाकर एक ई-मेल भेजता था. अफसर भी उसके लेटरहेड की कोई जांच नहीं करवाते थे और उसको गनर दे देते थे. कहा जा रहा है कि अनूप चौधरी कई अफसरों का खास भी था, इस वजह से उसे गनर मिलने में कोई समस्या नहीं आती थी.

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