Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Education Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Teachers Day: गणित बाजार में, ज्यामिति खेत में, बहुत जुदा है मनोज सर की क्लास

Teachers Day: गणित बाजार में, ज्यामिति खेत में, बहुत जुदा है मनोज सर की क्लास

क्विंट ने मनोज सर की क्लास में जाकर देखा कि आखिर वहां क्या खास है.

मोहम्मद सरताज आलम
शिक्षा
Published:
<div class="paragraphs"><p>लॉकडाउन में बच्चे बोर न हों इसलिए मनोज सर ने घर में ही बना ली क्लास</p></div>
i

लॉकडाउन में बच्चे बोर न हों इसलिए मनोज सर ने घर में ही बना ली क्लास

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

शिक्षक दिवस (Teachers Day) के मौके पर कहानी एक ऐसे शिक्षक की जो खेतों में पढ़ाता है, जो अपने स्टूडेंट्स को बाजार लेकर जाता है. जो घर के सामान से ही ऐसे सामान तैयार करता है कि जिन बच्चों को गणित कठिन लगती थी, उन्हें भी आसान लगने लगी है. ये टीचर हैं झारखंड के मनोज सिंह, जिनके पढ़ाने के अंदाज के कारण उन्हें नेशनल शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. इनके पढ़ाने के तरीका न सिर्फ बच्चों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी प्रेरणादायक हो सकता है. क्विंट ने मनोज सर की क्लास में जाकर देखा कि आखिर वहां क्या खास है?

इस साल देश के 44 शिक्षकों को नेशनल शिक्षक पुरस्कार मिला है. झारखंड के जमशेदपुर शहर स्थित 'हिंदुस्तान मित्र मंडल विद्यालय' के शिक्षक मनोज सिंह उन्हीं शिक्षकों में से एक हैं.

मनोज सिंह को हम वैज्ञानिक भी कह सकते हैं, दरअसल उनके आने से पहले गणित की कक्षा में मुश्किल से 10 प्रतिशत बच्चे ही प्रश्न का जबाव देने के लिए हाथ उठाते थे. लेकिन मनोज सर के आने के बाद आज विद्यालय के 90% छात्र हाथ उठा कर कहते हैं कि प्रश्न को वो हल करेंगे.

द क्विंट से बातचीत में मनोज सिंह ने बताया-''लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन क्लासेज शुरू हुई. छात्र कुछ देर ऑनलाइन क्लास में रहते लेकिन अचानक गायब हो जाते थे. इसे रोकने के लिए मैंने क्लास को रोचक बनाने के लिए मैंने घर के वेस्ट मैटेरियल से हर चैप्टर के लिए टीचिंग लर्निंग मैटेरियल बनाए, जिनकी मदद से एक्टिविटी के द्वारा ऑनलाइन क्लास को मैंने रोचक बना लिया. बच्चों को लगा कि वह खेल रहे हैं, और देखते ही देखते छात्रों ने खेल-खेल में गणित सीख ली.'' नीचे विडियो में आप देख सकते हैं.

शिक्षक मनोज ने आगे बताया, ''मैं कक्षा से बाहर निकलकर टीचिंग करने के लिए छात्रों का ग्रुप बना कर बाज़ार ले गया. जहां उनसे खरीदारी करवाई, ताकि बच्चे रुपयों का हिसाब सीख सकें. वहां मैंने रुपयों के लेनदेन, हानि, छूट का कॉन्सेप्ट दिया जिससे वह गणित बहुत तेजी से सीखें. माप-तौल सिखाने के लिए मैंने किरोसिन बेचने वालों के पास ले जाकर माप-तौल सिखाई. बच्चों को ज्योमेट्री के शेप समझाने के लिए खेतों पर ले गया.''

अपने बच्चों को कुछ ऐसे कोण समझाते हैं मनोज सर

(फोटो:क्विंट हिंदी)

मनोज सर ने अपने घर के एक कमरे को ही क्लास रूम में तब्दील कर दिया है. जहां व्हाइट बोर्ड के साथ सारे जरूरी डिजिटल उपकरण, कंप्यूटर, कैमरा, ट्राइपॉड स्टैंड, माइक, हेडफोन, बड़ा एलइडी स्क्रीन उपलब्ध है. यहीं से वो लॉकडाउन में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाते रहे.

ऐसे प्रतिशत और भिन्न समझाते हैं मनोज सर

(फोटो:क्विंट हिंदी)

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

गणित को आसान बनाने के लिए मनोज सर के जुगाड़

(फोटो:क्विंट हिंदी)

मनोज सिंह बताते - ''2014 में मैंने प्रकृति की प्रयोगशाला में बच्चों को शिक्षित करना आरम्भ किया. उदाहरण के लिए मैंने सौर सिस्टम समझाने के लिए बच्चों का सौर परिवार बना दिया. वह सभी सूरज की परिक्रमा करते हुए अपने ग्रह के गुण बताते जिसे बाकी बच्चे देख कर सीख लेते. जब मुझे आदिवासी बाहुल्य इलाकों में पढ़ाने का अवसर मिला तो वहां पढ़ाना मेरे लिए एक चैलेंज था, छोटे बच्चे बिल्कुल हिंदी नहीं समझते थे. तब मैंने आदिवासी भाषा सीखी.''

गणित को आसान बनाने के लिए मनोज सर के जुगाड़

(फोटो:क्विंट हिंदी)

पहले भी सम्मानित हो चुके मनोज सर

मनोज सिंह की बतौर शिक्षक सबसे पहले पदस्थापना 1994 में पूर्वी सिंहभूम ज़िला के बोड़ाम के प्राथमिक विद्यालय में हुई थी. उस वक्त स्कूल के पास अपना भवन भी नहीं था. पेड़ के नीचे स्कूल चलता था, जहां मनोज सिंह कभी बच्चों को खेत में, कभी मैदान में, तो कभी बाजार ले जाकर अपने इनोवेटिव तरीकों से पढ़ाया करते थे. हिंदुस्तान मित्र मंडल विद्यालय में उनका यह दूसरा साल है. अपने करियर में उनको पहले भी राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर विभिन्‍न सम्मान मिल चुके हैं. मनोज सर को 2 दर्जन से अधिक अवार्ड मिल चुके हैं. उनको नेश्नल मेटलर्जिकल लैबरोटरी ने 2017 में बेस्ट साइंस शिक्षक के तौर पर चुना था. 2001 में जनगणना के दौरान उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रपति के हाथों रजत पदक मिला था. राज्य स्तर पर तीन बार सम्मानित किया गया.

मनोज सिंह की लिखी गणित कि पुस्तक झारखंड के सरकारी स्कूल में पढ़ाई जाती है. उनकी पुस्तक NCERT द्वारा अप्रूव होने के बाद उस पुस्तक को झारखंड सरकार ने JCERT के तहत छपवाया कर सरकारी स्कूलों में चलवाया. यही नहीं भारत सरकार के सिंगल प्लेटफॉर्म 'दीक्षा पोर्टल' पर मनोज सर का ई-कंटेंट अपलोड हुआ है.साथ ही झारखंड के डीजी ऐप पर भी मनोज सर का ई-कंटेंट मंगलवार व बृहस्पतिवार को झारखंड के छात्रों को पढ़ाया जाता है.

वाकई में मनोज सर पेशे से शिक्षक नहीं हैं, जो नौ घंटे की ड्यूटी करता हो. ऐसा लगता है कि उन्होंने अपना जीवन ही अपने काम को सौंप दिया है. मनोज सर मन से टीचर हैं, उन्हें सलाम.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT