advertisement
दिल्ली के रोहिणी के एक सरकारी स्कूल में कक्षा 10 की छात्रा तन्वी चौधरी अपने ज्यातार सहपाठियों की तरह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके प्री-बोर्ड कब होंगे और वे ऑनलाइन होंगे या ऑफलाइन. तन्वी कहती हैं कि उसके कई सहपाठियों के पास नेटवर्क की समस्या है.
इस शैक्षणिक वर्ष से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) दो-टर्म में बोर्ड परीक्षा ले रही है. कक्षा 10 और 12 के लिए टर्म 1 बोर्ड परीक्षा नवंबर-दिसंबर में हो चुकी है. लेकिन टर्म 1 बोर्ड के परिणाम और टर्म 2 बोर्ड परीक्षा के लिए डेट शीट दोनों का इंतजार है.
तन्वी ने बताया कि, "मुझे गणित में कुछ समस्या है. उम्मीद है, मैं परीक्षा से पहले अपने शिक्षक के साथ ऑनलाइन या ट्यूशन में उन्हें क्लियर कर पाऊं."
मार्च 2020 के बाद पहली बार दिल्ली में सभी कक्षाओं के लिए स्कूल नवंबर में खोले गए थे सेकिन वो भी वायु प्रदूषण के कारण दो हफ्तों के लिए बंद कर दिए गए थे. 18 दिसंबर से कक्षा 6 से फिर से स्कूल खोले गए लेकिन 28 दिसंबर को जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से 'येलो' अलर्ट की घोषणा की जिसके बाद स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों को बंद करना पड़ा.
माता-पिता और शिक्षकों का मानना है कि इससे बच्चों का भविष्य अधर में आ गया है. छात्रों को अपनी परीक्षा ऑनलाइन या ऑफलाइन लेने की तैयारी करनी चाहिए या नहीं इस पर कोई स्पष्टता नहीं है.
माउंट आबू पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल ज्योति अरोड़ा ने द क्विंट को बताया कि स्कूलों को बंद करने का फैसला सही था, क्योंकि मामले बढ़ने के बाद से बच्चों की उपस्थिति में गिरावट आई थी.
वो बताती हैं कि शिक्षकों के लिए भी ऑनलाइन पेपर चेक करने में काफी समय लग जाता है.
माउंट आबू पब्लिक स्कूल के 12वीं कक्षा में साइंस के छात्र श्रेयंस गर्ग कहते हैं कि ऐसे कई छात्र हैं जिन्हें किसी न किसी कारण से कक्षाएं छोड़नी पड़ीं. अब वो नहीं जानते कि क्या करना है.
दिल्ली की प्रेजेंटेशन कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल की कक्षा 10वीं की छात्रा श्रेया गौतम का कहना है कि, "मुझे गणित में कुछ समस्या है. यह एक ऐसा विषय है कि जब आप शिक्षक को अपने सामने किसी समस्या को हल करते हुए देखते हैं, तो आप उसे बेहतर ढंग से समझ सकते हैं."
दिल्ली के अखिल भारतीय अभिभावक संघ के अध्यक्ष सत्य प्रकाश का कहना है कि अनिश्चितता के कारण बच्चों मेंटल हेल्थ का शिकार हो रहे हैं. वह कहते हैं, "मैं अपनी बेटी को करीब से देख रहा हूं जो 11वीं कक्षा में है लेकिन उसकी पढ़ाई में रुचि धीरे-धीरे कम हो रही है क्योंकि इतना बड़ा गैप आ गया गया है... वह नीट की तैयारी कर रही थी, लेकिन उसके पास वह मार्गदर्शन नहीं है जो उसे सामान्य परिस्थितियों में मिलता था".
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)