Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Education Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019NCERT 12वीं की किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं, सिलेबस में बदलाव पर क्या बोले डायरेक्टर?

NCERT 12वीं की किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं, सिलेबस में बदलाव पर क्या बोले डायरेक्टर?

NCERT Syllabus: "पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, सब कुछ तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित है."

क्विंट हिंदी
शिक्षा
Published:
<div class="paragraphs"><p>NCERT 12वीं की किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं, सिलेबस में बदलाव पर क्या बोले डायरेक्टर?</p></div>
i

NCERT 12वीं की किताब में बाबरी मस्जिद का जिक्र नहीं, सिलेबस में बदलाव पर क्या बोले डायरेक्टर?

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

"हमें स्कूल के किताबों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और उदास व्यक्ति."

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी का ये बयान सिलेबस में हुए ताजा बदलाव और नई किताबों के प्रकाशन के बाद आया है. बता दें कि NCERT की नई किताबों में कई विषयों को हटाया गया है और कई को संशोधित किया गया है.

किताब में क्या बदलाव किया गया है?

समाचार एजेंसी PTI को दिए इंटरव्यू में निदेशक सकलानी ने कहा कि स्कूली पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में पढ़ाने से नागरिकों पर "सकारात्मक" प्रभाव नहीं पड़ेगा और इससे "हिंसक और उदास व्यक्ति" पैदा होंगे. वह गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस पर आधारित अध्यायों के संबंध में किए गए बदलावों का जिक्र कर रहे थे.

क्लास 12वीं की संशोधित राजनीति विज्ञान की किताब में बाबरी मस्जिद को "तीन गुंबद वाली संरचना" के रूप में बताया गया है और अयोध्या चैप्टर को चार पन्नों से घटाकर दो कर दिया गया है. इसमें उन बातों को भी हटा दिया गया है जो किताब के पिछले संस्करण में मौजूद थे.

नई किताब से और क्या-क्या हटाया गया है:

  • गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक बीजेपी की रथयात्रा

  • कारसेवकों की भूमिका

  • 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा

  • बीजेपी शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन

  • और बीजेपी द्वारा “अयोध्या की घटनाओं पर खेद व्यक्त करना”

2014 के बाद से NCERT की किताब में यह चौथा संशोधन है. नई किताब 2024-25 शैक्षणिक सत्र के लिए लागू की जाएगी, जिसका उद्देश्य शैक्षिक सामग्री को समकालीन राजनीतिक घटनाओं के साथ जोड़ना है.

'संशोधन में गलत क्या है?'

सिलेबस में बदलाव पर उन्होंने कहा, "अगर कोई चीज पुरानी हो गई है, तो उसे अपडेट किया जाना चाहिए. ऐसा कोई कारण नहीं है कि उसे बदला न जाए. मैं इसे भगवाकरण के तौर पर नहीं देखता. हम इतिहास को छात्रों को तथ्यात्मक ज्ञान देने के लिए पढ़ाते हैं, न कि इसे युद्ध के मैदान में बदलने के लिए."

बाबरी मस्जिद विध्वंस में 'कार सेवकों' की भूमिका को किताबों से हटाए जाने के बारे में बात करते हुए सकलानी ने कहा,

"अगर सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर, बाबरी मस्जिद या राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला दिया है, तो क्या इसे हमारी पाठ्यपुस्तकों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, इसमें समस्या क्या है? हमने नए अपडेट शामिल किए हैं."

इसके साथ ही उन्होंने कहा, "अगर हमने नई संसद का निर्माण किया है, तो क्या हमारे छात्रों को इसके बारे में नहीं पता होना चाहिए. यह हमारा कर्तव्य है कि हम प्राचीन विकास और हाल के विकास को शामिल करें."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

'सिलेबस का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं'

वहीं सिलेबस और किताबों के भगवाकरण के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए सकलानी ने कहा, "पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, सब कुछ तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित है."

