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चालू वित्त वर्ष 2023-2024 के लिए कॉस्ट रिफ्लेक्टीव टैरिफ (cost-reflective tariff) की मांग के बाद दिल्ली (Delhi) में बिजली नियामक ने वितरण कंपनियों को राष्ट्रीय राजधानी में बिजली दरें बढ़ाने की अनुमति दे दी है.
दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DRC) ने बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड (BYPL) को मौजूदा दरों के अलावा 9.42 फीसद, बीएसईएस (BSES) राजधानी पावर लिमिटेड को 6.39 फीसद और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (NDMC) को 2 प्रतिशत अधिक शुल्क लेने की अनुमति दी है.
जानकारी के अनुसार, दिल्ली में 2014 के बाद से बिजली की दरें नहीं बढ़ाई गई हैं. यानी बिजली के दरों में करीब 9 साल बाद बढ़ोतरी हो रही है. ANI के मुताबिक, दिल्ली एनसीटी प्रशासन ने कहा है कि बिजली दरों में ताजा बढ़ोतरी का उपभोक्ताओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली एनसीटी प्रशासन के एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि "उपभोक्ताओं पर इस बढ़ोतरी का सीधा असर नहीं होगा. बिजली खरीद समझौते के तहत बिजली की कीमतें घटती-बढ़ती रहती हैं. सर्दियों में बिजली सस्ती हो जाती है, जबकि गर्मियों में कीमत थोड़ी बढ़ जाती है. हर तिमाही समीक्षा में मामूली बढ़ोतरी या कमी होती है."
दिल्ली सरकार में बिजली मंत्री आतिशी ने कहा कि जिन उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलती है, उन पर टैरिफ में नवीनतम वृद्धि का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने यह भी कहा कि अन्य उपभोक्ताओं को लगभग 8 प्रतिशत सरचार्ज देना होगा.
मंत्री आतिशी राष्ट्रीय राजधानी में बिजली दरों में बढ़ोतरी के लिए भी केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
उन्होंने कहा, "भारत में कोयला खदानों की कोई कमी नहीं है, फिर कोयले की कीमत क्यों बढ़ रही है, बिजली उत्पादक कंपनियां ऊंची दरों पर कोयला खरीदने को मजबूर क्यों हैं."
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