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इस साल, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की ओर से आयोजित की जाने वाली 12वीं की परीक्षाओं के आयोजन में संभावित देरी शायद प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को प्रभावित न करे - जो अपनी खुद की प्रवेश परीक्षाओं पर निर्भर हैं - लेकिन ज्यादातर सरकारी विश्वविद्यालयों पर इसका असर हो सकता है, जो दाखिला देने के लिए अक्सर बोर्ड परीक्षाओं में हासिल होने वाले अंकों पर निर्भर होते हैं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) में, जो अब तक अंडरग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए बोर्ड एग्जाम मार्क्स के आधार और प्रोफेशनल कोर्स के लिए अलग से दिल्ली यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट पर निर्भर रही है, बोर्ड परीक्षाओं को लेकर अनिश्चितता से मुश्किलें ही बढ़ेंगी.
DU के सामने क्या चुनौतियां हैं?
दिसंबर में, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने एक समिति का गठन किया था, जिसका काम सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CUCET) आयोजित करने के तरीके सुझाना था.
यह विचार राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में निहित है, जो अंडरग्रेजुएट दाखिलों के लिए एक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट की बात करता है.
चूंकि डीयू एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है, और उसके पास एक समग्र स्कोर पर पहुंचने के लिए CUCET और बोर्ड के अंकों को दिए गए वेटेज को तय करने की आजादी है, उसने अंकों के 50-50 विभाजन को एक्सप्लोर करने का फैसला किया है.
डीन ऑफ एडमिशन्स प्रोफेसर पिंकी शर्मा का कहना है, जबकि विश्वविद्यालय CUCET के आयोजन पर शिक्षा मंत्रालय के फैसले का इंतजार कर रहा है, बोर्ड परीक्षा कैसे आयोजित की जाएगी और नतीजे कब घोषित किए जाएंगे, इस पर अनिश्चितता ने चर्चा को उलझा दिया है कि दो घटकों को कितना वेटेज दिया जाना चाहिए.
2020 में, DU ने जून में रजिस्ट्रेशन शुरू किया था और बाद में 10 अक्टूबर को अपनी पहली कट-ऑफ जारी की थी, लेकिन इस साल प्रवेश सत्र के लिए कोई तारीख घोषित नहीं की गई है.
बोर्ड परीक्षाएं मुंबई यूनिवर्सिटी के दाखिलों में कैसे देरी करेंगी?
मुंबई यूनिवर्सिटी (MU) में, बोर्ड के नतीजे घोषित होने से पहले दाखिले नहीं हो सकते क्योंकि प्रवेश की प्रक्रिया पूरी तरह से 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों को मिले अंकों पर निर्भर है.
हालांकि, बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स एंड इवेल्यूएशन के डायरेक्टर डॉ. विनोद पाटिल का कहना है, MU में प्रवेश प्रक्रिया न केवल CBSE पर, बल्कि 12वीं के सीनियर सेंकेडरी सर्टिफिकेट (SSC) एग्जाम्स पर भी निर्भर है, जो राज्य के बोर्ड द्वारा आयोजित किए जाते हैं.
जबकि राज्य की ओर से B.Tech जैसे प्रोफेशनल कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है, अन्य पाठ्यक्रमों के लिए, एक कॉमन एंट्रेंस टेस्ट की कोई बात नहीं है, जैसा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कल्पना की गई है.
2020 में, मुंबई यूनिवर्सिटी के लिए पहली कट-ऑफ लिस्ट 6 अगस्त को घोषित की गई थी.
बोर्ड परीक्षाओं में देरी से बहुत से निजी विश्वविद्यालय क्यों प्रभावित नहीं होंगे?
जैसा कि ऊपर जिक्र किया गया है, कई निजी विश्वविद्यालय पूरी तरह से बोर्ड परीक्षा के अंकों पर निर्भर नहीं हैं और ज्यादातर उनको दाखिले के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया के तौर पर देखते हैं.
एमिटी यूनिवर्सिटी: डायरेक्टर ऑफ एडमिशन्स, भास्कर चक्रवर्ती के मुताबिक, एमिटी यूनिवर्सिटी में आवेदन करने वाले हर स्टूडेंट को कोर्स के लिए एलिजिबल होने के लिए अंकों का एक निश्चित प्रतिशत हासिल करना होगा, हालांकि चयन प्रक्रिया पूरी तरह से एक प्रणाली पर आधारित है, जिसमें छात्रों को तीन सवालों की वीडियो प्रतिक्रियाओं के आधार पर चिह्नित किया जाता है.
अशोका यूनिवर्सिटी: एक्सटरनल एंगेजमेंट, वाइस प्रेसिडेंट, अली इमरान के मुताबिक, यहां आवेदन करने वाले स्टूडेंट अनिवार्य अशोका एप्टीट्यूड असेसमेंट, SAT या ACT, में हासिल अंकों का इस्तेमाल करके बोर्ड परीक्षा का इंतजार किए बिना "फर्म ऑफर" हासिल कर सकते हैं.
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