"अगर हम भारतीय ज्ञान प्रणाली के बारे में बता रहे हैं, तो यह भगवाकरण कैसे हो सकता है? अगर हम महरौली में लौह स्तंभ के बारे में बता रहे हैं और कह रहे हैं कि भारतीय किसी भी धातु वैज्ञानिक से बहुत आगे थे, तो क्या हम गलत कह रहे हैं? यह भगवाकरण कैसे हो सकता है?"
दिनेश प्रसाद सकलानी

'बदलावों को लेकर शोर-शराबा अप्रासंगिक'

सकलानी ने इंटरव्यू में सवाल करते हुए कहा, 'क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बनें? क्या यह शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें ऐसे छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए... जब वे बड़े होंगे, तो वे इसके बारे में सीख सकते हैं, लेकिन स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में क्यों. "

इसके साथ ही उन्होंने कहा, "जब वे बड़े हो जाएं तो उन्हें यह समझने दीजिए कि क्या हुआ और क्यों हुआ. बदलावों को लेकर शोर-शराबा करना अप्रासंगिक है."

पुरानी और नई किताब में क्या-क्या बदला?

  • इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुरानी किताब में बाबरी मस्जिद को 16वीं सदी की मस्जिद के रूप में पेश किया गया है जिसे मुगल बादशाह बाबर के जनरल मीर बाकी ने बनवाया था. नई किताब में इसे “तीन गुंबद वाली संरचना के रूप में बताया गया है (जिसे) 1528 में श्री राम के जन्मस्थान पर बनाया गया था, लेकिन संरचना के आंतरिक और बाहरी हिस्सों में हिंदू प्रतीकों और अवशेषों का स्पष्ट प्रदर्शन था”.

  • पुरानी किताब में दो पन्नों से ज्यादा में फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला अदालत के आदेश पर फरवरी 1986 में मस्जिद के ताले खोले जाने के बाद “दोनों तरफ” की लामबंदी का वर्णन किया गया था. इसमें सांप्रदायिक तनाव, सोमनाथ से अयोध्या तक आयोजित रथ यात्रा, दिसंबर 1992 में राम मंदिर निर्माण के लिए स्वयंसेवकों द्वारा की गई कार सेवा, मस्जिद का विध्वंस और उसके बाद जनवरी 1993 में हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र था. इसमें बताया गया था कि कैसे बीजेपी ने “अयोध्या में हुई घटनाओं पर खेद व्यक्त किया” और “धर्मनिरपेक्षता पर गंभीर बहस” का जिक्र किया.

  • नई किताब में इसे एक दूसरे पैराग्राफ से बदल दिया गया है: "1986 में, तीन गुंबद वाली संरचना से संबंधित स्थिति ने एक महत्वपूर्ण मोड़ ले लिया जब फैजाबाद (अब अयोध्या) जिला अदालत ने संरचना को खोलने का फैसला सुनाया, जिससे लोगों को वहां पूजा करने की अनुमति मिल गई. यह विवाद कई दशकों से चल रहा था क्योंकि ऐसा माना जाता था कि तीन गुंबद वाली संरचना श्री राम के जन्मस्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी. हालांकि, मंदिर के लिए शिलान्यास तो हो गया, लेकिन आगे निर्माण पर रोक लगी रही. हिंदू समुदाय को लगा कि श्री राम के जन्म स्थान से जुड़ी उनकी चिंताओं को नजरअंदाज किया गया, जबकि मुस्लिम समुदाय ने ढांचे पर अपने कब्जे का आश्वासन मांगा. इसके बाद, स्वामित्व अधिकारों को लेकर दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप कई विवाद और कानूनी संघर्ष हुए. दोनों समुदाय लंबे समय से चले आ रहे इस मुद्दे का निष्पक्ष समाधान चाहते थे. 1992 में, ढांचे के विध्वंस के बाद, कुछ आलोचकों ने तर्क दिया कि इसने भारतीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए एक बड़ी चुनौती पेश की है.”

  • किताब के नए संस्करण में अयोध्या विवाद पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय (जिसका शीर्षक है ‘कानूनी कार्यवाही से सौहार्दपूर्ण स्वीकृति तक’) पर एक उपखंड जोड़ा गया है.

  • पुरानी पाठ्यपुस्तक में समाचार पत्रों के लेखों की तस्वीरें थीं, जिनमें 7 दिसंबर, 1992 का एक लेख भी शामिल था, जिसका शीर्षक था “बाबरी मस्जिद ढहाई गई, केंद्र ने कल्याण सरकार को बर्खास्त किया.” 13 दिसंबर, 1992 के एक अन्य शीर्षक में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बयान था, “अयोध्या भाजपा की सबसे बड़ी गलती थी.” नई किताब में सभी समाचार पत्रों की कटिंग्स को हटा दी गई हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT