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पेपर लीक: राजस्थान में उम्रकैद,कहां है सबसे कड़ा कानून-बाकी राज्यों का क्या हाल?

Rajasthan Paper Leak Bill: विधानसभा में राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (संशोधन) विधेयक, 2023 ध्वनि मत से पारित हुआ.

मोहन कुमार
शिक्षा
Published:
<div class="paragraphs"><p>Paper Leak पर राजस्थान में उम्रकैद और 10 करोड़ जुर्माना, अन्य राज्यों में क्या?</p></div>
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Paper Leak पर राजस्थान में उम्रकैद और 10 करोड़ जुर्माना, अन्य राज्यों में क्या?

(फोटो: क्विंट)

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राजस्थान (Rajasthan) की अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Govt) ने प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक (Paper Leak) के खिलाफ सख्त कदम उठाया है. राजस्थान में अब भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक करने वालों को उम्रकैद तक की सजा होगी. ​राजस्थान विधानसभा में 21 जुलाई को राजस्थान सार्वजनिक परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम के उपाय) (संशोधन) विधेयक, 2023 ध्वनिमत से पारित हुआ.

सजा के प्रावधान में क्या संसोधन किया है?

अशोक गहलोत सरकार ने सरकारी भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक और नकल पर लगाम लगाने के लिए पिछले साल पारित कानून को और सख्त बना दिया है.

राजस्थान में अब पेपर लीक और नकल का दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद का प्रावधान है. राज्य में पहले पेपर लीक के दोषियों के लिए कम से कम 5 साल और अधिकतम 10 साल तक की सजा का प्रावधान था.

इसके साथ ही दोष साबित होने पर न्यूनतम 10 लाख रुपये और अधिकतम 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. वहीं दोषी द्वारा जुर्माना नहीं देने की स्थिति में दो साल की अतिरिक्त सजा का भी प्रावधान किया गया है. विधेयक में कहा गया है कि "पर्याप्त और विशेष" शर्तों के तहत, अदालत 10 साल से कम की सजा दे सकती है.

विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए, उच्च शिक्षा राज्य मंत्री राजेंद्र यादव ने कहा कि हाल की घटनाओं से यह स्पष्ट है कि अनुचित साधनों के उपयोग से संबंधित अपराध संगठित माफियाओं द्वारा किए जाते हैं और उनके खिलाफ और अधिक कठोर सजा समय की मांग है.

''राज्य सरकार की राय है कि कारावास की न्यूनतम अवधि पांच साल से बढ़ाकर 10 साल और कारावास की अधिकतम अवधि को बढ़ाकर आजीवन कारावास किया जाए.''

वहीं मंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि वर्तमान में मौजूद अधिनियम के अंतर्गत पेपर लीक में संलिप्त व्यक्तियों से जुर्माना वसूलने और प्रॉपर्टी कुर्क किए जाने के साथ, परीक्षा में खर्च हुए पैसे वसूले जाने का भी प्रावधान है. इसके साथ उन्होंने कहा कि यह अपराध नॉन बेलेबल भी है.

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चलिए अब आपको बताते हैं कि पेपर लीक को लेकर देश के अन्य राज्यों में क्या कानून है और कितने सालों की सजा का प्रावधान है.

उत्तराखंड में उम्रकैद और 1 करोड़ का जुर्माना

राजस्थान से पहले उत्तराखंड में पेपर लीक और नकल के खिलाफ उम्रकैद की सजा का प्रावधान है. इसी साल फरवरी में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (रिटायर्ड) ने उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश 2023 पर मुहर लगाई थी. जिसके तहत भर्ती परीक्षा में पेपर लीक, नकल कराने या अनुचित साधनों में लिप्त पाए जाने पर उम्रकैद की सजा और 10 करोड़ तक के जुर्माने का प्रावधान है.

वहीं कोई परीक्षार्थी प्रतियोगी परीक्षा में खुद नकल करते हुए या अन्य परीक्षार्थी को नकल कराते हुए पाया जाता है तो उसके लिए तीन साल की जेल और न्यूनतम पांच लाख के जुर्माने का प्रावधान किया गया.

अगर वह परीक्षार्थी दोबारा अन्य प्रतियोगी परीक्षा में दोषी पाया जाता है, तो न्यूनतम दस साल जेल और कम से कम 10 लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इसके साथ ही इस अधिनियम के तहत अपराध संज्ञेय, गैर जमानती होगा.

गुजरात में 10 साल की सजा और 1 करोड़ रु का जुर्माना

गुजरात में पेपर लीक के खिलाफ इसी साल 24 फरवरी को गुजरात सार्वजनिक परीक्षा विधेयक 2023 विधानसभा में पास हुआ था. जिसके तहत पेपर लीक के दोषियों के खिलाफ 3 से 10 साल की सजा का प्रावधान है. इसके साथ ही एक लाख से एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है. पेपर लीक के आरोपियों को जमानत भी नहीं मिलेगी. वहीं पेपर खरीदने वाले छात्र के लिए 2 से 10 साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

हरियाणा में पेपर लीक करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान

हरियाणा में भी पेपर लीक के खिलाफ सख्त कानून है. दो साल पहले राज्य सरकार ने विधानसभा में नकल विरोधी कानून हरियाणा लोक परीक्षा (अनुचित साधन निवारण) अधिनियम-2021 पेश किया था. इसमें पेपर लीक के दोषियों के लिए 7 से 10 साल कैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. इसके अलावा प्रॉपर्टी नीलाम कर नुकसान की भरपाई भी तय की गई है. वहीं नकल करते पकड़े जाने वाले अभ्यर्थी के लिए 2 साल की कैद और 5 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान रखा गया है.

सीएम योगी ने कही थी NSA की बात

यूपी में नकल रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 1998 है. जिसके तहत परीक्षा में अनुचित साधनों के प्रयोग पर तीन महीने तक की कैद या दो हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. वहीं इसकी धारा 4 या धारा 5 या धारा 6 या धारा 7 या धारा 8 के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर एक साल तक की कैद या पांच हजार रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है.

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने UPTET-2021 पेपर-लीक होने के बाद इसमें शामिल दोषियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की बात कही थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि दोषियों की संपत्ति को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू करने के साथ ही जब्त कर लिया जाएगा.

बिहार में पेपर लीक पर सख्त धाराओं में दर्ज हुए केस

बिहार की बात करें तो यहां पेपर लीक के आरोपियों के खिलाफ सख्त धाराओं में मुकदमे दर्ज किए जाते रहे हैं. बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की 67वीं प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक मामले में IPC की धारा 420/467/468/120(b) और IT एक्ट की धारा 66 एवं बिहार परीक्षा नियंत्रण अधिनियम 1981 की धारा 3/10 के तहत FIR दर्ज की गई थी.

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