advertisement
‘मैं द्रौपदी मुर्मू ईश्वर की शपथ लेती हूं…' इसी शब्द के साथ द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) ने भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति के रूप में शपथ ले ली है. देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ उन्हें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने दिलाई है. शपथ समारोह में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, संसद सदस्य और सरकार के प्रमुख सैन्य अधिकारी मौजूद रहे.
राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि, "मैं देश की पहली राष्ट्रपति हूं जिनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ था. स्वतंत्र भारत के नागरिकों के साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें अपने प्रयासों में तेजी लानी होगी."
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ये उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है. उन्होंने कहा,
उन्होंने कहा, "राष्ट्रपति पद का प्रत्येक पद मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है. मेरा नामांकन इस बात का प्रमाण है कि भारत में गरीब न केवल सपने देख सकते हैं बल्कि उन सपनों को पूरा भी कर सकते हैं."
उन्होंने कहा कि, "ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी. और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है."
मुर्मू ने अपने भाषण के आखिरी में कहां, "जगत कल्याण की भावना के साथ, मैं आप सब के विश्वास पर खरा उतरने के लिए पूरी निष्ठा व लगन से काम करने के लिए सदैव तत्पर रहूंगी."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)