advertisement
सीबीएसई (CBSE) ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 के कुछ प्रावधानों को 'मनमाना, तर्कहीन और उल्लंघनकारी' बताते हुए चुनौती देने वाली एक याचिका का विरोध किया है और पूरे देश में कक्षा 1 से 8 तक के छात्रों के लिए समान पाठ्यक्रम लागू करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की है.
वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका के जवाब में, सीबीएसई ने स्पष्ट किया कि शिक्षा भारतीय संविधान की 'समवर्ती सूची' के अंतर्गत आती है, और अधिकांश स्कूल राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में हैं.
परिणामस्वरूप, यह संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे अपने क्षेत्रों में स्कूलों के लिए पाठ्यक्रम, पाठ्यचर्या तैयार करें और परीक्षा आयोजित करें.
एनसीएफ के अनुरूप एनसीईआरटी पाठ्यक्रम, पाठ्यपुस्तकें और पूरक सामग्री विकसित करता है. बोर्ड ने कहा कि राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) और राज्य शिक्षा बोर्ड या तो एनसीईआरटी के मॉडल पाठ्यक्रम तथा पाठ्यपुस्तकों को अपनाते हैं या अनुकूलित करते हैं या एनसीएफ के आधार पर अपना स्वयं का निर्माण करते हैं.
सीबीएसई की प्रतिक्रिया ने रेखांकित किया कि स्कूल के बाहर छात्र के जीवन से निकटता से जुड़ा पाठ्यक्रम अधिक प्रासंगिक और प्रभावी है. इसलिए, उन्होंने एक सामान्य मूल तत्व के अलावा, पाठ्यक्रम और शैक्षिक संसाधनों की विविधता के लिए समर्थन व्यक्त किया.
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने पहले याचिका पर दिल्ली सरकार, सीबीएसई और एनएचआरसी से जवाब मांगा था. याचिका में आरटीई अधिनियम के प्रावधानों को भी चुनौती दी गई है, जिसमें मदरसों, वैदिक पाठशालाओं और धार्मिक ज्ञान प्रदान करने वाले शैक्षणिक संस्थानों को शामिल नहीं किया गया है.
देश भर के केंद्र विद्यालयों में, हमारे पास एक समान पाठ्यक्रम है. प्रत्येक विकसित देश के स्कूलों में एक समान पाठ्यक्रम होता है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम कोचिंग माफिया के दबाव में हैं. उनका तर्क था कि संविधान के अनुच्छेदों के अनुसार छात्रों को समान अवसर नहीं मिलते हैं.
उपाध्याय ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि "शिक्षा माफिया बहुत शक्तिशाली हैं और उनका एक बहुत मजबूत सिंडिकेट है. वे नियमों, विनियमों, नीतियों और परीक्षाओं को प्रभावित करते हैं.
कड़वी सच्चाई यह है कि स्कूल माफिया एक राष्ट्र-एक शिक्षा बोर्ड नहीं चाहते, कोचिंग माफिया एक राष्ट्र-एक पाठ्यक्रम नहीं चाहते, और पुस्तक माफिया सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें नहीं चाहते. इसीलिए, 12वीं कक्षा तक समान शिक्षा प्रणाली अभी तक लागू नहीं की जा सकी है."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)